किसी को खोने से डर लग रहा है,
तेरे होने पर भी
ना होने से डर लग रहा है,
उम्मीद करते है ये बस एक वहम हो मेरा,
अश्कों को आज रोने से डर लग रहा है...
तेरे जुदा होने से डर लग रहा है...-
डायरियों से गुलाब अब निकलने लगे है,
बाजार मे इश्क़ के किस्से फिर बढ़ने लगे है,
फ़रवरी का महीना क्या आया कैलेंडर मे,
सभी आशिक़ इश्क़-ऐ-इज़हार की तैयारी करने लगे है..-
वो शख्स जो मुझे बड़े इंतजार के बाद मिला था,
बड़े जल्दी मे था वो मुझे छोड़कर जाने को...-
बस यूँ ही,
मिल जाए कोई सरे राह,
बाँट सकूँ जिससे अपने मन की चाह ...
बस यूँ ही,
मिल जाए कोई महफिल,
लगा सकूँ जहाँ अपना दिल,
छोड़कर फिक्रें सारी,जिक्र सारे,
उलझनें, मुश्किलें,नाराजगियाँ और अनबनें ...
बस यूँ ही,
मिल जाए वो मुकाम,
बैठ जाऊँ जहाँ भूलकर हर काम,
हर याद,हर ख्याल,हर अदा,
शिकवे,शिकायतें और गिला ...
बस यूँ ही ...-
वो चेहरा चांद सा,
वो ज़ुल्फ़े आसमान सी..
वो अदब हसीन सा,
वो मुस्कान रंगीन सी..
वो शख्स इश्क़ सा,
वो आंखे सुकून सी..
मैं ठहरे ज़मीन सा,
वो लहरे समुद्र सी..-
दिखाई नहीें देता, पर शामिल ज़रूर होता है ।।
हर ख़ुदकुशी करने वाले का
कोई न कोई क़ातिल ज़रूर होता है ....-
हादसा-ए-इश्क़ मे उनसे मुलाक़ात हो गई ।।
हम मरीज हो गए,
उनकी आँखें हमारा इलाज हो गई ...-
बिखरे अरमानों को समेट लेते है,
कुछ वक़्त यादों के साथ बैठ लेते है,
यहां तो अपने से ही फुर्सत नहीं हमे,
चलो थोड़े देर इन लम्हों मे ठेहर लेते है ...-