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शोक में डूबा हुआ है देश मेरा, एक युग का अंत हुआ है आजस्वर साम्राज्ञी ने जीवन के संगीत का अंतिम सुर छुआ है आज -
शोक में डूबा हुआ है देश मेरा, एक युग का अंत हुआ है आजस्वर साम्राज्ञी ने जीवन के संगीत का अंतिम सुर छुआ है आज
#iamnishaanउससे लड़ कर नहीं, खेलते-खेलते ही अच्छा हो जाता हूंजब भी बड़ी मुसीबत आई है कोई तो बच्चा हो जाता हूं -
#iamnishaanउससे लड़ कर नहीं, खेलते-खेलते ही अच्छा हो जाता हूंजब भी बड़ी मुसीबत आई है कोई तो बच्चा हो जाता हूं
घर संभालना भी है मुझे, और ख़ुद भी संभलते रहना हैमैं वो दीया हूं जिसे हर तरह के तूफान में जलते रहना है -
घर संभालना भी है मुझे, और ख़ुद भी संभलते रहना हैमैं वो दीया हूं जिसे हर तरह के तूफान में जलते रहना है
अपनी जगह टिके रहना किस्मत है कुएं कीहवा के साथ बहते रहना मजबूरी है धुएं की -
अपनी जगह टिके रहना किस्मत है कुएं कीहवा के साथ बहते रहना मजबूरी है धुएं की
यही हमारी आदत है और हम ऐसे ही रिश्ते निभाते हैकिसी से मदद मांग लेते हैं किसी के काम आ जाते हैं -
यही हमारी आदत है और हम ऐसे ही रिश्ते निभाते हैकिसी से मदद मांग लेते हैं किसी के काम आ जाते हैं
घर कहीं गुम हो गया है उसको खोजता फिर रहा हूँ मैंबेजुबां इन सब तन्हा इमारतों से पूछता फिर रहा हूँ मैंकभी कच्चे मकानों में पक्के रिश्तों के साथ रहता थाअब उन सब से अलग कहाँ हूँ, सोचता फिर रहा हूँ मैं -
घर कहीं गुम हो गया है उसको खोजता फिर रहा हूँ मैंबेजुबां इन सब तन्हा इमारतों से पूछता फिर रहा हूँ मैंकभी कच्चे मकानों में पक्के रिश्तों के साथ रहता थाअब उन सब से अलग कहाँ हूँ, सोचता फिर रहा हूँ मैं
नसीहतों से कह दो अभी मैं मग़रूर हूँहालांकि सच ये है कि बहुत मजबूर हूँदिल का शहर, मरहम समझता है हमेंचोट खाये आशिक़ों में, ऐसे मशहूर हूँअब तो मेरे घर का पता ही मयखाना हैऔर दुनिया समझती है मैं नशे में चूर हूँ -
नसीहतों से कह दो अभी मैं मग़रूर हूँहालांकि सच ये है कि बहुत मजबूर हूँदिल का शहर, मरहम समझता है हमेंचोट खाये आशिक़ों में, ऐसे मशहूर हूँअब तो मेरे घर का पता ही मयखाना हैऔर दुनिया समझती है मैं नशे में चूर हूँ
क्या बताएं कि ख़ुद से कितना इश्क़ करते हैंयूँ समझिए कि तन्हाई में ज़्यादा ख़ुश रहते हैं -
क्या बताएं कि ख़ुद से कितना इश्क़ करते हैंयूँ समझिए कि तन्हाई में ज़्यादा ख़ुश रहते हैं
इस राह-ए-वफ़ा पे कब के संभल गए होतेबदलना होता, तो अब तक बदल गए होते -
इस राह-ए-वफ़ा पे कब के संभल गए होतेबदलना होता, तो अब तक बदल गए होते