भी संध्या को मुरझा जाता है
जब सूरज की किरणों से विदाई का पल आता है-
फूल डाल पर जब रहे, मन में बसे सुगंध
झर कर बिखरे राह में, टूटे जब अनुबंध-
वो फूल नहीं...
🌸फूलों की टोकरी थी...
वो सचमुच...👌😘
कमाल की छोकरी थी...-
सिखाता है हमें कि ..
चाहे सुख हो या दुख
धूप हो या छाँव
बस हमेशा मुस्कुराना ही है |
😊😊😊😊😊😊-
काली रात के साये ने जब मुझे चारो ओर से घेर लिया था.....
तब तुमने ही उम्मीद की किरण दिखाई...
ज़िन्दगी की हार ने इतना लाचार कर दिया था कि फूलों से भी चुभन महसूस होने लगी ....!!!!
खुद अपनी ही परछाई से मैं डरने लगी थी ....
तुम्हारी दस्तक से ज़िन्दगी ऐसे सवरने लगी जैसे मेरी आज़ादी को तुम्हारी ही तलाश थी......
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कांटे चुभने पर फ़ौजी ने मुस्कुरा दिया,
शायद वो कांटों के जज़्बात समझ गया,
न जाने फूलों को महफूज़ रखने में
उन्होंने कितनी गालियां खाई होगी।-
इनकी डालियां इनकी कलियां सुंदरता का एक नजारा है
महसूस कर के देखो इसको , सुगंध इसका बहुत प्यारा है
मुस्कुराता है हमेशा यह, अपने गमों को ख़ुद में छुपाकर
ख़ुद टूट जाता है अक्सर, पर रखता हम सबको मिलाकर
दर्द इसका कोई जान ना पाएं, कांटो के बीच जो रहता है
फ़िर भी हर पल मुस्कुराता, और दर्द को ख़ुद में सहता है
सीखना चाहिए हमे इससे बहुत कुछ कहता बिन कुछ कहे
कितनी कठोर हाथो से हमने, एक खिलता फूल तोड़ गए
जान होती है इसमें भी, पर लब्ज़ नहीं होता कोई इसका
तोड़ने वाले तोड़ जाते है, फ़िर मुरझा जाता है यह हमेशा
इनकी डालियां इनकी कलियां सुंदरता का एक नजारा है
महसूस कर के देखो इसको , सुगंध इसका बहुत प्यारा है-
फूल में खुशबू सी, फ़क़त ऐसे ही तू मुझमें रहे,
मेरी कदर रहे तब तक, जब तक तू मुझमे रहे,-
मुस्कराता हुआ फूल नहीं,वह कली है जो खिली नहीं
अभी भौंरे नहीं बैठे उस पर, झपकी उसे मिली नहीं
अभी खुद को देखा भी नहीं उसने, नजरों से हमारी
जो उसके लिए लिखे मैंने उसको शायरियाँ मिली नहीं
अभी तो मध्यम हवाओं के झोंको को जाना है उसने
तेज जो चलती है अभी वह आँधी तो चली नहीं
अभी तो सूरज की किरणों से उसने बढ़ना सीखा है
गर्मियों में जो चलती है वह लू तो लगी नहीं
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