Deepika Tiwari   (D. T.)
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Joined 20 October 2019


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10 JUN AT 12:48

कच्ची कलियांँ, कच्ची दुनिया, कच्चे सारे रंग ।
प्रीत का इक रंग न छूटा धुल गया सारा अंग ।।

प्रलय हुआ, संसार मिट गया, टूटा श्वासोंश्वास ।
मरते मरते भी ना छूटी पिया मिलन की आस ।।

विरह में जलके राख हो गई कैसा ल्याया रोग ।
कोई बैद समझ ना पाया पिया मिलन का जोग।।

श्वास श्वास पे नाम उसी का जाप हृदय से होय।
मन की पीड़ा राम ही जाने और न जाने कोय ।।

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25 APR AT 22:08






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6 APR AT 20:28

राम हमारे प्राण तुम
जीवन का आधार तुम
तुम से ही साँसे हैं मेरी
मेरा पूरा संसार तुम

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29 MAR AT 22:33

कितना खालीपन है! दुनिया कितनी अर्थहीन है! सब कुछ कितना बेमानी है! ..... उतना ही जितना अदरक के बिना चाय, बिन घी की दाल, त्रिकोणमिति के बिना गणित, गुरुत्व बल के बिना भौतिकी.... और.. प्राचीनता के बिना इतिहास...!
कोई मायने नहीं ज़िंदगी के... कोई मायने नहीं.... बस जिए जाना है.... यूँ ही।

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18 MAR AT 21:58

कुछ ज़ख्म हरे से हैं, कुछ अल्फाज़ अधूरे हैं
इक याद तबाही सी है, बस ग़म ही पूरे हैं

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14 MAR AT 22:55





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6 MAR AT 20:56

ऐसा फागुन लागा है, मन में उपजा राग
वैरागी जीवन में खिला, पुरवा सा अनुराग

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5 MAR AT 20:18

आरंभ मिला या
अंत पा लिया?
या बचपने में अपने
संग पा लिया?
कौन मिला है तुमको ऐसे
ज्यों तुमने बसंत पा लिया?

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27 FEB AT 21:44

कोमल हृदय तुम्हारा
और मैं हूंँ इक पाषाण प्रिए
देखो मेरे पास न आना
मत करना विश्वास प्रिए
सुख न तुमको दे पाऊंँगा
हृदय विदीर्ण हो जाएगा
मधुर मिलन का स्वप्न तुम्हारा
चूर्ण चूर्ण हो जाएगा
तुम हो कली सुकोमल सी
मैं कांँटों का ताज प्रिए
कोमल हृदय तुम्हारा
और मैं हूंँ इक पाषाण प्रिए

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6 FEB AT 20:22

Which song should I listen right now?
Opinions please.

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