RoHit Singh Baghel   (रोHit)
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Joined 20 November 2017


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16 APR AT 0:19

आइना वही था
चेहरे बदलते रहें।

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21 JAN AT 22:59

।।जय श्री राम ।।

चंचल चितवन चकोर चरण, लेकर प्रभु निज धाम आए ।
रघुरायी सदा अमर रहे, रघुकुल के दीप राजा राम आए ।।


हो गया दूर तमस जग का, वर्षो का धर्म युद्ध जीत गए ।
झूम उठा अवध उत्सव में, नर नारी में नव प्राण आए ।।


तर गए इहलोक के वासी, नहीं रही चाह भवसागर की ।
हो जायेगी पार तरणी , जब केवट भव पति राम आए ।।


पापी पाहन पथ के हो गए अलग, हुए मुक्त पाप से सब ।
जब पुण्य चरण स्पर्श लेकर, मां अहिल्या के राम आए ।।


छंट गए शूल राह के स्वयं खुद से, प्रभु के वंदन में आज ।
धन्य हो गए धरा के सब, जब मां शबरी के प्रभु राम आए ।।


नाच रहे उत्सव में अवध वासी, हो कर के सब मस्त मगन ।
हुई धन्य लेखनी तुलसी की, जब बाल रूप में प्रभु राम आए ।।

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19 JAN AT 13:22

छोड़ जाता होगा जरूर कोई, अपने मोती और खारापन उसमे,
वर्ना आसां कहां होता किसी के आंखों का यूं सागर हो जाना!

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11 JAN AT 18:57

किसी को कुछ तो किसी को खास मिला,
किसी को मंज़िल तो किसी को आस मिला।

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31 DEC 2023 AT 10:26

ये कुहरा नहीं शौक–ए–दीदार पे कुदरती पर्दा है
दिसंबर फिर बेचैन हो उठा है जनवरी के लिए !!

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23 DEC 2023 AT 13:59

एक ही तने के एक ही शाख से जुड़े हैं और पोषित हैं
तेज़ाब चेहरे में पड़े या दरख़्तों पे, ज़ख्मी हम ही होंगे!

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17 DEC 2023 AT 9:52

कलम,कनस्तर,किताबों का नया कारोबार चाहिए,
नई सरकार चाहिए ना अब कोई रोजगार चाहिए।

कई शख्स मौजूद है यहां कुनबे-ऐ-शातिर में जनाब,
बंद रखिए किबाड़‌ ना‌ अब घर कोई अखबार चाहिए।

साहिब-ए-फरमान ज़ारी हुआ है कल अहले-कौम में,
परेशानियां लेकर घूमिए ना अब कोई सुखनवार चाहिए।

इक उंगली ही काफी है बेगुनाह को मारने के माफिक,
खाम़ोश रखिए हाथों को ना अब कोई हथियार चाहिए।

निज़ाम ने लूट रखी है वाह वाही सारी खुद-बा-खुद से,
बैठिए जनाब शेर लेकर ना अब कोई अश-आर चाहिए।

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28 NOV 2023 AT 6:35

ओढ़ लेता हूं यादें वस्ल-ए-यार की तन्हाई में
ये सर्दियों की रात है सिर्फ रजाई काफी नहीं!

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26 NOV 2023 AT 12:27

घायल है लड़ा बहुत है मर जाएगा,
बेचारा प्यासा बहुत है घर जाएगा ।

जमीनें, रिश्तों से ज्यादा कीमती हैं,
ना दिया ग़र रास्ता तो सर जायेगा ।

इक बाग़ के ‌अब खरीदार बहुत हैं,
शहर जाएगा ग़र तो शज़र जाएगा ।

बेघर परिंदा किस राह को मुड़ेगा अब,
अंदर घर को जाएगा तो डर जायेगा ।

ये दौलत, शोहरत तो सब बे-कीमती है,
सल्तनत तो उसकी है तू किधर जाएगा ।

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23 DEC 2022 AT 12:30

तुमसे बिछड़ के तो मैने अब "शहर" जाना है
ख़ामोशी तक में तो मुझे तुम सुनाई आती थी

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