विकास ही विनाश का प्रारंभ है।
हा हा हा, मृत्यु भी एक आरंभ है।।
था अँधेरा इस उजाले से पहले,
होगा अँधेरा इस उजाले के बाद।
ध्वस्त हो जाएंगें ये कब्रें, ये महलें,
प्रलय ही करेगी नई सृष्टि को आबाद।।
सूर्य, सूर्योदय से पहले निकलेगा नही।
ये अटल सत्य है, टलेगा नही।।
जन्म और मृत्यु का अटूट ये संबंध है।
अमरता का ना कोई यहाँ प्रबंध है।।
ये चक्र ही विधि का विधान है।
चलने दो इसे यही इसका समाधान है।।
हम श्रेष्ठ है किसी अन्य की तुलना में,
मिट जाएगा जो भी तेरा ये दंभ है।
जो काल चक्र को भी रोक दे,
बस एक महाकाल ही वो स्तंभ है।
विकास ही विनाश का प्रारंभ है,
हा हा हा, मृत्यु भी एक आरंभ है।।
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