मैं जिंदगी के तूफानों में तबाह हो गया
मेरा रंग गेहूंआ था अब स्याह हो गया
इस कदर काया पलटी है "किस्मत ने"
मेरा एक एक शौक आज गुनाह हो गया-
#कपिलभारतीय
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बेवजह और बिना मौसम दिल में बरसात करती हो
सुलझाकर जुल्फ जब तुम आंखो से बात करती हो-
वो गांव से शहर तक मां बापू का प्यार हिंदी
सांसों में दौड़े शिक्षा गुरुओं का दुलार हिंदी
दिल से दिल के रिश्तों में करती सुधार हिंदी
सहज सरल और मीठी करती उद्धार हिंदी
बोलो तो मुख पर मानो हल्दी चंदन हिंदी
एड़ी से चोटी तक अंग अंग का वंदन हिंदी
खुसरो और मीरा के दिल का विहंगम हिंदी
इंग्लिश उर्दू अरबी फारसी का संगम हिंदी
बच्चन पंत निराला दिनकर की बोली हिंदी
भारत के हर घर में तुतलाती मतवाली हिंदी
ना पूछ भाषा की अहमियत साधना है हिंदी
शब्दों के अर्थ चेहरा बताएं भावना है हिंदी
समस्त भारोपीय भाषाओं का परिवार हिंदी
ये ऊपर लिखा तुमको सारा इश्तिहार हिंदी-
तो यहां किस किस को खबर है
जिंदगी हादसों से भरा सफर है
कंधो पर मुश्किलों का थैला है
देखो यहां हर शख्स अकेला है
इन चेहरों पर उदासी की भोर है
कानों में जिम्मेदारीयों का शोर है
हर कदम संभाल कर रखते है
दुखों में खुशनुमा हाल रखते है
धागों को रस्म निभानी पड़ती है
हमें कटी पतंग उड़ानी पड़ती है
कपिल 'फर्ज' ऐसे याद रहता है
शहर में मुझे गांव याद रहता है-
अगर तुम करते हो तो वफादारी जरूरी है
मोहब्बत में थोड़ी सी अदाकारी जरूरी है
वो लबों पर खुशियां आंखो में चमक ठीक है
मगर बदलते मिजाज की जानकारी जरूरी है
बचपना जरूर संभाल कर रखना महबूब का
मगर वक्त के साथ साथ समझदारी जरूरी है
ये डूब जाते हैं कुछ परिंदे प्रेम रूपी सागर में
यार समझा करो थोड़ी दुनियादारी जरूरी है
सुखों का तर्पण दुखों का विसर्जन करते रहो
रिश्ते जवां रहें किरदार में फनकारी जरूरी है
कपिल लिखते लिखते बहुत वक्त गुजर गया
रोटियों से ज्यादा अब कलमकारी जरूरी है-
कभी मंजूरी तो कभी इनकार
कुछ भोले कुछ बत्तमीज यार
मगर जब यार खड़े हो साए जैसे
तो फिर कैसे ना हो नैय्या पार
रोज भंवर तलाशे किस्मत मेरी
वो बन कर आ जाते हैं पतवार
घर से बाहर भी वो घर जैसे है
बसते हैं उनमें लाखों किरदार
मुझको गम तन्हाई रुसवाई घेरे
देखो उनके अंदर के फनकार
हर मुस्किल में बस हंस देते हैं
कपिल कैसे इनके उच्च विचार-
जीवंत दुनिया का पलटता हुआ पन्ना हो तुम
शंभू मेरी पहली और आखिरी तमन्ना हो तुम-
एक अरसे बाद आज फिर वही बात हुई
मैंने तुम्हें याद किया और फिर बरसात हुई-
इश्क मोहब्बत दिल्लगी चाहत का दौर आता है
तकलीफ होती है जब आदत का दौर आता है
खुशियों में इजाफा और वो बेचैनियों की तादाद
नादान दिल बाग बाग, बरकत का दौर आता है
वो शुरुआती लम्हे खुद कि शिकायत से भरे हुए
अचानक से रिश्तों में शिकायत का दौर आता है
तलब होठों से शुरू होकर जहन तक जाती हैं
फिर सुकूनों चैन की सहादत का दौर आता है
बेपरवाह मौसम, बेचैनी भरे दिन, उत्सुक आंखें
फिर हर पल जिंदगी में आफत का दौर आता है
'कपिल' मैं अफसोस में हूं कि खुदा के होते हुए
कैसे इंसान के इश्क में इबादत का दौर आता है-