इस दुनियां में माँ जैसा मुझे न नज़र आए
माँ की दुआओं का असर खुदा तक जाए
खुद रहती मुफ़्लासी में,हमे शहजादा बना देती है
लड़खड़ाते कदमो को चलना सीखा देती है
रखती है ख्याल हर छोटी छोटी बातों का
थकती नहीं दिनभर रखती नहीं हिसाब रातो का
अपने मुँह का निवाला भी हमे खिला देती है
दर्द हर अपना मुस्कुरा कर सहती है
जिंदगी जीने का हर पाठ पढ़ाती है
झूठी दुनियां में सच की नाव चलाती है
अपना पेट काट कर हमारे लिए बचाती हैं
माँ ही है जो हमे रब से मिलाती है
इस अँधेरी दुनियां का वही प्रकाश है
हर बच्चे की वही आखरी आस है
पूरी हो जाए वो मन्नत है
माँ जीती जागती जन्नत है।
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5 SEP 2021 AT 6:43
6 JUN 2020 AT 15:36
उठत चलत पग, मटकत चटकत,
चपल नयन घन, मन मन हरषत।
भजत सकल जग, हरत सकल भव,
नयन कमल सम, नमन चरण तव।-
9 APR 2022 AT 11:19
ईश्वर पूज्य श्री बापूजी की प्रथम पुण्यस्मरण तिथि पर उनके चरणों में शत शत नमन!
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3 NOV 2020 AT 12:44
प्रथम बार मिला धोखा ही
कोई तकलीफ़ देता है
बाद में मिले धोखे तो
सिर्फ याद दिलाते हैं
प्रथम धोखे की!-
4 AUG 2017 AT 16:17
चिर निरंजन अभयंकर अंधकार था
पर प्राण प्रणय का श्वास था
मंथर मंथर पवन अभिसिंचित
दिवाकर का प्रथम आभास था
कुछ रिक्त था हृदय कुञ्ज में ,
हाँ कुछ अनुरिक्त अभाव था
पर कल वो सभाव था ,आज निराभाव है....
आज निराभाव है ........
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