Hasit Bhatt  
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Joined 30 August 2016


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Joined 30 August 2016
5 JAN AT 0:49

किसी की ताक़त किसी की कमज़ोरी बन जाती है,
जैसे हवा तेज़ हो तो चिराग़ बुझा जाती है।
हौसले पर जो सहारा बनती है,
कभी-कभी वही उम्मीद डुबा जाती है।

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3 NOV 2024 AT 3:17

हम भी तो थोड़े रिश्ते नाते जानते हैं
अपने और सपने में अंतर पहचानते हैं
हकीकत हम से छिपाने का क्या फायदा
समंदर हैं, बादलों की हर बातें जानते हैं

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31 OCT 2024 AT 11:31

दीवाली में जगमगा रहा शहर
कह रहा था घर के आंगन को,
घर से निकला था ये दिया भी
रोशन करने अपने ही घर को

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26 OCT 2024 AT 19:44

ज़मीन से निकले पेड़ का पत्ता,
वापिस ज़मीन में घुल जाता है ।

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20 APR 2024 AT 14:19

शायद टूटे ख्वाबों को हकीकत से जोड़ा जा सकता है
कुछ नियम तोड़ने के लिए है, उन्हें मोड़ा जा सकता है
सिर्फ पाठशाला की पढ़ाई जिंदगी में काम कैसे आएगी
किताब के कम ज़रूरी पन्नों को छोड़ा जा सकता है

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5 APR 2024 AT 8:13

किसी कोने में मेरे नाम का दिया अब भी जलता होगा
धूप तुझे मेरा छांव के पास जाना कुछ तो खल्ता होगा
कमबख्त, तुम्हारे दिल की दिवार कुछ कच्ची निकली
कोई नहीं, कोई तो होगा, जिसे वो भी चलता होगा

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3 APR 2024 AT 12:36

कभी घर हुआ करता था, खंडहर लगता है अब
अनजाना सा महोल्ला था जो, घर लगता है अब
आगाज और अंत से हो गया हूं इतना अवगत
अपनी कहानी जानने से भी डर लगता है अब

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1 APR 2024 AT 13:43

कहते है जरुरत बनना जरूरी नहीं होता
पैसा क्या होता अगर सीमित नहीं होता
सोचता हूं अमृत की कीमत क्या रह जाती
अगर आदम मरने से भयभीत नहीं होता

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31 MAR 2024 AT 5:10

किसी के खुद टूट जाने में गलती उतनी होती है
जितनी होती ही गुब्बारे की उसके फूट जाने में

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30 MAR 2024 AT 12:56

घट रहा है नूर शायद और बढ़ रही है गहराइयां,
छलक गई है आंखे अगर, बहाव सोच लीजिए

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