कजरी के गीत मिथ्या हैं... -
कजरी के गीत मिथ्या हैं...
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लौट आया है गुलमोहर का मौसम फिर से शहर मे..लौट आओ न तुम भी... -
लौट आया है गुलमोहर का मौसम फिर से शहर मे..लौट आओ न तुम भी...
तुम हंसती हो तो मेरे चेहरे पर चाँद उतर आता है...तुम लिखती हो और एक ग़ज़ल मुकम्मल होती है...तुम्हारे सजदे मे होते हैं आसमान के तारे...तुम्हारे पंख देख तितलियाँ उलझती हैं.... -
तुम हंसती हो तो मेरे चेहरे पर चाँद उतर आता है...तुम लिखती हो और एक ग़ज़ल मुकम्मल होती है...तुम्हारे सजदे मे होते हैं आसमान के तारे...तुम्हारे पंख देख तितलियाँ उलझती हैं....
ऐ शिवानी... -
ऐ शिवानी...
तोरी ऊँची अटारी...मैने पंख लिए कटवाय.... -
तोरी ऊँची अटारी...मैने पंख लिए कटवाय....
माँ गमकती है घर भर मे गौरैया सी चहकती है.... -
माँ गमकती है घर भर मे गौरैया सी चहकती है....
उस साल बसंत आया था.... -
उस साल बसंत आया था....
धुरपतिया... -
धुरपतिया...
उसे देखकर अक्सर मैने महसूस किया है कि कैसे एक औरत मे समाहित है पृथ्वी की शालीनता नदी की बेचैनी..पहाड़ सा सौन्दर्य और समुद्र सी गहराई... -
उसे देखकर अक्सर मैने महसूस किया है कि कैसे एक औरत मे समाहित है पृथ्वी की शालीनता नदी की बेचैनी..पहाड़ सा सौन्दर्य और समुद्र सी गहराई...
चाहती हूँ फिर से उस आँगन की चंपा होना.... -
चाहती हूँ फिर से उस आँगन की चंपा होना....