पंडित संजयजी ..sk41..   (पंडितजी.कुछतो लोग कहेंगे)
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Joined 24 November 2019


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अगर कोई बात न थी तो मुझ में
हिचकी आते ही याद करते क्यों मुझको
कोशिश बहुत किया तुम्हे भुलाने को
कैसे मान लूँ की तुम भूल गए मुझको।।
।। पंडित संजयजी ।।
Art by Vagyshree_art_kala

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लड़का लड़की सोचते है जब हो साल उनिष
कोई ज़िन्दगी में आये चले जाए करके किस,
चिंता कोई नहीं आएंगे जाएंगे ज़िन्दगी यही
सोच तब बदलती है जब हो जाता है पच्चीस,
सुना सुना जिंदगी न प्यार का रंग न मधुरता
बंधन में रहना अच्छा है अब तो हुआ है तीस.....

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योजना बनता है सबमे ये करेंगे वो करेंगे
ये कोई ख्वाब नहीं जो सोते सोते हो जाएंगे,
ज़िन्दगी जी रहे जो अब चलती है यारो
छूट न जाए सांस बचाने है वरना मर जाएंगे,
आते है रुकावट अपनी साथी संगी ले कर
संभलना है वरना लोगों के बीच डूब जाएंगे,
पैसा बनाना है लुट की और जमीन खरीदना है
बीवी से बनती है न बेटे से झूठा घर बनाएंगे,
करके दिखा दिया चापलूसी भी चलते रहेंगे
फसल उगाने को नहीं है बाहर से मंगवाएँगे,
वाह रे दुनिया एक जगह जो टिक नहीं पाया
वो सारा जगत को सुख की वार्ता दिलाएंगे।।
पंडित संजयजी

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लिखता हूं प्रेम कथा इसलिए
अधूरा है कोई मेरा समझ जाए,
ज़िन्दगी तेरे बिन गुजरेगी कैसे
ढल गए दिन रात न गुजर जाए,
देखते देखते दोस्त सब दूर हो गए
पर तुम दूर न होना कहीं नींद न उड़ जाए,
दोस्त कितने रास्ता बदल गए
मुझसे रिश्ते निभाना भूल गए,
सुरु हुई थी तुमसे खत्म नहीं हुए
किसी और के हमसफ़र बन गए....

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तेरी हो या मेरी माँ, कहते सब मेरी माँ सबसे बेहतर
कुपुत्र या सुपूत हो माँ के हाथ है संतान के सिर पर,
भाग्यशाली है संसार में माँ की ममता साथ है अगर
मोल है उनके, जिनके पास है माँ भगवान बन कर,
साथ नहीं छोड़ती किस्मत उनकी माँ को पूजते जो
स्वर्ग ही मिलती है यहां माँ के चरणों में जमीन पर,
जरूरत नहीं माँ को धन दौलत कुछ सिवाय प्यार के
ख़ुदकी आंसू भूल कर माँ खुशियां लुटाती मुझ पर.....

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प्यार हो जाते ही
चेहरे पर एक अलग
ही निखार आता है,
दुनियां में सबको जीत लिया
ऐसा लगता है,
लेकिन रोने का मौसम
तब आता है
घर परिवार जब
रूठ जाते है.....

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कहीं और मिला नहीं
अब मेरे यहाँ आ गए
पहेले हम और हमारा जात
पर अटका हुआ था बात,
मन होता है दूं कसके
गाल पर दो लप्पड़
साले ने बाप पे गया है
बीवी यहाँ वहां भी एक खच्चड,
देख, सवाल मत करना
पता है मुझको कैसे
खाई में तू गिरेगी
जहाँ हूँ मैं तो रहूंगा वैसे......

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अब तो फर्क नहीं
कोई मुझे follow किया या नहीं
कोई चला गया या like किया या नहीं
कोई आता है थोड़ा सा दिल बहलाने
कौन आता है यहां कहाँ कुछ सीखने......

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जुदा तो बहुत सारे लोग हुए
लेकिन तुम्हारी जुदाई
एक खाली पन महसूस करा गए....
कष्ट नहीं था जब सब चले गए
बात इतनी सी है
तेरा जाना हैरान करा गए....

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चोर
देखो चोर श्रेष्ठ समझता है ख़ुदको
बेवख़ूब बनाया लुट लिया सबको,
देखा इधर उधर देखा चारों और
भूल गया कि कोई बैठा है ऊपर,
चोरी पैसे में मज़ा खूब आया है तो
रोना आये जब दर्द बताए किसको,
ज़िन्दगी का मार्ग टेढ़ा हुआ कैसे
गलती का एहसास हुआ चलो वैसे,
क्षमा करने वाला हम है ही कौन
देखेंगे तमाशा चोर के, रहेंगे मौन.....

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