उसकी प्यास का अब क्या कहूँ मैं,
वो पानी पीकर भी रेत हुआ जाता है!
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ना इस पार
ना उस पार छोड़ गया,
वो गया यूँ के
बीच मंझधार छोड़ गया,
नफ़रतों ही नफ़रतों में
जऱा सा प्यार छोड़ गया,
सुर्ख सी नज़रों में
आँसु बेशुमार छोड़ गया,
ले तो गया वो मेरा
सबकुछ बादा फ़रामोश
पऱ जाते-जाते
अपना इंतज़ार छोड़ गया,
इक ठहरा सा समुन्दर...
औऱ लहरें हज़ार छोड़ गया..!-
हुस्न-ए-दरिया का बखा ना करो 'कहानी' लिखकर,
प्यासा क़तरा भी डूब गया साहिल पे 'पानी' लिखकर!!
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जिंदगी में अगर कुछ बनना चाहो
वो पानी से भरा हुआ गिलास बनो
जो खाना खाने के बाद सुकून से प्यास बुझाती है।।-
जिंदगी तेरे खेल में, मैं बार बार रोया हूं।
अपनी प्यास बुझाने, मैं चौधार रोया हूं॥
मंजिल जो थी मेरी, कहीं रह गयी है पीछे।
मेहनत की गाड़ी में, मैं दिन रात सोया हूं॥
बैठा हूं उम्मीद में, मिट जायेंगे किसी दिन।
अतित के सब दाग, ख्वाबों में भिगोया हूं॥
लगता है सबको, छिपता रहता हूं तुमसे।
क्या बताऊं उन्हे, तेरी ही जाल में खोया हूं॥
मुमकिन है कामयाबी मेरी बहुत छोटी लगे,
मगर न जाने कितने ठुकराए मौके पिरोया हूं॥
अब तो मीठे फलों की आश छोड दो 'हसित'।
मिल पाए जो मेहनत से, वही बीज बोया हूं॥-
न जाने यह कलम क्यो उदास है
न जाने इसको किसकी आस है
या तो थक गई यह भी लिखते-लिखते
या इसे भी अब दौलत की प्यास है.....-
यूं तो बुझाई है उसने प्यास कईयों की
तुमसे नाराज़ हैं तुम उसे खारा कहते हो
- सुप्रिया मिश्रा-
तृप्त हो जाए फ़क़त बूंद से,कभी समुंदर भी कम पड़ जाए
"मुनीष" ये तिश्नगी-ए-इश्क़ , इसे कौन समझ पाए ।-