Deepika Tiwari   (D. T.)
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Joined 20 October 2019


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5 HOURS AGO

ओ रंगरेज!
अबकी चुनर मेरी धानी
रंग दे
रीत के रंग से
प्रीत के पानी से
ऋतुओं की रानी
रंग दे
आँखों के काजल से
रंग ले के बादल से
कुर्ता मेरा आसमानी
रंग दे
थोड़े से खुमार से
थोड़ी सी तकरार से
मेरी सारी जिंदगानी
रंग दे

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23 SEP AT 17:45

सारी दुनिया वैसी है
जैसी पहले थी
हवा आज भी चलती हैं
फूल खिलते हैं
पंछी गाते हैं
सूरज निकलता है
चांद भी ढलता है
संसार
अपनी धुन में
चले जा रहा है
बस सब कुछ
कितना
बेजान हो गया है

तुम्हारे जाने के बाद ।

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22 SEP AT 18:57

I see
"मुक्त छंद कविता"
"करुण रस कविता"
"अनुप्रास अलंकार"
in YQ Didi's collab.

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10 JUN AT 12:48

कच्ची कलियांँ, कच्ची दुनिया, कच्चे सारे रंग ।
प्रीत का इक रंग न छूटा धुल गया सारा अंग ।।

प्रलय हुआ, संसार मिट गया, टूटा श्वासोंश्वास ।
मरते मरते भी ना छूटी पिया मिलन की आस ।।

विरह में जलके राख हो गई कैसा ल्याया रोग ।
कोई बैद समझ ना पाया पिया मिलन का जोग।।

श्वास श्वास पे नाम उसी का जाप हृदय से होय।
मन की पीड़ा राम ही जाने और न जाने कोय ।।

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25 APR AT 22:08






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6 APR AT 20:28

राम हमारे प्राण तुम
जीवन का आधार तुम
तुम से ही साँसे हैं मेरी
मेरा पूरा संसार तुम

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29 MAR AT 22:33

कितना खालीपन है! दुनिया कितनी अर्थहीन है! सब कुछ कितना बेमानी है! ..... उतना ही जितना अदरक के बिना चाय, बिन घी की दाल, त्रिकोणमिति के बिना गणित, गुरुत्व बल के बिना भौतिकी.... और.. प्राचीनता के बिना इतिहास...!
कोई मायने नहीं ज़िंदगी के... कोई मायने नहीं.... बस जिए जाना है.... यूँ ही।

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18 MAR AT 21:58

कुछ ज़ख्म हरे से हैं, कुछ अल्फाज़ अधूरे हैं
इक याद तबाही सी है, बस ग़म ही पूरे हैं

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14 MAR AT 22:55





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6 MAR AT 20:56

ऐसा फागुन लागा है, मन में उपजा राग
वैरागी जीवन में खिला, पुरवा सा अनुराग

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