कुछ समझदार व्यक्तियों का जीवन उस गन्ने की तरह होता है जो खुद को निचोड़कर समझ तो विकसित कर लेता है पर स्वयं के जीवन के रस को खो देता है । -
कुछ समझदार व्यक्तियों का जीवन उस गन्ने की तरह होता है जो खुद को निचोड़कर समझ तो विकसित कर लेता है पर स्वयं के जीवन के रस को खो देता है ।
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जीवन में देखे नहीं जिसने तीर कमान!अर्जुन बन कर रहे मछली का संधान!! -
जीवन में देखे नहीं जिसने तीर कमान!अर्जुन बन कर रहे मछली का संधान!!
हम संघर्षों में पढ़े लिखे हैं, धोखा-धडी से न कोई नाता है।राजनैतिक खींचा तानी में, क्यूं हमको पीसा जाता है।।सालों करते तैयारी हैं, तानों में भी जीते हैं। मेहनत का फल मिल जाएगा, बस इस आशा में जीते हैं।।मां बाप के मृत शरीर में जान परीक्षा परिणाम से आई।कैसे कहें उनको कि परीक्षा फिर कटघरे में आई।।कुछ दोषपूर्ण और द्वेषपूर्ण लोगों का दंश क्यूं झेले हम।बार बार अग्नि परीक्षा का खेल क्यूं खेले हम।।विनती है सरकार से यही अन्याय न होने पाए।सफ़लता की तब्दीली असफलता न होने पाए।।हम न्याय समर्थन में इंतजार तो सह सकते हैं।पर अन्याय का विष पीकर अब और नहीं जी सकते हैं।। -
हम संघर्षों में पढ़े लिखे हैं, धोखा-धडी से न कोई नाता है।राजनैतिक खींचा तानी में, क्यूं हमको पीसा जाता है।।सालों करते तैयारी हैं, तानों में भी जीते हैं। मेहनत का फल मिल जाएगा, बस इस आशा में जीते हैं।।मां बाप के मृत शरीर में जान परीक्षा परिणाम से आई।कैसे कहें उनको कि परीक्षा फिर कटघरे में आई।।कुछ दोषपूर्ण और द्वेषपूर्ण लोगों का दंश क्यूं झेले हम।बार बार अग्नि परीक्षा का खेल क्यूं खेले हम।।विनती है सरकार से यही अन्याय न होने पाए।सफ़लता की तब्दीली असफलता न होने पाए।।हम न्याय समर्थन में इंतजार तो सह सकते हैं।पर अन्याय का विष पीकर अब और नहीं जी सकते हैं।।
मन-मस्तिस्क, अस्थिर-स्थिर सा संबंध समझ से परे, प्रबल प्रतीप निष्काम काम न खोज न पताहो अपरिहार्य हूं वैकल्पिक सहचर अकथएक रूप दो स्वरूप समतुल्य न कोएविलक्षित विचार विचलित तुम सम न कोए -
मन-मस्तिस्क, अस्थिर-स्थिर सा संबंध समझ से परे, प्रबल प्रतीप निष्काम काम न खोज न पताहो अपरिहार्य हूं वैकल्पिक सहचर अकथएक रूप दो स्वरूप समतुल्य न कोएविलक्षित विचार विचलित तुम सम न कोए
क्यूं चकोर बनता है प्यारे अब तो जमीं पर ' आब ' भी नहीं -
क्यूं चकोर बनता है प्यारे अब तो जमीं पर ' आब ' भी नहीं
सुंदर, आकर्षक, हराठा कर देने जैसा थामंजिल का पहला पड़ाव मकड़ी के जाले जैसा थादेखूं इसकी लोच, या सीधा भेद जाऊंअसमंजस है थोड़ा सा, सोचूं किधर जाऊंअंतर की आवाज़, बाहर के शोर से दबी हैवक़्त के साये से, धूमिल होती छवि हैवक़्त और हालात का, ये फासला बहुत है खलताहै मंज़िल मेरी किस ओर मालूम नहीं चलताहै मंज़िल मेरी किस ओर मालूम नहीं चलता .......TBC -
सुंदर, आकर्षक, हराठा कर देने जैसा थामंजिल का पहला पड़ाव मकड़ी के जाले जैसा थादेखूं इसकी लोच, या सीधा भेद जाऊंअसमंजस है थोड़ा सा, सोचूं किधर जाऊंअंतर की आवाज़, बाहर के शोर से दबी हैवक़्त के साये से, धूमिल होती छवि हैवक़्त और हालात का, ये फासला बहुत है खलताहै मंज़िल मेरी किस ओर मालूम नहीं चलताहै मंज़िल मेरी किस ओर मालूम नहीं चलता .......TBC
बदकिस्मती कहूं मंज़ूर नहींभीरूओं के होते हैं काम यहकहूं शूरवीर मंजूर नहींकिये हैं ऐसे क्या काम यहांनिर्णयों की रही कुछ भूल शायदहोते हैं आज वो शूल आयदक्या कराना चाहती है नियति मुझसेजाऊं मंज़िल करीब वो जाए दूर मुझसेयथार्थ के जीवन को जिया है मैंनेजीवन की कल्पनाओं को दफनाया है मैंनेकाल्पनिक जीवन को मृत मैं होने न दूंगाजो छिपा है अंदर उसे सोने न दूंगाजो छिपा है अंदर उसे सोने न दूंगा.....TBC -
बदकिस्मती कहूं मंज़ूर नहींभीरूओं के होते हैं काम यहकहूं शूरवीर मंजूर नहींकिये हैं ऐसे क्या काम यहांनिर्णयों की रही कुछ भूल शायदहोते हैं आज वो शूल आयदक्या कराना चाहती है नियति मुझसेजाऊं मंज़िल करीब वो जाए दूर मुझसेयथार्थ के जीवन को जिया है मैंनेजीवन की कल्पनाओं को दफनाया है मैंनेकाल्पनिक जीवन को मृत मैं होने न दूंगाजो छिपा है अंदर उसे सोने न दूंगाजो छिपा है अंदर उसे सोने न दूंगा.....TBC
ऐ ज़िन्दगी अब तक तुझसे सीखा बहुत कुछ,पर अब तेरे तजुर्बे भी पुराने लगने लगे!! -
ऐ ज़िन्दगी अब तक तुझसे सीखा बहुत कुछ,पर अब तेरे तजुर्बे भी पुराने लगने लगे!!
लोग सिर्फ स्वयं की भावनाओं का ख्याल रखते हैं या संभवतः उन्हें जिनसे उनकी भावनाएं प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो।। -
लोग सिर्फ स्वयं की भावनाओं का ख्याल रखते हैं या संभवतः उन्हें जिनसे उनकी भावनाएं प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो।।
खुल के लिख दूं तो डर है कि कलम चुभ न जाए,मुझे मालूम है शब्दों के घाव कितने गहरे होते हैं!! -
खुल के लिख दूं तो डर है कि कलम चुभ न जाए,मुझे मालूम है शब्दों के घाव कितने गहरे होते हैं!!