Jalaj Pandya   (Jalaj✒)
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Seeker by choice, Human by profession.
My two books available on link👇
Joined 21 December 2016


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10 JUN 2021 AT 13:16

तेरा इंतिज़ार
उमस भरा है
तो क्या मैं ये समझूं
कि बारिश की तरह
तेरा आना तय है

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27 JUL 2020 AT 18:20

In filthy speeches of today's politics,
I miss your visionary words.
In complex talks of so called think tanks,
I miss your childlike simplicity.
In lies and frauds of public figures,
I miss your transparent personality.
In polluted air of corrupt society,
I miss your values and poetry.
In lust for power at any cost,
I miss your love for humanity.
In list of famous names
who I will forget soon,
I will always miss you
dearest Dr. Kalam.

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20 MAR 2019 AT 14:30

किसे क्या मतलब है, कोई टूटा है तो क्या हुआ
दोस्ती नौटंकी है, फेसबुक पे जुड़ा है तो क्या हुआ

क्या तुम्हारा अहंकार ही हमेशा बोलता रहेगा?
बात उसकी भी सुनो ज़रा, वो बूढ़ा है तो क्या हुआ

रोया नहीं जो साथ कभी, आज मिलेगा मुस्कुराकर
स्वार्थी है, देखकर तुम्हें इधर मुड़ा है तो क्या हुआ

अजीब समाज है! पद भी देगा उसे, वाहवाही भी
कमाया रुपया उसका झूठा है तो क्या हुआ

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13 DEC 2018 AT 10:35

एक गाँव भागा था घर से
अपनों से ऐसा कटा कि
शहर बन गया

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5 DEC 2018 AT 14:34

आशा की अंतिम चुस्की और
परिवर्तन की पहली गुदगुदी
दिसंबर है

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28 JUN 2017 AT 20:40

वर्षा तुम स्त्री हो
तुम्हारा हृदय प्रेम से भरा है
इतना, कि छलक जाए
तो अति वृष्टि हो जाए।
किन मूर्खों की बातों में आकर
अब ये धूप और बूँदा-बाँदी
का खेल खेल रही हो
देखो! इस खेल में कौन लाभ उठा रही है
उमस! बेचैन करने वाली उमस
अब यह मुझे रिझाने का प्रयत्न कर रही है
पर मैं तुम्हारा हूँ वर्षा..बस तुम्हारा
राह देख रहा हूँ तुम्हारी..चली आओ
तृप्त कर दो मुझे वर्षा
तुम्हारे प्रेम की बौछार से

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9 JUN 2017 AT 8:46

ईर्ष्या क्यों रसभरे फूलों को
तुम्हारे मधु होठों से?
मैं जो
तुम्हारा भ्रमर हूँ!

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6 MAY 2017 AT 15:02

क्षण भर भी नहीं ठहरा
सपनों का सुंदर गुब्बारा
बाहरी चुभन से फूट गया
हँसता रहा पर टूट गया
अश्रु के बादल में ओझल
अम्बर का संघर्षरत सितारा
आस है अब भी कुछ पाने की
क्षति पूर्ति होगी बिखर जाने की?
वही पुराने क्षितिज पर नए सूरज
की राह तकता गुमसुम किनारा

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10 JUN 2021 AT 21:34

Entry for rapid fire before 10 pm IST.

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10 JUN 2021 AT 20:23

कवि की क़लम से जानो
कितना मज़ा है
तन्हा तन्हा रहने में
कवि के मन से पूछो
कितनी बड़ी सज़ा है
तन्हा तन्हा रहने में

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