मिलकर हमसे तिरछी नज़र देखती हो फिर नज़र झुकाती हो
ऒर कनखियों से देखती हुई शर्माती हुई फिर नज़र गिराती हो
इरादा क्या है जानम नज़र उठाओ तो सही आस दबी दबी क्यों
दुप्पटा ऊँगली में लपेटत्ती मिट्टी कुरेदती हाय नज़र मिलाती हो-
बचपन से फटे कपड़ों पर पैबंद लगाकर पहनते थे
मेरी खुशी का आलम वो था जब ईदी पर नए कपड़े मिले
हार गया था मैं नौकरी की जद्दोजहद में भाग दौड़कर
मेरी खुशी का आलम वो था जब मेरी बुक के चर्चे होने लगे
चाँद की रोशनी में बैठ मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की
मेरी खुशी का आलम तब था जब मावस में जुगनओं ने रोशनी की
अपने दुखड़े सुनाने प्रभु को मंदिर मस्जिद के धक्के खाये
मेरी खुशी का आलम वो था जब माँगी मेरी मुरादे कबूल हो गई
गमजदा दुखता जमीर ले मैं उदास ही रहता था
मेरी खुशी का आलम वो था ज़ब तू खुशी बन मेरे आंगन उतर आई
अब अतीत को भूल अपने आज में जीना चाहता हूँ "मीता "
मेरी ख़ुशी का आलम अब यह है संतुष्टि भरा जीवन तेरे संग जीना है।।-
जीवन की असली कमाई है खूबसूरत रिश्ते
प्रेम का मजबूत धागा है ये खूबसूरत रिश्ते
हो चाहे कितने शिकवे शिकायतें आपस में
लंबा सफर तय करते हैं ये खूबसूरत रिश्ते
दे जाये गम यह दुनिया कितने ही सारे
गमों से निजात दिलाए ये खूबसूरत रिश्ते
एक विश्वास की डोर प्रेम की गांठ लगाते
हंसते बोलते खिलखिलाते ये खूबसूरत रिश्ते
छोटी सी है जिंदगी जी लो संग साथ में
दिल से हमेशा साथ निभाते ये खूबसूरत रिश्ते-
मेरे गूंजते मन की चुप्पी सुन ओ मेरी प्राण प्रिये
करूँ इश्क ए इजहार कैसे ओ मेरी प्राण प्रिये
मेरे जीवन की हर सांस तेरी तन मन है तेरा
तुझको कितना प्यार करूँ ओ मेरी प्राण प्रिय
पकड़ हाथ मेरा मन संशय अपने दूर करो
प्रणय निवेदन कर मैं हारा ओ मेरी प्राण प्रिय
हालात से करो समझौता समय बड़ा कठिन
साथ मिलकर करें शक दूर ओ मेरी प्राण प्रिय
सुनो ज़रा समझना मेरे दिल की बात सजनी
बीता समय ना आए दोबारा ओ मेरी प्राण प्रिय
आओ "मीता "करूँ तेरा इंतजार बांहे फैलाए
एक दूजे में खो जाए फिर ओ मेरी प्राण प्रिये-
कैसे सेंक लूं वक्त की दहलीज पर रोटियां उम्मीदों की
के उम्मीद ने कोई गुंजाइश न छोड़ी चाहत पूर्ण होने की
हर वो शख्स जो मुसीबत में साथ देने का हाथ बढ़ाता था
मुसीबत आते ही मुँह मोड़ गया टूट गयीं उम्मीद भरोसे की
बदलती राहें तेरी मेरी न जाने किस मोड़ मुड़ रही है
न मोहब्बत रही न दोस्ती रही, छोड़ दी राहें चाहत की
तपिश में जल रहे लोग लालिमा देख सूरज उग्रता की
जंगल कट रहे है कैसे करे उम्मीद पेड़ों की छाँव की
कोई और आकर मुझसे कहता तो मैं यकीन नहीं करता
तूने इनकार किया इश्क़ से दिल को आदत अब तन्हाई की-
शायरी लिख लिख मैंने खुद को जिंदा रखा है
मन के जख्मों को नज़्म रूप में लिख रखा है
इश्क तेरा , अहसास मेरे ,गुनगुनाता रहता हूं
कुछ जज्बातों को तेरे मिलने तक बचा रखा है
आंखों के रस्ते बह जाते है नाजुक यादों के मंजर
उन पलो को यादों की किताब में लिख रखा है
हिज़्र का दौर चल रहा है शायद सब गमजदा है
भूल जाऊं तेरा गम शराब में खुद को डूबो रखा है
ए हवा जा जाकर बता दे मेरे मोहसिन को
के दिल पर मैने उसका नाम गुदवा रखा है
दो चार दिन नाराज़ रहता तो सह लेता मैं मीता
उसने तो बेवफाओं में अपना नाम लिखा रखा है
बचा नहीं कोई रिश्ता बीच हमारे कैसे सब्र करूं
अपने नाम का ताबूत मैने पहले ही बनवा रखा है
-
हाथों में ले हाथ चलो चलते हैं
गाड़ी छूट न जाए जल्दी चलते हैं
सज गई है महफिल इंतजार तेरा
समां रंगीन है मेहमान तो जलते हैं
वक़्ती दौर है हालत साथ नहीं है
गम से न घबरा हालात बदलते हैं
रब की दुआ साथ है सब्र रख ले
मां की दुआओं का दम हम भरते हैं
तन्हा नहीं मैं तू जो संग है मेरे
दिल की बात है लोग तो जलते हैं
अंधेरे से पूछो उजाले की कीमत
जुगनू भी अंधेरी रात में चमकते हैं
छोटी सी है यह उम्र हंस के जी ले
खंजर को हर वक्त साथ ले फिरते हैं।।-
कितना सताती है तू बेवक्त कितना नचाती है तू
ए जिंदगी,कैसे-कैसे सितम हमपर ढाती है तू
खुशियों का एहसास दिलाती गम भी दे जाती है
हँसते मुस्कुराते प्यार मोहब्बतें गुनगुनाती है तू
चल रहे थे अकेले हम गुनगुनाते हुए सफर में
पकड़ा जो हाथ ख्वाहिशों से रूबरू कराती है तू
जिंदगी के कोरे पन्ने पर इश्क़ ए तस्वीर बनायीं
इंद्रधनुषी रंगों से रंग एहसास ए जन्नत कराती तू
बहन भी तू, मां भी तू, प्रेमिका भी तू ही है
ए जिंदगी बेश- कीमती हीरो से मुझे सजाती है तू-