जहां मेरा अल्हड़ बचपन बीता, दादा-दादी की छत्रछाया थी,
घर के इस कोने कोने में, जंहा मासूम जिंदगानी बसती थी!
घर के ऊपर लहराते वो दो पेड़ पीपल के जैसे रखवाले हो,
चिड़िया, तोता, काग, मोर, गिलहरी से ढेरो हम बतियाते थे!
घर की सबसे ऊंची छत पे गर्मियों की रात सो जाते जब,
चाँद सितारों से रोज मुलाकातें, वो अम्बर आँगन जैसा था!
बाजू घर की वो पड़ोसन, आंखों आंखों में बातें होती थी,
कुछ निशानियां अब रह गई उधारी, जो सहेज के रखती थी!
कंचो का डिब्बा था कुबेर खजाना बड़े जतन से छिपाते थे,
रोज सुबह शाम गिनते कंचे, हार-जीत का हिसाब रखते थे!
मोहल्ले के वो पेड़ नीम का अब ठूंठ बन कर रह गया है,
घर अब हो जाएगा सुन्न सन्नाटा, जो अब तक गुलज़ार था!
बस, कुछ यादें, कुछ अफसोस, कुछ अधूरी ख़्वाहिश होगी,
लेकिन यह जीवन चक्र है, जिसको कुबूल तो करना ही था!
_Mr Kashish-
समाज में अपना अस्तित्व और आधिपत्व जमाये रखने के लिए समाज के नियमो को देखते हुए खुद मे परिवर्तन लाना आवशयक है
वरना इस बात में कोई दोराय नहीं कि समाज में तुम्हारी जगह कोई और ले लेगा
(परिवर्तन ही सुखी जीवन का आधार)
🙏🏻🙂🙏🏻-
लिखना चाहूं कुछ ऐसा कि लोगों की आवाज बन सकूं
लिखना चाहूं कुछ ऐसा कि नव परिवर्तन का आगाज बन सकूं
लिखना चाहूं कुछ ऐसा कि जड़ में भी चेतन ला सकूं
लिखना चाहूं कुछ ऐसा कि जग में परिवर्तन ला सकूं
लिखना चाहूं कुछ ऐसा कि उदासों की मुस्कान बन सकूं
लिखना चाहूं कुछ ऐसा कि विचलितों की आन बन सकूं
दे कलम तू ताकत इतनी कि मैं सच लिख सकूं
बना दे मुझको काबिल इतना कि मैं आईना दिख सकूं
गर हो गलत कुछ तो मैं उसका प्रतिकार कर सकूं
लिखना चाहूं कुछ ऐसा कि लोगों की आवाज बन सकूं
लिखना चाहूं कुछ ऐसा....-
पसंद उसे कीजिए जो आप में परिवर्तन लाए..!
वरना प्रभावित तो मदारी भी करता है..!
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हो तुम..
क्यों बेकार की बातों में
होंते हो गुम..
नाराजगी जान सावन की
पेड़ लगाओ तुम.. — % &-
परिवर्तन ना हो, तो होता नहीं विकास,
आगे बढ़ने की थम जाती है आस।
किसी चीज की अति परिवर्तन लाती है, हमें उन्नति की ओर अग्रसर करवाती है।
अपने में परिवर्तन लाना हर व्यक्ति का होना चाहिए उद्देश्य,
इस मार्ग पर चलकर मनुष्य पा सकता है अपना लक्ष्य।
समृद्धि साईं नाथ जी को प्रणाम करके यह कहे,
साईं नाथ जी द्वारा दी गई प्रेरणा से हम अपने भीतर अच्छे परिवर्तन लाते रहे।-
जब दुश्मन दुनिया होने लगे वफ़ा कहीं फिर नज़र न आये।
बस बेड़ियाँ बांध ली पावं में, कि दुनिया में हादसा कोई हो न जाये।
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समय के साथ
मनुष्यों का विकास हुआ....
समय के साथ
उन्होंने बनाए अनेक नियम....
समय के साथ
उनमे हुऐ अनेक परिवर्तन....
कभी सोचा है ?
केवल प्रकृति और प्रेम के
नियम ही स्थाई क्यों है?
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क्योंकि उन्हें
मनुष्यों ने नहीं बनाया-
रिश्ता और जीवन
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किसी रिश्ते में आए हुए
परिवर्तन से हताशा-
जैसे मनुष्य की हमेशा
युवा बने रहने की आशा,
किसी रिश्ते के
कभी ना अंत होने की सोच-
जैसे जीते जाना और नकार देना
कि कभी आएगी मौत।-