Prerna Chaudhary   (© प्रेरणा)
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Joined 9 October 2018


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11 MINUTES AGO

"One is not born, but rather becomes, a woman."
~ Simone de Beauvoir

(अनुशीर्षक में)

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18 HOURS AGO

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29 APR AT 11:40

किसी की अस्मत किसी की हसरत होती है
ख़ुशक़िस्मती भी कितनी बदक़िस्मत होती है

किसी का बोझ किसी की भागीदार होती है
ज़िम्मेदारी भी इक दिन ज़िम्मेदार होती है

किसी का हीरा किसी का हीरो हो जाती है
एक को लाख करते करते ज़ीरो हो जाती है

किसी का दहर किसी की दहलीज़ होती है
बहादुर हो जाये ग़र तो बदतमीज़ होती है

भगवान कभी तो कभी भाग्यवान होती है,
मुझे तो आश्चर्य है कि वो भी इंसान होती है।

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28 APR AT 23:41

उसकी चाहत थी
मुझे सीने से लगाकर
मुझसे लिपट जाने की,
लेकिन वो बस ये पूछकर रह गया,
"क्या अब भी
दुपट्टे में पूरी तरह लिपट कर
घर से निकलती हो?
या थोड़ी बेफ़िक्री आ गई है
दुनिया की नज़रों के प्रति।"

(अनुशीर्षक में)

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20 APR AT 18:05

जब एक ही व्यक्ति से
बेहद प्यार और नफ़रत
दोनों हो जाये तो
वो दुनिया हो जाता है,
और दुनिया
किसी की नहीं होती।

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19 APR AT 23:11


कविताएँ सामान्य तथ्य और सत्य पर ही
लिखी जायें ये ज़रूरी नहीं,
अपवाद भी कविताओं की विषय वस्तु होने के
उतने ही योग्य होते हैं।

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19 APR AT 20:21

एक अकेलापन दुनिया कभी दूर नहीं कर पाती
और एक अकेलापन दुनिया कभी दे नहीं पाती।

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19 APR AT 0:27

कभी कभी
साँसों का सीने से गुज़रना
मुश्क़िल हो जाता है,
सोचती हूँ कि
दिल ने ज़्यादा जगह
घेर ली है या,
हवा में कुछ कमी है,
ख़ैर हालात के माथे
ठीकरा फोड़ना हमेशा ही
बेहतर विकल्प
प्रतीत होता है,
आख़िरकार कुछ ग़लतियाँ
जानकर और मानकर भी,
उन्हें सुधारना
नामुमकिन होता है।

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16 APR AT 14:56

तुम्हें याद रखने की
ज़िद के सामने
घुटने टिकने ही वाले थे,
कि एक दिन तुम्हें
भूल जाने की
ज़रूरत महसूस हो गई।

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14 APR AT 9:11


क्या पता ख़ामोशी ख़त्म होते ही
हमारे बीच सबकुछ ही ख़त्म हो जाये,
क्या पता,
मेरे मन में फिर कोई सवाल न उठे,

(अनुशीर्षक में)

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