Abhay Bhadouriya   (अभय भदौरिया)
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Joined 18 October 2018


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7 NOV 2022 AT 23:27

It's been a beautiful journey ❤️

बहुत कुछ सीखा समझा और कमाया है यहां
अपने साथ लेकर जा रहा हूं ,इस सुंदर सफर के लिए शुक्रिया YQ

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3 JUL 2022 AT 0:38

और अचानक मैंने देखा !
आसमान से टूटते तारे को
जो आ गिरा धरा पर
और तब मैंने जाना
कितना कठिन है
"अपनों को अपना "
बनाए रखना
संबंध संभालने में
आसमान भी असमर्थ है

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14 MAY 2021 AT 16:21

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20 JAN 2021 AT 20:41

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5 DEC 2020 AT 10:53

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11 OCT 2020 AT 16:49

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13 MAY 2020 AT 14:33

जाते हुए मैंने कहा था कि लौट आना
'लौट आना ' ये विदाई के शब्द नहीं थे
इनमें मैंने बांध कर रखी थी ' उम्मीद'
उम्मीद की गठरी अभी भी लटक रही है
तुम्हारे आँचल से, पर वक्त के साथ
ढीली पड़ती रही है गांठ, सुनो
उम्मीदों के बिखरने से पहले
लौट आना...!

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3 JAN 2020 AT 12:18

तुमसे..
प्रेम करने का कारण ढूँढना...
"आकाशगंगा" के छोर पर खड़े होकर
अंतहीन तारों की गिनती करने जैसा है..

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26 DEC 2019 AT 8:03

केवल पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य
चन्द्र की उपस्थिति ही
ग्रहण नहीं होती

ये तुम्हारे और मेरे
मध्य का मौन
भी ग्रहण ही है न?

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22 DEC 2019 AT 17:02

कविता
जो जन्म लेती है अंतर्मन में
विचार रूपी बीज से
कवि उसे धारण करता है
भावनाओं के गर्भ में
समय के साथ पोषित होती है
और
विकसित होते हैं उसके कोमल अंग
छंद, अलंकार, रस और श्रृंगार
फिर किसी स्याह रात में
जन्म लेती है
नवजात कविता,

जरा सोचो...
कितना सुखद होता होगा कवि होना!!

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