प्रेम वेग को अपने बहाना छोड़ दिया
बहते दरिया को बाँध बना छोड़ दिया
बहते अश्कों में थे छिपे स्वप्न स्लोने
तेरे विरह में स्वप्न देखना छोड़ दिया
रिश्तों के तानों बानों में जिंदगी खो दी
ढूंढे नज़रे तुझे तूने क्यों छोड़ दिया
नौसिखिया सा शायर था मैं "मीता "
तुझपर शायरी करना अब छोड़ दिया-
सारी जिंदगी खाने पीने और कमाने में ही बीता दी
अब क्यों सोचे बादल ने ही क्यों बारिश बरसा दी
सोचा इश्क़ करने की दिल कैसे जोर जोर धड़कता है
आज सांस कि बीमारी से यारों धडकने अपनी बड़ा दी
चबाते थे गुटखा पान गिलौरी खैनी बड़े मजे से
अब तो इलाइची ने भी यारों दांतो पर कैप चढ़वा दी
सूट बूट पहन कर इठलाते, फैशन मस्ती में थे करते
झुकती कमर ने हाय: फैशन की ऐसी तैसी कर दी
जहाँ बुलंद आवाज़ हमारी सुन घर डर जाता था
सुनने टीवी के प्रोग्राम कानो ने इयर प्लग लगा दी
आँखे तो माशाअल्लाह बड़ी तीरंदाज थी हमारी
एनक ने बुढ़ापे का एलान कर नंबर जमा घटा कर दी
उम्र का तकाज़ा है अब, चुप चाप रहने की ठान ली
सबकी सुन सहज रहने की अब मन ने हामी भर दी
चौपाल जमती थी यारों के हँसी ठहाके होते थे भरपूर
कोई मर गया कोई बीमार उफ़ हमने बुढ़ापे से यारी कर दी
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हे प्रभु, दो मुझको सदज्ञान
मन का रावण है अज्ञान
द्वेष से भरा मन भंडार
तेरी प्रीत जो मिल जाये
बने मन मेरा सदगुण खान।।-
सोच रहा था बैठा अपने माझी के प्यार की बातें
ख्वाब टूटा और सोच ही सोच में रह गई बातें
दिखायी जिसने हर कदम रोशनी की उम्मीद
अब हर कदम पर याद आए उसकी ही बातें
अपनाकर उसे जिंदगी बन गयी थी मेरी संपूर्ण
जिंदगी अब जिंदगी ना रही रह गई उसकी बातें
जिस महफिल जाऊँ उसको ही रहता ढूँढता
महफिल में हर करता सिर्फ उसकी ही बातें
बहुत रह लिया खामोश के ख्याल उमड़ रहे
दिल -गिरफता मन मेरा करता जाने कितनी बातें
बैठी है मन के भीतर न जाने कब से डेरा जमाए
आती लगाता सीने से और करता बहुत सी बातें-
यादों की किताब में कुछ पन्ने मुड़े हुए हँ
ज़ब आओगे तो खोल कर पढ़ना
कुछ तेरी कुछ मेरी खट्टी मीठी सी
बातों का सिलसिला मिलेगा...
पलकें गीली मत होने देना
मुझे बुरा लगेगा, उस पल
जिस पल तुम पन्ने पलट रहे होंगें
मैं कहीं दूर तारा बनी
तुम्हें देख रही होंगी
बस मुस्कुरा भर देना, और
धीरे से बोलना "पगली "
मैं समझ जाउंगी तुमने मुझे
मेरी यादों को पढ़ लिया... और
बस उसी क्षण मैं मुक्त हो जाउंगी..
इंतज़ार करूंगी तुम्हारा अगले जन्म के लिये...!मीता-
इस बेवफा जिंदगी से वफ़ा की उम्मीद कैसी
जो चला गया उससे वापिसी की उम्मीद कैसी
जिसे न हो रिश्तों की समझ वो भरोसे लायक नहीं
बेमुरब्बत इंसान से मुरब्बत की उम्मीद कैसी
सह लिये बहुत दिल पर तेरे दिये ज़ख्म यारां
झूठी तेरी मुहब्बत अब तुझसे उम्मीद कैसी
हर रोज़ दुआ में दोस्तों की भलाई चाही हमने
धोखा देने वालो से विश्वास की उम्मीद कैसी
जो लोग भर देते रिश्तों में बातों के जहर"मीता "
सुधरने की ऐसे बद्ददिमाग़ लोगों से उम्मीद कैसी
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चल राही चल कर्म पथ पर है अकेला तू
क्या होगा सफर का अंजाम न सोचना तू
जैसा बीज तू बोयेगा फल वैसा ही पायेगा
मिट्टी को जैसा ढालेगा वैसी मूरत पायेगा तू
ना राम ही कुछ करेंगे ना कृष्णा ही आएगा
जैसा कर्म होगा तेरा वैसा ही भोग भोगेगा तू
हर पल घटता जा रहा ना तू हिसाब लगा
चला चल कर्तव्य पथ पर तो जी जाएगा तू
काँटों भरा है यह जीवन हंस बोल काट ले
सब्र है तेरे पास जीवन नैया तैर जाएगा तू।।-
मुफलिसी का ऐसा दौर आया यारों
उस अमीरजादी ने पल मे दूजा हाथ थाम लिया
हम तो देते रहे थे खुद को ही दोष
सालों का प्यार उस बेवफा ने पल मे छोड़ दिया-
आ रफू कर दूँ तेरे मेरे रिश्ते को
नाराजगी तेरी अब सही नहीं जाती
रात कटती ख्यालों में दिन गुजर जाता
धड़कनों से यारां याद तेरी नहीं जाती
बहक जाता सोच अतरंगी लम्हों को
सांसों से तेरी सांसों की महक नहीं जाती
चाहूं खुशी तुम्हारी पूरी हो ख्वाहिश सारी
तुम्हारा हसीन साथ पाने की चाहत नहीं जाती
लिखूँ जब भी कविता तस्वीर तेरी उभरती
इश्क ए अनुभूतियाँ "मीता"भुलायी नहीं जाती-