कविता और सरिता पर
किसी का हक़ नहीं होता
ये बस बहने के लिए होती हैं,
मेरी, तुम्हारी या उसकी कविता
जैसी सब बातें अक्सर
केवल कहने के लिए होती हैं।-
ना हमारी बोली में क़बीर सा खड़ापन आता है,
ना अंग्... read more
ख़ुश रहने के लिए
हमेशा मुस्कुराना
ज़रूरी हो या न हो मग़र
कभी-कभार रो लेना
बेहद ज़रूरी है,
क्यूँकि
नदियों में आती बाढ़
भले ही किनारे बसे
नगरों को ना सुहाती हो
लेकिन नदियों के लिए
ज़रूरी होती है,
सबकुछ अंदर भरा रहे तो
आगे बढ़ना
मुश्क़िल हो जाता है।-
मेरे रंगों के हाथ
फ़ीके पड़ने लगे हैं,
लाल अब प्रेम त्याग रहा है,
गुलाबी हया,
नीले ने शब्दों से हाथ धो लिये हैं
केसरिया ने त्याग से,
पीला अब मुस्कुराना नहीं चाहता
और हरा लहलहाता नहीं,
सफ़ेद अब शान्ति नहीं
क्रान्ति चाहता है,
और काले को अब
अपने सारे मनहूस कलंक
धो डालने का मन है,
और मौन से लथपथ
रंग भरी कूची लिये मेरा मन
मेरी आत्मा को पनीला देखकर
रंगों की उदासीनता पर
मुस्कुरा रहा है।-
कभी कभी हम
अपने मन में चल रहे
शोरगुल के इतने आदी हो जाते हैं
कि कुछ समय बाद
हम ये अंतर नही देख पाते कि
वो शोर है या शान्ति,
(अनुशीर्षक में)-
तुम्हारे बाद सबसे मुश्क़िल
अपने आप को ख़ुश देखना रहा
(अनुशीर्षक में)-
जीवन में सबसे बड़ा छल
अपने साथ हम स्वयं ही करते हैं,
अपने तथ्य, सत्य,
तर्क-वितर्क आदि को
दिल और दिमाग में बाँटकर,
दरअसल दिल और दिमाग की
लड़ाई जैसा कुछ नहीं होता,
ये हम ही हमसे लड़ते हैं,
कभी कभी हम
एक ही कहानी को
कहानी के दो अलग अलग
क़िरदारों से सुन लेते हैं,
और दोनों ही
अपनी अपनी कहानी को
हमारी कहानी बनाने में
सफ़ल हो जाते हैं,
बस वहीं से शुरू होता है,
द्वंद्व, यानी वो युद्ध
जो दिल और दिमाग के बीच
लड़ा जाता है।-
जब मैंने उससे कहा था,
"मैं तुमसे शादी नहीं कर पाऊँगी।"
तब मैं सबसे ज़्यादा ईमानदार थी,
इससे पहले मुझमें इतनी हिम्मत
कभी नहीं थी,
और जब मैंने उससे कहा था,
"तुम किसी और से शादी कर लो।"
तो उससे बड़ा झूठा और
बेमन से बोला गया वाक्य
मैंने जीवन में कभी नहीं बोला था,
और मुझे ये दोनों वाक्य एकसाथ बोलने पड़े,
यूँ तो ख़ुद को हिपोक्राइट स्वीकारने से
मुझे कभी परहेज़ नहीं रहा,
लेकिन उस दिन ये हिपॉक्रसी
अपने चरम पर थी।-