कुछ समझदार व्यक्तियों का जीवन
उस गन्ने की तरह होता है
जो खुद को निचोड़कर समझ तो
विकसित कर लेता है पर
स्वयं के जीवन के रस को खो देता है ।
-
Follow... read more
जीवन में देखे नहीं जिसने तीर कमान!
अर्जुन बन कर रहे मछली का संधान!!
-
हम संघर्षों में पढ़े लिखे हैं, धोखा-धडी से न कोई नाता है।
राजनैतिक खींचा तानी में, क्यूं हमको पीसा जाता है।।
सालों करते तैयारी हैं, तानों में भी जीते हैं।
मेहनत का फल मिल जाएगा, बस इस आशा में जीते हैं।।
मां बाप के मृत शरीर में जान परीक्षा परिणाम से आई।
कैसे कहें उनको कि परीक्षा फिर कटघरे में आई।।
कुछ दोषपूर्ण और द्वेषपूर्ण लोगों का दंश क्यूं झेले हम।
बार बार अग्नि परीक्षा का खेल क्यूं खेले हम।।
विनती है सरकार से यही अन्याय न होने पाए।
सफ़लता की तब्दीली असफलता न होने पाए।।
हम न्याय समर्थन में इंतजार तो सह सकते हैं।
पर अन्याय का विष पीकर अब और नहीं जी सकते हैं।।
-
मन-मस्तिस्क, अस्थिर-स्थिर सा संबंध
समझ से परे, प्रबल प्रतीप
निष्काम काम न खोज न पता
हो अपरिहार्य हूं वैकल्पिक सहचर अकथ
एक रूप दो स्वरूप समतुल्य न कोए
विलक्षित विचार विचलित तुम सम न कोए
-
सुंदर, आकर्षक, हराठा कर देने जैसा था
मंजिल का पहला पड़ाव मकड़ी के जाले जैसा था
देखूं इसकी लोच, या सीधा भेद जाऊं
असमंजस है थोड़ा सा, सोचूं किधर जाऊं
अंतर की आवाज़, बाहर के शोर से दबी है
वक़्त के साये से, धूमिल होती छवि है
वक़्त और हालात का, ये फासला बहुत है खलता
है मंज़िल मेरी किस ओर मालूम नहीं चलता
है मंज़िल मेरी किस ओर मालूम नहीं चलता
.......TBC-
बदकिस्मती कहूं मंज़ूर नहीं
भीरूओं के होते हैं काम यह
कहूं शूरवीर मंजूर नहीं
किये हैं ऐसे क्या काम यहां
निर्णयों की रही कुछ भूल शायद
होते हैं आज वो शूल आयद
क्या कराना चाहती है नियति मुझसे
जाऊं मंज़िल करीब वो जाए दूर मुझसे
यथार्थ के जीवन को जिया है मैंने
जीवन की कल्पनाओं को दफनाया है मैंने
काल्पनिक जीवन को मृत मैं होने न दूंगा
जो छिपा है अंदर उसे सोने न दूंगा
जो छिपा है अंदर उसे सोने न दूंगा.....TBC-
ऐ ज़िन्दगी अब तक तुझसे सीखा बहुत कुछ,
पर अब तेरे तजुर्बे भी पुराने लगने लगे!!
-
लोग सिर्फ स्वयं की भावनाओं का ख्याल रखते हैं या
संभवतः उन्हें जिनसे उनकी भावनाएं प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो।।-
खुल के लिख दूं तो डर है कि कलम चुभ न जाए,
मुझे मालूम है शब्दों के घाव कितने गहरे होते हैं!!
-