APARNA ASTHANA  
648 Followers · 175 Following

Joined 11 September 2020


Joined 11 September 2020
30 APR AT 12:17

कजरी के गीत मिथ्या हैं...

-


29 APR AT 16:12

लौट आया है गुलमोहर का मौसम
फिर से शहर मे..
लौट आओ न तुम भी...

-


24 APR AT 9:32


तुम हंसती हो तो मेरे चेहरे पर
चाँद उतर आता है...
तुम लिखती हो और
एक ग़ज़ल मुकम्मल होती है...
तुम्हारे सजदे मे होते हैं
आसमान के तारे...
तुम्हारे पंख देख
तितलियाँ उलझती हैं....

-


23 APR AT 10:29

ऐ शिवानी...

-


16 APR AT 11:47

तोरी ऊँची अटारी...
मैने पंख लिए कटवाय....

-


14 APR AT 19:44

माँ गमकती है
घर भर मे
गौरैया सी चहकती है....

-


21 MAR AT 20:27

उस साल बसंत आया था....

-


17 MAR AT 20:31

धुरपतिया...

-


8 MAR AT 15:58

उसे देखकर अक्सर मैने महसूस किया है कि
कैसे
एक औरत मे समाहित है
पृथ्वी की शालीनता
नदी की बेचैनी..
पहाड़ सा सौन्दर्य
और
समुद्र सी गहराई...

-


27 FEB AT 20:28

चाहती हूँ फिर से
उस आँगन की चंपा होना....

-


Fetching APARNA ASTHANA Quotes