QUOTES ON #बुजुर्गों

#बुजुर्गों quotes

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26 FEB 2018 AT 20:14

तेरा दिल तो मैंने बहुत पहले ही लूट लिया होता
अगर बुजुर्गों ने लूटपाट को गलत न बताया होता !
तेरा दिल चोरी कर मैं घर ही ले गया होता गर
"औरों का सामां मिट्टी बराबर" ये न सिखाया होता !!

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18 APR 2021 AT 8:59

Life goes on with the breath, there is moisture in the eye
दर्द की नदी थमी है
काश दर्द समझते वे चेहरे, जिन्हें छोड़ ये आए
यादों की पोटली में अपना पूरा जीवन ले आए।
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बुजुर्गों की झुर्रियों में अनुभव का साथ है
जो भी आज तुम ये उनका ही आशीर्वाद है ।

छोड़ मत देना तुम उनका किसी भी हाल में साथ
उन्हीं से तुम्हारी जिंदगी में रौनक और विकास है ।

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वक़्त नाजुक है जमाने से पीछे चल रहा हूँ
मौजूद या गुम होने का फर्क नहीं पर चल रहा हूँ,
दिए बेच कर घर परिवार चला रहा हूँ
साथ दिया हवाने तो भाईचारा चला रहा हूँ,
जवानी है पर मोहब्ब्त नहीं कर रहा हूँ
पहरा लगाया बुजुर्गों ने मैं पीछे छुप रहा हूँ.....

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जनाब खामोशी को हमारी,
बेवफाई मत समझ लेना।
मैंने बुजुर्गों से सुनी है गहरे ,
शांत समंदर की कहानी।

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23 JAN 2023 AT 13:45

भींगना क्या छोड़ा
बरसात बरसाना भूल रही...

सोचती हूं क्या करूं
कि बरसात थोड़ी कम हो
तो मैं थोड़ा भींग लूं ...

(रचना अनुशीर्षक में)

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3 OCT 2020 AT 16:24

*बुजुर्गों का साया*

हमने अपने जीवन में सम्मान बहुत कमाया है,
क्योंकी हमारे सिर पर बुजुर्गों का साया है।

हमने सबको सही गलत का पाठ पढ़ाया है,
क्योंकी हमारे बुजुर्गों ने सिखाया है।

हमने अपने जीवन में कभी टोकर नहीं खाया है,
क्योंकी हमारे सिर पर बुजुर्गों का साया है।

हमने सबको जिम्मेदार नागरिक होने का पाठ सिखाया है,
क्योंकी हमारे बुजुर्गों ने यह ज्ञान दिलाया है।

हमने अपने जीवन में दौलत बहुत कमाया है,
क्योंकी हमारे सिर पर बुजुर्गों का साया है।

हमने सबको बड़ों का आदर करना सिखाया है,
क्योंकी हमारे बुजुर्गों ने यह संस्कार दिलाया है।

हम सबको हर समस्याओं से बचाया है,
क्योंकी हमारे सिर पर बुजुर्गों का साया है।

हमने अपने जीवन में पूरा परिवार सजाया है,
क्योंकी हमारे बुजुर्गों ने घर जोड़ना सिखाया है।

हमने अपने जीवन में माता-पिता का सम्मान बढाया है,
क्योंकी हमारे सिर पर बुजुर्गों का साया है।

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23 AUG 2018 AT 22:31

ऎ खुदा..,
कितना सुकून होगा तेरी बस्ती में ...
दिल लगता नही इन..तमीजदारो की बस्ती में..,
जिसे जन्नत मानती है ,ये बस्ती सिर्फ गीता और कुरानों
में ...,
आज उसकी मिटा कर सारी हस्ती..और थमा दी ,
हाथों में लकड़ की..लठी ..
कर दिया मजबूर दर..दर भटकने कॊ अपनों ने..
अगर तमीजदारी ऎसी होती है...ऎ मेरे खुदा ,
तो नही चाहिये मुझे जालिमों की..ये बस्ती,

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13 SEP 2022 AT 13:41

आज की युवा पीढ़ी की सोच और विचार,
जिनके लिए हम अंगुली उठाते है,न सीख ,न संस्कार, वृद्धों के त्रिस्कार का इल्ज़ाम लगाते हैं,
मगर ऐसा नहीं है ,
पढ़िए अनुशीर्षक में 👇

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19 JUN 2024 AT 19:44

जड़ मेरी उखाड़ने को तैयार है हर शख्स वो-
जिसने मुझे एहतिराम से सर आँखों पर बिठाया

यहाँ हर मोड़ पर झूठ फरेब और धोखे का राज़ है
दूसरों की खातिर जो जीये दोज़ख का रस्ता दिखाया

धर्म औऱ मजहब के नाम पर जो खेलते हैं खूनी खेल
ऐसे बन्दों को कुछ नेताओं ने सर आँखों पर बिठाया

मोहब्बत भी बेगैरत हो गयी बेवफाई शिरकत करती
सफर-ए-इश्क़ में'मीता'सनम ने आँसुओ से रुलाया

शुक्रिया अदा हर उस वक़्त का जिस वक्त हम महफूज़ है
करें उन बुजुर्गों का एहितराम जिन्होंने हमे जीना सिखाया

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