मैं तुम पर ग़ज़लें लिखता हूँ
लेकिन बह्र नहीं होता है
मैं तुम पर कविता कहता हूँ
उनमें कहर नहीं होता है
तुमसे दो बातें ग़र कर लूँ
बोलो ज़हर हुआ कैसे!-
रोली 🍃
(अभिलाषा)
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🥀अपने टुकड़ों से तेरे टुकड़ों को जोड़ दूँगा
चल तुझे साल के आखिरी छोर तक छोड़ दूँगा🥀
@ AAG
फ... read more
चल तुझे साल के आखिरी छोर तक छोड़ दूँगा🥀
@ AAG
फ... read more
Joined 16 May 2017
13 JUL AT 12:09
10 JUL AT 10:39
कलम के गुरुत्व को नमन!
लेखनी को नमन!
जिन पलों में कलम आलोकित हुई उन पलों को नमन!
गुरु अपना गुरुर बनाये रखना! 🙏-
4 JUL AT 11:02
प्रेम भर गया तू मुझमें
मुझको घृणा से तार कर
टूट गया किनारों में क्यों
मुझे अम्ल सिंधु में उतार कर-
3 JUL AT 12:44
मिलते ही यों चूमा था
एक दूसरे को
कि रह गये थोड़े थोड़े
एक दूसरे में
उन्हें जल्दी थी अलग होने की
एक दूसरे से-
3 JUL AT 8:28
हम जो नहीं हैं बस वही अभिनय करते रहते हैं. कभी-कभी इस दुनिया को थोड़ा ऊपर उठकर समझने के प्रयास में पाती हूँ कि हम सभी ईश्वर के इस चलचित्र रुपी संसार में इंसान होने का अभिनय करने आये हैं.
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