Prerna Chaudhary   (© प्रेरणा)
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Joined 9 October 2018


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7 HOURS AGO

क्या छीन लिया है
हमने उनका,



जिसे ढूँढ़ते ढूँढ़ते नदियाँ
क़स्बों और शहरों में आ गई हैं?

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14 AUG AT 11:14


जीवन भर अपने स्त्री होने की
कुढ़न सहते सहते एक दिन
अंततः स्वयं भी मन ही मन
पुरूष हो चुकी वो स्त्री

(अनुशीर्षक में)

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9 AUG AT 23:41

कुछ लोगों के साथ
हम ये कभी जान ही नहीं पाते
कि हम उनके साथ
इसलिए हैं
कि हम उनसे प्यार करते हैं
या फिर इसलिए कि
हम उन्हें जाने नहीं देना चाहते
क्यूँकि
अब जीवन में किसी को
जगह देने की
इच्छा और ज़रूरत
दोनों ख़त्म हो चुकी हैं।

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4 AUG AT 12:29

असल में हम
जीवन के तले दबते जा रहे
अपने मन को मरने से
बचाने की कोशिश में खोये रहते हैं,

(अनुशीर्षक में)

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1 AUG AT 19:48

तुम ही बताओ के ऐसा कहाँ होता है
चाहते हैं जैसा, वैसा कहाँ होता है

तोड़के भी दिल जो दिल से ना निकल पाये
हर शख़्स तिरे ही जैसा कहाँ होता है

वो तो सुकून की बात है फ़क़त वरना
यार सुख़नवरी में पैसा कहाँ होता है

तू गिरे हद से ज़्यादा तो हम भी गिर जायें
हर दफ़ा जैसे को तैसा कहाँ होता है

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28 JUL AT 22:41

वही समय अच्छा था जब लोग प्रेम पत्र लिखा करते थे,
तस्वीरों में कम लोग तसव्वुर में ज़्यादा दिखा करते थे,
दूरी जब नज़दीकी का सबसे बड़ा कारण हुआ करती थी
चिट्ठियाँ उन सारी बेचैनियों का निवारण हुआ करती थीं
जब ख़ैरियत पूछना व्यवहार नहीं ज़रूरत सी होती थी
वो कम एडवांस ज़िन्दगी कितनी ख़ूबसूरत सी होती थी
अब तस्वीरों पर लाइक भी हटा देते हैं लोग अक्सर
एक ज़माना था जब सोते थे उन्हें तकिये तले रखकर
बात भी क्या करें, वो बात नहीं अब किसी भी बात में
सब निकल गया हाथ से जबसे आ गया है फोन हाथ में।

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27 JUL AT 21:57

कविताओं के सफ़र से फ़ुरसत ली है
और सफ़र की कविताओं से वाबस्ता हो रहे हैं,
हम अपने जैसे आहिस्ता आहिस्ता हो रहे हैं।

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24 JUL AT 22:20

एक जोड़ा पंख हैं मेरे
कहो तो बाँधकर ले आऊँगी
यदि न हो चोटिल अहम तुम्हारा
उन पंखों को फैलाऊँगी

(अनुशीर्षक में)

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21 JUL AT 23:36

तुम कितनी सुन्दर और
सरल हुआ करती थी
या तुम कितनी सुन्दर थी
जब तुम सरल हुआ करती थी,

(अनुशीर्षक में)

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20 JUL AT 23:15

कितनी ज़िम्मेदारियाँ हैं न
हमारे कंधों पर,
हमें नदियों की आत्मा बचानी है
और हवा की देह,
ज़मीन की नमी बचानी है,
और रेत की ख़ुश्की
समुन्दर की गहराई बचानी है
और ग्लेशियर की ऊँचाई,
चरित्र की सम्पत्ति बचानी है और
सम्पति का चरित्र,
मग़र इन सब को हम बचा सकें
उससे पहले हमें बचाना होगा
ख़तों को love letters से
Suicide notes हो जाने से।

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