Kaise ho sab ?
-
हाँ मैं अपने दिल की बात लिखता हूँ
दिन लिखता हूँ रात लिखता हूँ
... read more
बदिशें कितनी भी हो मगर मैं तुझे लेने आऊँगा
रहेंगे साथ हम हमेशा तेरे संग जिंदगी बिताऊँगा
क्या हुआ मजहब है हमारा अलग -अलग
तू बन जाना इंसान मैं भी इंसान बन जाऊँगा
तोड़ दूँगा नफरतों की सारी दीवारों को
तू बनना अक्स मैं आईना बन जाऊँगा
गर नहीं रहने देंगे इस धरा पर हमे लोग
तो मैं आसमाँ में तेरा घर बनाऊँगा
रहगे सपनो की दुनियाँ में हम दोनों
तू बसना मेरी आँखों मे मैं तेरे दिल मे जगह बनाऊँगा
किया तूने मुझे पर एतबार हर दम
मर भी गया तो अगले जन्म में मिलने आऊँगा
बंदिशें कितनी भी हो मगर मैं तुझे लेने आऊँगा
रहेंगे साथ हम हमेशा तेरे संग जिंदगी बिताऊँगा-
मिलना बिछड़ना सब लाजमी है
शायद यह दिन अब आख़री है
पता ही न लगा कब अजनबी अपने हुए
मिले थे बहुत पहले,लगता है बात आज की है
यह दौलत,शोहरत किस काम की
कमी तो बस एक मुलाकात की है
लिख तो हम कागज पर सकते थे
पर बात तो दिल के जज्बात की है
टपकते है बादल अब तो रात-दिन
कीमत तो अश्कों के बरसात की है
जो हुआ अच्छा हुआ हम ये मानते है
गलती आपकी नहीं गलती हालात की है
मिलना बिछड़ना सब लाजमी है
शायद यह दिन ...........-
यह दौलतो और शोहरतो की झूठी शान है
यह जिंदगी सिर्फ चार दिन की मेहमान है
बन जाता है कोई अजनबी भी अपना
कोई अपना बनकर भी रहता अनजान है
यह जिंदगी सिर्फ चार दिन की.......
मिलता है सबको यहां किस्मत का लिखा
कोई कर्मो से बन जाता यहां महान है
बिक जाते कुछ लोग गुलाबी नोटो पर
कुछ के लिए यह कागजी दुकान है
यह जिंदगी सिर्फ चार दिन की........
सूरज गर देगा हमे आग सी गर्मी
तो एक आसमाँ में चमकता शीतल चाँद है
बिछड़ कर भी अपने अल्फाज़ो में अमर रहेंगे
यही एक अदत शायर का आख़री मुकाम है
यह जिंदगी चार दिन की........-
दोस्ती एक अहसास है
जिसमे दो अनजाने
सख्श मिलते है
ओर बन जाते है खास है
सुख-दुख एक दूसरे का
सहज ही अपनाते है
दिल की हर बात
एक दूजे को बताते है
खून से भी गहरा
रिश्ता बन जाता है
एक जब हो जाएं उदास
तो दूसरा उसे हँसाता है
ठंडी हवा का झोखा है
रब का दिया एक तोफा है
न खोना सच्ची दोस्ती कभी
दिल से निभाना कहाँ सोखा है.....-