माझे मित्र हेच मी माझी श्रीमंती समजतो..
जेंव्हा नसते खायला भाकर तेंव्हा मिळते शिवी!
मी तीच लाभलेली शिवी माझे भाग्य समजतो..
कारण जे असेच कोणाला ही मिळत नाही,
ती मला लाभते..
देतात मोकळ्मा मनाने जे
मी त्यांनाच माझे सवंगडी समजतो..
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हम चाहते करना कुछ और है..
मग़र करते हम कुछ और है..
जिसे दूनियां बोलती है स्ट्रगल,
और कुछ नहीं बस यही है..-
अच्छा बुरा सा कर लेते है
जीना छोड़कर लोग मर जाते हैं..
मुझे रोना बहुत पसंद है दोस्तों
झूठी हँसी सें लोग बहल जाते हैं..-
एक सपना बनाकर मैं
सुबह भुला दिया जाऊँगा..
कलमकार हूं कहानी का
मरकर भी पढा जाऊंगा..
तुम एक बार ख़रीद कर पढ़ना
चाहकर भी भुला ना जाऊंगा..
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बढ़ती उम्र हंसना भुला रहीं है क्या?
जबाबदारी जश्न मनाना भुला रहीं है क्या?
नहीं तुम्हें आज कल त्योहार रास नहीं आते,
देखों जरा अपनें अंदर का बच्चा मर गया है क्या?-
क्या हुआ है तुम्हें
मुर्दे से लग रहे हो..!
स्याही ख़त्म हो गई क्या
आज कल लिखते नहीं हो...?-
जों ठीक सें याद भी नहीं करते
वों पीठ पीछे बुराइयां करेंगे..
आज़ वक़्त इम्तिहां ले रहा होगा
कल यहीं लोग तुम्हें कुर्सियां देंगे..-
बहुत प्यार दिया मुझे उसने और धोखा भी..
सबकुछ लुटाकर मुझपर लुट लिया मुझे भी..
अब किस बात पर शिकवा करू मैं किसी सें,
दिवाना कहते है मुझे अपने और पराए भी..-