पंकज पाठक   (निशान)
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शब्दों से भरपूर मगर, किताबों सा ख़ामोश हूं
Joined 12 April 2018


शब्दों से भरपूर मगर, किताबों सा ख़ामोश हूं
Joined 12 April 2018
10 MAR 2022 AT 2:27

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6 FEB 2022 AT 15:18

शोक में डूबा हुआ है देश मेरा, एक युग का अंत हुआ है आज
स्वर साम्राज्ञी ने जीवन के संगीत का अंतिम सुर छुआ है आज

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23 JAN 2022 AT 21:53

#iamnishaan

उससे लड़ कर नहीं, खेलते-खेलते ही अच्छा हो जाता हूं
जब भी बड़ी मुसीबत आई है कोई तो बच्चा हो जाता हूं

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20 JAN 2022 AT 23:50

घर संभालना भी है मुझे, और ख़ुद भी संभलते रहना है
मैं वो दीया हूं जिसे हर तरह के तूफान में जलते रहना है

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29 AUG 2021 AT 3:36

अपनी जगह टिके रहना किस्मत है कुएं की
हवा के साथ बहते रहना मजबूरी है धुएं की

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5 APR 2021 AT 0:29

यही हमारी आदत है और हम ऐसे ही रिश्ते निभाते है
किसी से मदद मांग लेते हैं किसी के काम आ जाते हैं

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25 MAR 2021 AT 21:39

ये बात अलग है कि वेब सीरीज भी बन सकती है
मगर नौकरी आईपीएस की भी ख़तरे में रहती है

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18 MAR 2021 AT 21:40

'निशान' कैसे कहूँ कि ये सियासत का दौर अच्छा है
वही सुरक्षित नहीं है, जिसके हाथ में हमारी सुरक्षा है

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19 FEB 2019 AT 13:27

घर कहीं गुम हो गया है उसको खोजता फिर रहा हूँ मैं
बेजुबां इन सब तन्हा इमारतों से पूछता फिर रहा हूँ मैं

कभी कच्चे मकानों में पक्के रिश्तों के साथ रहता था
अब उन सब से अलग कहाँ हूँ, सोचता फिर रहा हूँ मैं

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20 DEC 2018 AT 8:45

नसीहतों से कह दो अभी मैं मग़रूर हूँ
हालांकि सच ये है कि बहुत मजबूर हूँ

दिल का शहर, मरहम समझता है हमें
चोट खाये आशिक़ों में, ऐसे मशहूर हूँ

अब तो मेरे घर का पता ही मयखाना है
और दुनिया समझती है मैं नशे में चूर हूँ

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