QUOTES ON #प्रण

#प्रण quotes

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5 MAY 2020 AT 10:18

कर्तव्यनिष्ठ हूँ, चलता ही रहूँगा,
मैंने मंजिल की ओर दौड़ लगाई है।
ना रुकुँगा कभी आँधियों के आगे,
मैंने चट्टानों में भी सुराख बनाई है ।।

पाषाणों का हृदय भेदकर,
अपनी जीत का हुँकार भरूँगा।
चलूँगा पथ पर तान के सीना,
हर सपना साकार करूँगा।।

प्रतिरूप हूँ उस विधाता का,
जिसने जग का उद्धार किया।
अडिग रहूँगा पथ पर अपने,
मैंने ये प्रण स्वीकार किया ।।

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8 MAY 2017 AT 15:49

धरती हमारी स्वर्ग सी, वीरों की गाथा गाती  है, 

हिंदुस्तान के लिए शहीद हुए, उनके गीत सुनाती है |

बैर नहीं हमें किसी से, सबसे भाईचारा है, 

इस धरती माँ के लिए जान न्योछावर कर देंगे, 

ऐसा अपना नारा है |

गर्व है हमें उस धरती पर, जहाँ पर हमने जन्म लिया, 

मर मिटेंगे तेरे लिए ऐसा हमने प्रण किया |

ऐसी पवित्र धरती को  बारम्बार नमन है, 

कितना सोना, कितना प्यारा, देखो अपना वतन है |

कितना सोना, कितना प्यारा, देखो अपना वतन है |

जय हिन्द!! 🙏

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28 JUN 2020 AT 11:37

अपनी मंज़िल को पाने की आस में,
न जाने कहाँ आ गया हूँ...
अब यहाँ तक आ ही गया हूँ,
तो पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहता हूँ...
एक न एक दिन भटकते-भटकते,
अपनी मंज़िल तक पहुँच ही जाऊँगा...
ऐसा प्रण लिए निरंतर आगे बढ़ता रहता हूँ !!!

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25 AUG 2018 AT 20:37


अपनी बहनों को पर्दे में रख
ओर बहनों की इज्जत क्यों लूट लेते है?
अपनी बहन को तो परी बोल
दूसरों को आइटम, माल क्यों बोलते है?
खुद की बहन‌ का ही क्यों
हर बहन की रक्षा का प्रण क्यों न लेते है?

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14 MAY 2017 AT 11:48

अपने परिवार में कभी इतना भार न उठाया, 
जितना तुमने ससुराल में आके सीखा और सिखाया |
शादी करके आयी थी, कोमल से हाथों से
तुमने हमेशा घर में हाथ बटाया |
सास, चाची, ननद और लोगों के ताने ,
तुम्हे कुछ भी चुभने न पाया |
दिन रात मेहमानों की खातिरदारी में
कितना समय लगाया |
हर एक के हुक्म पर, उन्हें चाय बनाकर पिलाया |
दिन की कड़ी धूप में, है पापड़ तुमने सुखाया |
वहीं शाम की ठंडी छाँव में, पौधों को पानी पिलाया |
हर घंटे की मेहनत ने तुमको कभी ना पीछे हटाया | 
दर्द महसूस करके भी तुमने, हमको कभी ना जताया |
सबकुछ अच्छा हो, तुमने शायद प्रण था ऐसा बनाया |
बच्चों की रक्षा के लिए, हर एक कदम उठाया |
रोज़ रात को गरम दूध देकर ही तुमने सुलाया |
नारी के रूप में भगवान ने, है तुमको बनाया |
तुमने अपने ममत्व से, पूरे आँगन को महकाया |
हे भगवन ! तुम्हे शत शत नमन जो , 
ऐसी माँ से हमने जन्म है पाया |


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12 FEB 2021 AT 20:28

मत रखना कभी
मेरे जूतों में अपने पाँव,
वरना आजीवन
नंगे पाँव चलने का प्रण ले लोगे।

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19 SEP 2020 AT 15:44

प्रण हैं विकट परिक्षण का,
किसने कहा अकेले हो,
जिद हैं जगमग करने की,
तुम खुद मैं ही मेले हो...
रण युध्द सही संघर्ष सही,
जीवन का आधार यही,
अधिंयारो की बात नहीं,
तुम खुद मैं ही अलबेले हो..

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1 DEC 2019 AT 18:12

पापा..
चौड़ा सीना न कर सका आपका
इस बात का ग़म नहीं
गुमान है कि ,कभी झुकने न दिया..


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10 NOV 2020 AT 20:34


प्रणय का प्रण प्राणप्रिय हेतु प्राणों की आहुति तक...
प्रणम्य भाव प्रणेता हेतु परिणीता से परिणति तक...

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4 APR 2018 AT 23:38

खूब पढ़ेगी मेरी गुड़िया,
पल्लू में एक गाँठ बाँधकर,
मांँ ज्यों ही चूमी थी नन्ही को
किस्मत ने निर्माण कार्य प्रारम्भ किया ,
नन्हें करतल पर, बनाने लगी लकीरों को।

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