महकना और खिलना दोनों ही जरूरी है गुलाब होने के लिए।
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जंगलों को काटकर शहर बनाए गए,
शहर में फिर से एक जंगल बनता जा रहा है।-
दुनिया अगर भटका रही है तो संभलो,
दुनिया भटकने लगे तो संभालो।
अपनी और पूरी दुनिया को
इसी तरह बर्बाद होने से बचाना है।
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क्या हो!
कलियाँ गर खिलें नहीं,
नदिया बहे नहीं,
तितलियाँ
पंख ना फैलाए
आँखें आँसू न बहाए!
लब हिले नहीं, मन
कुछ कहे नहीं!
ये सब आने वाले
तूफान की आहट हैं!
कुछ भी रूकता है तो
बहुत कुछ बिखर जाता है!
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इतने आँसू बहे कि एक नदी ही बन गई,
फासले कितने बढ़ गए अब हमारे दरम्यां।-
अपने दु:ख का शोर तुम मचाते हो,
तुम्हारे सुख का शोर लोग।
वजह बस सहनशक्ति की है।
तुम्हारा दु:ख तुम सह नहीं पाते
और तुम्हारा सुख लोग सह नहीं पाते।
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कैसे हो! किसी से मत पूछना,
कोई नहीं बताता सब।
बस उसके लिए दुआ करना
कि उसके साथ सब अच्छा हो।-
कितने गुम हैं मुहब्बतों में लोग,
फ़िर एक दिन कहते हैं
मुहब्बत कुछ भी नहीं।
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मृत्यु को टाला नहीं जा सकता ना ही जन्म को। बस बहस को टालना चाहिए। बातों को बिगड़ने से बचाना चाहिए।
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