हमसफर साथ हो तो डगर आसान हो जाती है।
दुःख भी आएं गर जीवन में, मुस्कान आसान हो जाती है।-
तन्हा रहकर ज़िंदगी क्या कुछ मिला ही नहीं है।
छोड़ दिया है बसेरा, अब कोई गिला ही नहीं है।
कोई न नाराज़ मुझसे रहे, न मैं किसी से रहूं।
है सफर खुशनुमा, मैने इंतजार किया ही नहीं है।-
दिल की बात छोड़ो आज दर्द की बात करते हैं।
किताबों मे रखे गुलाब से रूबरू जज्बात करते हैं।-
चाहे कोई धन से कितना भी गरीब हो,
मगर सोच से अमीर होना चाहिए।-
न जलाओ वो शमा जो परवान न हो सके।
बुझती रहे जो बार बार रौशन न हो सके।-
काश वो समझ पाए खामोशी को मेरी।
कैसे कहूं उससे, तकलीफ है जो मेरी।-
क्यों ये रिश्ते इतने मुश्किल होते हैं।
समझ कर भी उलझन लिये होते हैं।
एक बार बंध कर फिर मुक्त न हो पाये कोई।
इन रिश्तों में इतने बंधन होते हैं।
सोच अपनी साझा न हो पाए किसी से।
क्यों इसमें सब अहम लिऐ होते हैं।
अपनी अपनी मनवाने में सब टशन रखें।
वाकई रिश्तों में बड़े बहम होते हैं।
रिश्ते हैं बहुत महंगे,निभाने मे जटिल होते हैं।
अंत तक हार जाओगे, इसमें गहरे घाव होते हैं।
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बेगुनाह होना चाहिए।
खुद का जमीर धुला होना चाहिए।
लाख बुरा कह दे जमाना मगर
खुद की नज़र में इंसान उठा होना चाहिए।-
लिखना चाहता है दिल।
लिखे हुवे जज्बातों को
तुम्हें सुनाना चाहता है दिल।-
मां.....
कितनी जोर से चीखूं मै अब कितना तुम्हें पुकारूं।
खाली सी है जिंदगी, कैसे तुम बिन पल गुजारूं।
किससे कहूं तुम्हारी याद कितना मुझे रुलाती है।
सिर्फ तुम ही हो जिसके बिना धड़कन रूक जाती है।
कितनी जोर से चीखूं मैं अब कितना तुम्हें पुकारूं.....
दिल याद करे तुम्हें, मां कैसे वो सूरत निहारूं।
हर दुख से बचाया ,कभी न कुर्बानी का जिक्र किया
मां तुम ही बताओ, क्यों इतना कर्म मुझ पर किया।
भीड़ भरी इस दुनिया में कहां कहां तुम्हें पुकारूँ ......
कितनी जोर से चीखूं मैं अब कितना तुम्हें पुकारूं....
मां को समर्पित 🙏🙏-