तुम्हारी रचनाएँ तो सभी पढ़तें हैं,
मैंने तुम्हें पढ़ा है ।
नटखट, हँसमुख, खुले मन की,
भगवान ने तुम्हें ऐसे ही गढ़ा है।।
मिलतें हैं बहुत दोस्त दूनियाँ में,
तुम थोड़ी खास हो।
शब्दों से क्या बयाँ करुँ तुम्हे,
तुम तो एक खुबसूरत एहसास हो।।
लिखती हो जज्बात दिलों के,
है अपनापन भी भरपूर।
पढ़े जो तुमको तुम्हारा हो जाए,
ना जाए कभी वो दूर।।
कुछ अजीब सी सादगी है,
लेखन शैली में तुम्हारी।
भावों का ऐसा रस घोलती हो,
खिंची चली आती है दूनियाँ सारी।।-
🕺Stylish boy😎
लड़की पढ़ी लिखी होशियार चाहिए।
लाखों रुपये और साथ में कार चाहिए।।
घर का हर व्यक्ति उससे प्रसन्न चाहिए।
लड़की सर्वगुण संपन्न चाहिए।।
घर का सारा काम करे।
एक पल भी ना आराम करे।।
दान देने वाला पिता यहाँ फरियादी है।
दहेज माँगने की यहाँ पूरी आजादी है।।
एक लड़की की आज शादी है।
जितना ज्यादा दहेज उतनी उसकी बर्बादी है।।-
तेरी गैर मौजूदगी में भी
तेरी मौजूदगी का अहसास होता है
अगर तुम सामने होती
तो बात कुछ और होती...
कब तक इन हवाओं से बाते करुँ
कम्बखत ये कुछ बोलते ही नहीं
तेरी भी इनसे बाते होती
तो बात कुछ और होती...
पेड़, फूल, पत्तें सभी जानते हैं तुम्हें
दीदार को तुम्हारे, तरस रहे हैं बेचारे
तुमसे एक मुलाकात होती
तो बात कुछ और होती...
आज खुद से ही बाते किये जा रहा हूँ
दिल में बस यही खयाल लिये
कि काश तुम साथ होती
तो बात कुछ और होती...-
प्रिय आलू!!
तुम्हारी सब्जी बहुत ही भाति है,
आलू की भुजिया मुझे सुहाती है।
खोलूँ जब चिप्स का पैकेट,
मुह से लार टपक जाती है।।
प्रिय आलू!!
तुम्हें खरीद लाऊँगा महँगे भाव से,
आज खाऊँगा तुम्हें बहुत ही चाव से।
तुम सब्जियों के हो राजा,
फ्राई बनकर सामने तू आजा।।
प्रिय आलू!!
हर सब्जी का एक मौसम है,
तुम हर मौसम में बिकते हो।
सबका टिकना संभव नही है,
सिर्फ तुम ही एक टिकते हो।
प्रिय आलू!!
रंग बिरंगे सब्जी आते मुझे लुभाने,
कितने प्रिय हो तुम वो सब क्या जाने।
बस तुम पर ही अब आस है,
तुम सा ना कोई खास है।।-
माँ और पत्नी
में किसका पुरुष पर सर्वाधिक अधिकार?
Caption👇में देखें तर्क पूर्ण मेरे विचार।।-
मन- नही लग रहा है, कुछ और करता हूँ।
चलो ठीक है!!
आंखें- किताब नही, कुछ नई चीज देखता हूँ।
चलो ठीक है!!
पैर- थक गए हैं, थोड़ा आराम करता हूँ।
चलो ठीक है!!
हाथ- दर्द कर रहा है, थोड़ा गेम खेलता हूँ।
चलो ठीक है!!
बर्बादी- हो रही है, अरे कुछ नही होगा।
चलो ठीक है!!
जिंदगी- कट रही है, ऐसे ही कट जायेगी।
चलो ठीक है!!
मौत- तुम्हारा समय पुरा हुआ, अब चलो।
नही, ये ठीक नही है!!
मौका- दोबारा मिला, अरे ये तो सपना था।
ओह! चलो ठीक है!!-
विकास ही विनाश का प्रारंभ है।
हा हा हा, मृत्यु भी एक आरंभ है।।
था अँधेरा इस उजाले से पहले,
होगा अँधेरा इस उजाले के बाद।
ध्वस्त हो जाएंगें ये कब्रें, ये महलें,
प्रलय ही करेगी नई सृष्टि को आबाद।।
सूर्य, सूर्योदय से पहले निकलेगा नही।
ये अटल सत्य है, टलेगा नही।।
जन्म और मृत्यु का अटूट ये संबंध है।
अमरता का ना कोई यहाँ प्रबंध है।।
ये चक्र ही विधि का विधान है।
चलने दो इसे यही इसका समाधान है।।
हम श्रेष्ठ है किसी अन्य की तुलना में,
मिट जाएगा जो भी तेरा ये दंभ है।
जो काल चक्र को भी रोक दे,
बस एक महाकाल ही वो स्तंभ है।
विकास ही विनाश का प्रारंभ है,
हा हा हा, मृत्यु भी एक आरंभ है।।-
सुन्दर मुख, नैन भी सुन्दर,
आप है सुन्दरता की मूरत।
हृदय कम्पन बढ़ जाए,
जो देख ले आपकी सूरत।।
लेखन शैली आपकी,
मंत्रमुग्ध कर जाती है।
थोड़े दर्द छिपें हैं इनमें,
सत्यता भी बतलाती हैं।।
संघर्ष किया है आपने,
रचना आपकी बताती है।
सार लिखा है जीवन का,
एक नारी कैसे मुस्कुराती है।।
मिलें खुशी इतनी आपको,
कि पूरे हो जाए सारे अरमान।
बुलंदियों की वो ऊचाई मिलें,
कि झुक जाए ये आसमान।।-
रचनाएँ जो अहसास कराए,
शब्द जो दिल को छू जाए।
पढ़े जो कोई रचना को इनकी,
कलम की ताकत का आभास हो जाए।।
किस्से जो मन को भा जाए,
पढ़ते-पढ़तेे ही खो जाए।
लिखतीं है कुछ ऐसे संवाद,
पढ़ कर आँसु भी आ जाए।।
बड़ी गहराई है इनकी रचनाओं में,
सुख और दुःख का पाठ पढ़ाए।
देश में घटती घटनाओं का भी,
एक सुन्दर वर्णन कर जाए ।।-
शब्दों से तालमेल बैठाने की,
कला है आपकी शानदार।
लेखन से प्रभावित हैं करती,
तारीफ की हैं हकदार ।।
लिखती हैं एहसास दिलों के,
रिस्तों की कद्र करती हैं।
अनुभव से अपने एक सुन्दर,
संदेश समाज को देती हैं ।।
मन में जो जज्बात हैं होतें,
शब्दशः लिखती हैं।
समझ है गहरी आपकी,
आपकी रचना ये कहती है ।।-