जाओ और हर रंग ले आओ
एक रंग भी न छूटे।
मेरे हाथ भूल जाएं
किस रंग के थे वो।
आज हाथ बढ़ाऊंगा उसकी ओर पर,
नयन उसके ढूंढेंगे भोर की कलाकारी।
रंगों की सखी है वो,
कोई एक नहीं चुन पाती है।-
Let's catch up in Delhi sometime?
Former Head of Comm... read more
मैं तुझे ख़त लिखता हूं
ख़त जैसे
करती है बातें
सड़कें मंज़िलों से
सड़कें मिल ज़रूर जाती हैं
पर मंज़िल तक पहुंचते
राहगीर ही हैं।
........स्वाइप लेफ्ट— % &मैं तुझे ख़त लिखता हूं।
ख़त जैसे
कह देता है बेबाक
एक कलाकार अपने शब्द।
शब्द सुनते सब हैं,
मगर दिलों तक पहुंचते,
सिर्फ़ जज़्बात ही हैं।
.......स्वाइप लेफ्ट— % &मैं तुझे ख़त लिखता हूं।
ख़त जैसे
लिख देते हैं बेधड़क,
शब्दों को धुनों में।
गीत तो बन ही जाते हैं,
मगर कानों तक पहुंचता
सिर्फ़ दर्द ही है।
.......स्वाइप लेफ्ट— % &मैं तुझे ख़त लिखता था।
ख़त जैसे
रक्त से पिरोया
हर आंसू खुशी और ग़म का
रंग और शब्द तो दिख ही जाते थी,
पर मन तक पहुंचती
सिर्फ़ आवाज ही थी।— % &-
ये वो लोग नहीं जिन्होंने दोस्ती को कारोबार समझ लिया,
हवा में इनका इत्र तैरा और उन्होंने इसे प्यार समझ लिया।-
परों से पर लड़े थे हमारे कभी,
मोहब्बत मुझे आखिरी कर गई।
किताबों में ढूंढते रह गए हम
धड़कनें उनकी शायरी कर गईं।-
हाथों में कुछ चरखियां और छुअन कुछ अपनों सी,
मुस्कान चाहत सी, हंसी तेरी, ज़िंदगी भी सपनों सी-
गर्दिश जन्म देती है
तपसरे को।
उस तपसरे में मिलते हैं
तुम और मैं।
ये तपसरा अपने में बसाता है
एक अलग दुनिया
जो तुम और मैं
अपनी मर्ज़ी से बनाते हैं
एक दूसरे को समझते हुए,
सुनते हुए,
ना सिर्फ़ बातें
........................स्वाइप लेफ्ट— % &बल्कि धड़कनें भी।
वो क्या है न,
जीवन बनाने के लिए
हमारा होना जरूरी है।
मगर जीवन जीने के लिए
इन धड़कनों का संगीत
हमारे कानों में पड़ना
बार बार पड़ना
सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।— % &-
ना कभी तुम कुछ बोली ना कभी शिकवा किया,
कैसे लोग थे वो जिन्होंने तुम्हें ऐसे रुसवा किया,
इच्छा ज़ाहिर करने का कमाल तुम ख़ुद ही देख लो,
तुम्हें नाचना था तो लो हमने सावन ही रुकवा दिया।-
सलामत रहे वो वजह जिसपर गुरूर है तुम्हें,
वरना गर्व को मर्ज़ बनते भी बहुत बार देखा है।-
सामने बैठकर भी जाने कितने हमें देख न सके,
और आप सिर्फ आवाज़ भर से छवि बना बैठे।
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कैसे दिन आ गए हैं जो इतनी सोच में पड़ गए हैं शब्द,
कैसी अदायें ये तुम्हारी जो आंखों की बात नहीं मानती।-