मै तो खिलौना हूं तेरी ज़िन्दगी में मेरा कोई हिस्सा नहीं तू मुझे याद करे.. मै ऐसा कोई किस्सा नहीं
तूने छिपाया था मुझे आेरों से कभी छीना था सबसे.. तूने मुझपे हक जताया था कभी कितना रोया था मेरे टूट जाने पर तू जोड़ के मुझको ही.. तुझे चैन आया था कभी
जिसे में प्यार समझा था शायद वोह मेरी ही नादानी थी अब तू जवान है.. वोह बचपन की कहानी थी तू बदला तो तेरे खिलौने बदल गए मै तन्हा रहा तो कुसूर तेरा भी नहीं
यही तो रीत है दुनिया की जो मै ही सीख़ ना पाया यहां बदले हुए हैं सब.. मुझे ही बदलना ना आया मै तो खिलौना था खिलौना ही रहा तेरे साथ मुझे ही चलना ना आया
हर पल मन में एक बैचैनी सी है सबकुछ है फिर भी कुछ कमी सी है उनके ज़िक्र से फ़िज़ाओं में प्यार की खुशबू सी छा जाती है लाल हो जाता हूँ शर्म से , दिल की धड़कनें बढ़ जाती है अजीब होती है दास्ताँ , न भूख लगती है ना प्यास शायद ऐसे ही होती है इस प्यार की शुरुआत
ऐसा लग रहा है, मुझे तेरी आदत हो रही है, तुझसे चंद पल बाते करके, मुस्कुराने की चाहत हो रही है, कल तक परवाह ना थी खूद की भी, आज जिंदगी से मोहब्बत हो रही है...
जब पहला पहला प्यार होता है तो ये एक अलग ही एहसास होता है सब कुछ बदला बदला महसूस होता है मानो आपका ही एक हिस्सा आपसे दूर होता है
हर वक़्त एक अलग सी बेचैनी होती है रातों को नींद अधूरी होती है हर वक़्त उसके ख़यालों में खोए रहते है वो क्या सोचता होगा हम ये सोचते रहते है
चाँद में चेहरा दिखना शुरू हो जाता है मानो चाँद ही सबसे हसीन मूरत हो जाता है किताबों में गुलाब रखते है और पन्नो पर दिल बनाते है बार बार उसपे तेरा नाम लिखते मिटाते है