हे! नीर नयन के बोलो तुम
मुझ में बसी ये कैसी चाह है
यह वेदना विरह की सीमित है
या फिर कुंठित स्वर की आह है
-ऋषिकेश रंजन
(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें)-
Rishikesh Ranjan
(Rishikesh Ranjan)
2.3k Followers · 894 Following
जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् भवेत् द्विजः। वेद-पाठात् भवेत् विप्रः ब्रह्म जानातीति ब्राह... read more
Joined 20 April 2020
14 MAY AT 0:28
16 NOV 2023 AT 12:17
{11वीं पुण्यतिथि पर
शत् शत् नमन मां🙏}
।।आस तुम्हारी अब भी है।।
(अनुशीर्षक पढ़ें)
- ऋषिकेश-
29 AUG 2023 AT 11:47
।। सावन बीता जाए।।
द्विमासी ये सावन तड़पाए
सजन रे! सावन बीता जाए
........अनुशीर्षक पढ़ें........-