ओ रंगरेज!
अबकी चुनर मेरी धानी
रंग दे
रीत के रंग से
प्रीत के पानी से
ऋतुओं की रानी
रंग दे
आँखों के काजल से
रंग ले के बादल से
कुर्ता मेरा आसमानी
रंग दे
थोड़े से खुमार से
थोड़ी सी तकरार से
मेरी सारी जिंदगानी
रंग दे-
Read it carefully👇
Please maintain the dignity of YQ platform.
Please Don't ... read more
सारी दुनिया वैसी है
जैसी पहले थी
हवा आज भी चलती हैं
फूल खिलते हैं
पंछी गाते हैं
सूरज निकलता है
चांद भी ढलता है
संसार
अपनी धुन में
चले जा रहा है
बस सब कुछ
कितना
बेजान हो गया है
…
तुम्हारे जाने के बाद ।-
I see
"मुक्त छंद कविता"
"करुण रस कविता"
"अनुप्रास अलंकार"
in YQ Didi's collab.-
कच्ची कलियांँ, कच्ची दुनिया, कच्चे सारे रंग ।
प्रीत का इक रंग न छूटा धुल गया सारा अंग ।।
प्रलय हुआ, संसार मिट गया, टूटा श्वासोंश्वास ।
मरते मरते भी ना छूटी पिया मिलन की आस ।।
विरह में जलके राख हो गई कैसा ल्याया रोग ।
कोई बैद समझ ना पाया पिया मिलन का जोग।।
श्वास श्वास पे नाम उसी का जाप हृदय से होय।
मन की पीड़ा राम ही जाने और न जाने कोय ।।-
राम हमारे प्राण तुम
जीवन का आधार तुम
तुम से ही साँसे हैं मेरी
मेरा पूरा संसार तुम-
कितना खालीपन है! दुनिया कितनी अर्थहीन है! सब कुछ कितना बेमानी है! ..... उतना ही जितना अदरक के बिना चाय, बिन घी की दाल, त्रिकोणमिति के बिना गणित, गुरुत्व बल के बिना भौतिकी.... और.. प्राचीनता के बिना इतिहास...!
कोई मायने नहीं ज़िंदगी के... कोई मायने नहीं.... बस जिए जाना है.... यूँ ही।-
कुछ ज़ख्म हरे से हैं, कुछ अल्फाज़ अधूरे हैं
इक याद तबाही सी है, बस ग़म ही पूरे हैं-
ऐसा फागुन लागा है, मन में उपजा राग
वैरागी जीवन में खिला, पुरवा सा अनुराग-