तन्हा रास्ते और ख्याल तुम्हारा,
दर्द निकलते हैं अखियों से बनकर अश्रु धारा,
कई बार तुम्हारे होने न होने की
सोच में लड़खड़ा जाते हैं क़दम,
कितनी बार खुद से गिर गिर
कर खुद ही सम्भल जाते हैं हम,
जीवन की उथल-पुथल से दूर दिल
निकल जाता हैं सुकून की छांव की तलाश में,
कुछ पल ही सही एक फिर से
चलें आना तुम मेरे ख्वाब में,-
मेरे प्यार की गहराई को समझ लेना तुम ....
न रह जाए कभी अरमान अधूरे ....-
जीवन में सब सुख, श्रम से मिलता है,
जीवन में इंसान महान, कर्म से बनता है,
कहते हैं साथ कुछ भी नहीं जाता,
इंसान की सिर्फ नेकियां जाती है साथ में,
उम्र भर श्रमिक बन कर परिवार पालता है ,
अन्त में कुछ भी नहीं रह जाता हाथ में.-
इतनी तेज धूप में झुलसते पेड़ पौधों ,
तड़पते पशु पक्षी, थोड़ी सी ठंडक ढूंढते हैं,
कितने है जो पेट भर खाते है,
कितने है जो भुखे पेट पर भी धिक्कारे जातें हैं,
पैसे वाले ने तो विज्ञान के विस्तार से,
अपनी सुविधानुसार सुकून अपनाएं है,
दुख तो उनके लिए होता है
जो धूप में श्रम करने पर भी खाली जेब आएं हैं,-
जहां मन हो वहां सजने संवरने का हुनर दिखाया कर,
मैं भी एक औरत हूं खुद पर, हमेशा गर्व किया कर,,-
स्वस्थ रखो तन को,
दिशा दिखाओ मन को,
प्रकृति से प्रेम करों,
मन को सकारात्मकता दो,
विचलित मन कभी न हो,,
हर क़दम उन्नति हो,-
मन का द्वंद जब भी चाहा शेयर करूं,
अपनों से मिलकर कुछ बातें करूं,
मेरे अपने ही तो मुझको समझ पाएं शायद,
मन का बोझ कुछ हल्का हो जाएगा शायद,
फोन मिलाया तो उनको खुद से ज्यादा उलझा पाया,
मैं कुछ कह भी नहीं पाई उन्होंने अपना दर्द सुनाया,
मैंने अपना मन समझाया खुद को तैयार किया,
और खुद ही से फैसला कर आगे क़दम बढ़ाया,-
सपनों की सुबह मुस्कुराई,
मन में बहुत उमंगें भर लाई,
महक उठी मन आंगन की बगिया,
कलियां जैसे खिल खिल कर आई,
मन सुनहरा दर्पण जैसा,
तन पर मेरे जैसे रौनक बढ़ आई,
धरती से आसमान तक,
सब कुछ जैसे सपना हो जादुई,-
जो कह ना सका दिल उन बातों
को भी तो कोई समझता होगा,
कोई तो होगा जो हमें भी
हमसे ज्यादा जानता होगा ,
उदास चेहरे पर भी लिखे
होते हैं चंद शब्द, कोई तो
होगा जो इन्हें पढ़ लेता होगा,-