Kishor G.   (Kishor)
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Writer and director
Joined 13 October 2018


Writer and director
Joined 13 October 2018
4 APR AT 8:38

मैं दिया बन जलता हूं..
उजाला दोनों तरफ़
फ़ासला काम कैसे होता है..

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4 APR AT 8:35

सवेरे का इंतज़ार है..
ठोकरें ख़त्म हो ही जायेगी
बस रुकना नहीं है..

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2 APR AT 9:02

कुछ नहीं आदत है य़े..
प्यार नहीं हवस है यें..
समझदार हो समझलेना
बातें नहीं आईना हैं यें..

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28 MAR AT 8:49

सर पे आसमान का बोझ लिए
दिल में दर्द मोहब्बत का संभाले है..
अब ऐतबार नहीं करते हंसी का
बस इसीलिए जमी को कुचलते है..

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26 MAR AT 23:32

तुझे भूलने के लिए मुझे
कुछ और नहीं बस मतलबी होना है..
मग़र मुमकिन कैसे होगा ये बता दे
मुझे जीना भी तों है..

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24 MAR AT 22:34

इतने सारे रंग होकर भी
कोई रंग मुझे ना मैंने लगने दिया है...
तू रंगीन हो जाना मेरे लिए
मैंने सभी रंगों को तुझमें पाया है...
तू मान या ना मान मेरी होली
और दीवाली तुझी से है...
भूल जाना जरूर मुझे
मग़र मोहब्बत मेरी बस तू ही है...

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24 MAR AT 22:29

बहुत दूर हूं तुझसे
मैं तों तुझे छू नहीं सकता...
त्योहार है होली का
पास होता तो रंग गालों पे लगा देता..

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19 MAR AT 18:13

रिश्ते में कुछ बचा होगा तभी तों
तेरा नंबर सेव है मोबाईल में..
इतनी भी बड़ी लड़ाई नहीं हुई के,
याद भी ना आए तुझें मेरीं इतने दिनों में..

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16 MAR AT 19:39

उसके अफसानो की लौ
यादों का तुफान बढ़ा रहीं हैं..
मैं बर्फ बनाना चाहता हूं
और ओ मुझें जला रहीं है..

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16 MAR AT 10:47

उसके मन सा करना
मेरी आदत हो गई थी..
हां छोड़ दिया उसे मैंने
य़े चाहत भी उसी की थी..

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