"One is not born, but rather becomes, a woman."
~ Simone de Beauvoir
(अनुशीर्षक में)-
ना हमारी बोली में क़बीर सा खड़ापन आता है,
ना अंग्... read more
किसी की अस्मत किसी की हसरत होती है
ख़ुशक़िस्मती भी कितनी बदक़िस्मत होती है
किसी का बोझ किसी की भागीदार होती है
ज़िम्मेदारी भी इक दिन ज़िम्मेदार होती है
किसी का हीरा किसी का हीरो हो जाती है
एक को लाख करते करते ज़ीरो हो जाती है
किसी का दहर किसी की दहलीज़ होती है
बहादुर हो जाये ग़र तो बदतमीज़ होती है
भगवान कभी तो कभी भाग्यवान होती है,
मुझे तो आश्चर्य है कि वो भी इंसान होती है।-
उसकी चाहत थी
मुझे सीने से लगाकर
मुझसे लिपट जाने की,
लेकिन वो बस ये पूछकर रह गया,
"क्या अब भी
दुपट्टे में पूरी तरह लिपट कर
घर से निकलती हो?
या थोड़ी बेफ़िक्री आ गई है
दुनिया की नज़रों के प्रति।"
(अनुशीर्षक में)-
जब एक ही व्यक्ति से
बेहद प्यार और नफ़रत
दोनों हो जाये तो
वो दुनिया हो जाता है,
और दुनिया
किसी की नहीं होती।-
कविताएँ सामान्य तथ्य और सत्य पर ही
लिखी जायें ये ज़रूरी नहीं,
अपवाद भी कविताओं की विषय वस्तु होने के
उतने ही योग्य होते हैं।-
एक अकेलापन दुनिया कभी दूर नहीं कर पाती
और एक अकेलापन दुनिया कभी दे नहीं पाती।-
कभी कभी
साँसों का सीने से गुज़रना
मुश्क़िल हो जाता है,
सोचती हूँ कि
दिल ने ज़्यादा जगह
घेर ली है या,
हवा में कुछ कमी है,
ख़ैर हालात के माथे
ठीकरा फोड़ना हमेशा ही
बेहतर विकल्प
प्रतीत होता है,
आख़िरकार कुछ ग़लतियाँ
जानकर और मानकर भी,
उन्हें सुधारना
नामुमकिन होता है।-
तुम्हें याद रखने की
ज़िद के सामने
घुटने टिकने ही वाले थे,
कि एक दिन तुम्हें
भूल जाने की
ज़रूरत महसूस हो गई।-
क्या पता ख़ामोशी ख़त्म होते ही
हमारे बीच सबकुछ ही ख़त्म हो जाये,
क्या पता,
मेरे मन में फिर कोई सवाल न उठे,
(अनुशीर्षक में)-