Kishor G.   (Kishor)
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Writer and director
Joined 13 October 2018


Writer and director
Joined 13 October 2018
3 HOURS AGO

शोर सारा मिटकर शांति हो जाए..
जहां फ़िर एक बार बुद्ध बन जाए..

ना नफ़रत किसी जीव को किसी से
सब जीव, जंतु पराए अपने बन जाए..

ना हो किसी को धन की लालच हो
ना कोई ग़रीब भूखा कहीं सो जाए..

ना मेरा कुछ ना तेरा कुछ कहीं है
मैं ख़त्म होकर सभी हम हो जाए..

बहुत बट गए है हम, चलो फिर सें
मन सें सभी मानवता की और जाए..

शोर सारा मिटकर शांति हो जाए..
जहां फ़िर एक बार बुद्ध बन जाए..

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14 HOURS AGO

कुठवर खोटेच बोलणार खरे बोलणार कधी..?
मी पाहून ऐकून ही खोटा खरा होणार कधी..?

गोड शब्दांचा खोटा खेळ सारा खेळतेस तू
खरेपणाचा खेळ तुझा उघडा करणार कधी..?

सोसायचे ते सारे खोटेनाटे सोसले हसत मी
खरेपनाचे खरे शब्द ऐकवणार तू मला कधी..?

कसा सावज झालो मी तुझा, प्रीत करता सांग
व्हायचे होते प्रितम तू मानलेस का असे कधी..?

क्षण, दिवस,महिने, वर्षे झाली सत्य अंधारात
उजेडाचे दर्शन मला तू घडवणार का कधी..?

सारेच करायचे, बोलून, भोगून ही झाले पण
मनाचे खरे मन मिलन होणार का कधी..?

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15 HOURS AGO

सुनो,
कोई बतायेगा क्या
मेरी सोचों कैसी है..
आज पता चला मुझे के
मेरी सोच गंदी है..?

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22 HOURS AGO

अनकही बात है य़े के
मैं मर जाऊँगा..
जितना भी गुरूर करे कोई
सच यही है के,
जिंदा है वो मर जाएगा..

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YESTERDAY AT 6:09

Pain is bigger than God.

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19 AUG AT 22:10

अंधेरे जैसा झूठ
चांद के दाग देखता है..
जुगनू का सच कौन जानेगा
जों रोशन अंधेरा करता है..

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19 AUG AT 19:05

एक करे सो ग़लत
सो करे सो सही..
बहुत ग़लत इन्साफ़ है
य़े अच्छा नहीं..
मैं जानता हूं फ़ितरत
तुम्हें अंदाज़ मेरा नहीं..
मैं करू तो ग़लत
तुम करे सो सही..
य़े तों इन्साफ़ नहीं..

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18 AUG AT 10:51

दर्द सें तड़पता दोस्त का तन
कई जगह जिस्म को पकड़े
धागे,
मज़बूर सहारा ढूँढ़ती आंखे
पल में बदलते इरादे
नींद को तरसती आँखों की
बेबसी,
साथ में बैठकर सब करने का
इरादा होकर भी कुछ ना कर सके
ऐसा दोस्त,
सब कुछ बनकर जब साथ देता है
तों दर्द को भूल एक दोस्त भरी आँखों से
हाथ पकड़कर मैं हूं ना सें
दर्द भूल हंसता है तो
लगता है दिल का रिश्ता
खून के रिश्ते को भारी हो गया..

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17 AUG AT 23:52

जरासी खुबसूरती
क्या आई तुम में,
मुझ से मुह फेर रहां है..
मैं आशिक हूं तुम्हारे
बेबाक दिल का,
और तू सुरत ढुंढ रहां है..

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17 AUG AT 23:21

रख लो बाहों में अपने सारे अरमान..
किसी की कोई उम्मीद ना हो है सभी बैमान..
हां यें शब्द लगेंगे तुम्हें आज अजान मगर,
सच बस यहा तुम और तुम्हारी बनी पहचान..

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