मसल कर बढ़ जाते हैं हम गिरे फूलों को..
...और चाहत है हमें बागवानी की-
Shashank
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Joined 10 November 2017
21 SEP 2020 AT 16:45
मुझे चूमना है
गुस्से में
अंगारों सी लाल हुई
तुम्हारी ये नाक..
और राख करना है
आग के शोलों को
अपने होठों की गर्मी से।-
28 JUL 2020 AT 22:08
किताबें
एक मात्र
ऐसी संसाधन हैं
जिससे हमारे देश की
गरीबी दूर हो सकती है
फिर चाहे
वो आर्थिक हो या वैचारिक।-
27 JUL 2020 AT 15:48
तुम्हारे बारे में
सोचकर लिखना
मुझे पसंद नहीं
पता है क्यों?
(आओ कैप्शन में)-
26 JUL 2020 AT 21:49
अनायास लिखे गए शब्दों के एहसास
ठीक वैसे ही होते हैं जैसे
चलते चलते हमारी छोटी उँगलियों
का आपस में टकराना..
और धीमे से एक दूजे के गले लग जाना।-