QUOTES ON #प्रेमग्रंथ

#प्रेमग्रंथ quotes

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29 AUG 2018 AT 14:02

प्रेम तो यहाँ हर किसी ने किया...
फिर भी देखो कितना फर्क रहा....


दिल रोया इश्क़ में
और टूटकर बिखर गया...
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कलम ने हिम्मत की... उठी...
चली अथक वो मीलों तक...
और पूरा का पूरा एक प्रेमग्रंथ रच दिया.....

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8 AUG 2020 AT 9:27

मूमल की विरह इंतजार हो, महेंद्र की कसमसाहट हो,
मारू की दिल की प्रेम पुकार हो, फिर ढोला बेक़रार हो,
संयोगिता की तस्वीर हो, पृथ्वीराज के उसमें प्राण हो,
उजळी की बदन गर्माहट जो, जेठवै को जीवनदान हो,
कंवल का प्रेम स्वाभिमान हो, या चाहे केहर की कैद हो,
हीर को चाहे कोई जहर दे, चाहे रांझा बनते फ़क़ीर हो,
मस्तानी सी बहुआयामी हो, बाजीराव कम जिंदगी हो,
सोहिनी का घड़ा कच्चा हो, या महिवाल की चाकरी हो,
शीरीं की बला की खूबसूरती हो, फरहाद का जुनून हो!
बूबना दिल-ओ-जान हो, जलाल को दीदार की आस हो,
रूपमति सुरीली कंठ हो, चाहे बाज बहादुर की वफ़ा हो,
आम्रपाली हो नगरवधू जो, या बिम्बिसार मगध सम्राट हो,
भागमती चाहे बंजारन हो, कुली कुतुब का हैदराबाद हो,
हेलेना हो ग्रीक विदेशी जो, चंद्रगुप्त मौर्य चाहे स्वदेशी हो,
बणी-ठणी दासी कवियत्री हो, सावंत कला कद्रदान हो,
भारमली चाहे कोई दासी हो या मालदेव चाहे राजा हो,
रामी धोबिन की बात हो, चंडीदास का आत्मिक प्यार हो,
रजिया मल्लिका-ए-सल्तनत हो, चाहे याकूत गुलाम हो,
_राज सोनी
इतिहास की प्रेम मिसाल हो तो आपके प्रेम का हिसाब हो!

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18 JUL 2023 AT 20:54

रचना अनुशीर्षक में !

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31 AUG 2020 AT 7:48

ये प्रेम की किताबें,प्रेम के ग्रंथ,
प्रेम के महाकाव्य,
डाल दो सब किसी
पुराने तहख़ाने में,
तुम्हारे वो "ढाई आखर" ही काफी हैं
किसी बेजान हो रही,
प्रेमिका को,
फिर से जिलाने में

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19 MAR 2021 AT 21:13

कहानियाँ
और उपन्यास
स्त्री के जीवन का वो
हस्ताक्षर हैं
जिन अनुभवों से
स्त्री कभी न कभी
गुज़री है.

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24 NOV 2020 AT 17:14

मेरे प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलेंगे तुम्हें
वेद, शास्त्र और पुराण में,
और ना ही क़ुरआन की
आयतों में उकेरे हुए,
उन पर गीता में श्री कृष्ण भी मौन मिलेंगे,
और त्रिपिटक की जातक कथाओं में भी
कहीं उनका सार नहीं मिलेगा,
नया, पुराना दोनों टेस्टामेंट ताक रहे होंगे
एक दूसरे के चेहरे को,
और गुरबानी में भी उनका कहीं कोई
ज़िक्र नहीं होगा,
क्यूँ कि ये सभी ग्रंथ लिखे गए हैं
व्यक्तियों के द्वारा अपने-अपने धर्म,
ईश्वर, पंथ को ध्यान में रखकर
अपनी-अपनी मान्यताओं को
सिद्ध करने के लिए,
मेरे प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे तुम्हें
तुम्हारे हृदय की उस प्रथम प्रतिक्रिया में
जिसे तुम्हारी इंद्रियां महसूस करेंगी
मेरे प्रश्नों को सुनते ही।

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29 JAN 2019 AT 10:35

शब्द कहीं निष्प्राण पड़े रहे कोने, कलम उठी
अनथक चली और पूरा प्रेमग्रंथ लिख डाला

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30 NOV 2019 AT 0:12

तुम्हारे हाथों से बनी चाय से उठती भांप
सर्द सुबहों में मेरे सामने फैली हुई ये धुंध है
तुम्हें ये बताना पड़े .. तो लानत है ऐसी मोहब्बत पे!

तुम्हारे हाथों से मेरी शर्ट पर लगा ये काला बटन
मेरी शख़्सियत पर लगा तुम्हारा नज़र का टीका है
तुम्हें ये बताना पड़े .. तो लानत है ऐसी मोहब्बत पे !

तुम्हारे घने लंबे बालों की कमरे में पसरी ये महक
मेरे जीवन में तुम्हारे होने का एहसास दे जाती है
तुम्हें ये बताना पड़े .. तो लानत है ऐसी मोहब्बत पे !

तुम्हारे माथे पे सजे सिंदूर की लालिमा का रंग
मेरे रोम रोम में बहते लहू में मोहब्बत भर देता है
तुम्हें ये बताना पड़े .. तो लानत है ऐसी मोहब्बत पे !

तुम्हारे कशीदे से सजे मेरे रुमाल पर हमारे नाम
सदियों तलक दोहराया जाने वाला प्रेम ग्रंथ है
तुम्हें ये बताना पड़े .. तो लानत है ऐसी मोहब्बत पे !

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27 MAR 2019 AT 0:04

प्रेमग्रंथ
(अनुशीर्षक में)

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13 JAN 2022 AT 6:38

: प्रेम ग्रंथ का बीचों बीच वाला पन्ना :–
प्रेमिका एक ही वक्त में प्रेमी को
रुला कर ,हंसा सकने की क्षमता रखती है!
प्रेमी उस के साथ ऐसा करने में असमर्थ रहेगा,
उसे वक्त लगेगा कम या ज्यादा।

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