Pardeep Chahal 12 NOV 2018 AT 20:05 इस तरह नाकामियों में शुमार हो गये हम,इश्क़ बनने चले थे, पर बाज़ार हो गये हम। - पंकज पाठक 28 NOV 2018 AT 22:51 मेरा दिल बेबस है शहर के अखबार की तरहवो ताकत-वर है विज्ञापन के बाज़ार की तरहमेरी किस्मत कि मुझे रद्दी के भाव बिकना हैउसे मुस्कुराते हुए छपना है हर-बार की तरहगिरते गिरते तू कितना गिर गया है, 'निशान'इस्तेमाल रोज हो जाता है, औज़ार की तरह - Shradha Bedidhall 6 JAN 2019 AT 12:55 समय बदलता रहा,हम घरों को बाज़ारों के बीच बनाते गये,जरूरतें बढ़ती रहीं,हम लुटाते रहे।अल्फाज़_ - PraGati PaNdeý 18 DEC 2018 AT 20:14 तलाश है उसकी जो रूह में उतर जाएजिस्मों की कीमत बड़ी सस्ती है बाज़ार में। - Gourav Kashyap 4 JUN 2020 AT 12:53 बाज़ार में भीड़ कुछ पहले सा लगता है,कोरोना का डर अब लोगों से खत्म सा लगता है,प्रिये अब तुम भी लौट आओ हमारे शहर में,बिन तेरे मेरे लिये ये शहर तो वीरान सा लगता है। - YQ Sahitya 13 NOV 2020 AT 18:19 - Amitesh 20 DEC 2018 AT 17:26 यही मौसम है जनाब.....अब 'प्यार' की महफ़िल....नहीं,"इश्क़" का बाज़ार लगा करता है...!! - Mohit Gummanwala 4 NOV 2018 AT 23:37 कुछ ही लोग ,इस गरीब से मिला करते है,अच्छे दोस्त ,नसीब से मिला करते है। - Anuup Kamal Agrawal 9 JAN 2018 AT 16:34 ये बाज़ार है दोस्तों,यहाँ कहानियाँ बिकती हैं,किताबें बिकती हैं,कलम बिकती है,और लेखक भी। - Shrey Saxena 29 MAY 2018 AT 23:06 कुछ किताबें और पढ़ाओ बाज़ार की दुर्गति बताने वालों को,शायद प्यार के बाज़ारू होने का पता नहीं चला इन्हें । -