लोग बदल कर अपना स्वभाव हमें दिखला जातें हैं,
क्या करें क्या न करें हम बस सोच कर ही रह जाते हैं
सोच समझ कर ही फिर कोई निर्णय हम ले लेते हैं,
उसे नजर अंदाज करने की सामर्थ्य कर आगे बढ़ जाते हैं,-
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया हो गया है,,
हकीकत पर पर्दा दिखावा ज्यादा हो गया है,,-
ख्यालों की खिड़की से, पहले से वो ख्याल नहीं आते,
मन के भीतर से अब वो पहले से....कोई सवाल नही आते,
उसके होने से जो आबाद होता था जो चमन कभी,
अब वो पहले की तरह खिल कर बहार नहीं लाते,
गुजर रही है जिंदगी अब किसी शाम की तरहां,
पहले वाले दोस्त ना अब वो जाम नहीं लाते,
ढूंढना चाहे भी तो क्या .रुठ जाएं तो क्या,
मोहब्बत करने वाले अब मनाने नहीं आते,
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एक बार दृढ़ निश्चय कर लो,
तो मुश्किल कुछ भी नहीं,
माना कठिनाईयां आती है जीवन में,
मगर साहस से बड़ा कुछ भी नहीं,,
बस उम्मीद का दिया जलाएं रखना,
कोई ऐसा अंधेरा नहीं जो
रोशन ना हो सके.........l-
हर इंसान के अंदर होता है एक अच्छा
इंसान और एक होता है बुरा इंसान अर्थात्
शैतान,मन का वश में होना बेहद जरूरी है,
जब तक मन पर कंट्रोल है तो हम अच्छे ही है
और जब आहात होते हैं तो कंट्रोल नहीं रहता है ,
जरा सी ठेस क्या लगी कंट्रोल खत्म और वो
दूसरे वाला इंसान बाहर आ जाता है,चोट
जितनी बड़ी होती है,वो जुर्म की दुनिया में
उतना ही धंसता चला जाता है,,
उसे खुद नहीं पता कि वो क्या कर रहा है,
वो वह कर बैठता है जो नहीं करना होता है,,
और यही से शुरू
हो जाता है, बुरा समय....
इसलिए जब भी आहत हो तो शांत हो जाइए
बुरा समय निकल जाएगा,,
और मन का शैतान मर जाएगा,,-
कोई इच्छा है अगर अधुरी
टूटते तारे को देख कर मांग
लो,तो कहते हैं हो जाती है पूरी,-
सुहाना मौसम ... उफ्फ ये तेज हवाएं,
धरती की तपिश को ....
ये बारिश थोड़ा सा कम कर जाएं,
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औरतों की जिंदगी के सफ़र में
आत्मिक शांति नहीं मिलतीं है,
पहले अपने लिए लड़ती है
फिर बच्चों के लिए संघर्ष करती है,
समस्त जीवन बस क्रांति है l-
जिंदगी को कौन समझे कौन जाने,
झूठे आंसू झूठे उनके अफसाने,
मर जाने पर आती अच्छाई नजर,
जीते जी बुराई और मुंह पर ताने,-
बस तुझे देखा तो समझ आया,
दुनिया में ऐसे भी लोग होते हैं,
कुछ अंहकारी से ....
जिसको खुद के शिवा कुछ ओर
दिखाई भी नहीं देता ...
खुद की तुलना में सब कुछ
छोटा ही लगता .......,
अपने मुंह से वो अपनी ही तारिफें
करतें रहते ...
न जाने क्यूं किसी ओर को
सुनना ही नहीं चाहते ,
न बांटते किसी दूसरे का ग़म भी कभी ...
अपनी खुशियों के पुलिंदे बांधते रहते,
नहीं हम किसी से कम,
दुनिया में बस है हम...ll-