मेरी
नानी-
बुजुर्गों का हाथ,ईश्वर का साथ
नर्म-नर्म झुर्रियों से बरसता
अमृत-अमृत अविरल प्यार
साहस अविचल, धैर्य असीमित
बूढ़ी ममता, पर स्नेह अपरिमित
आश्चर्यचकित है, मन आजतक
इतनी मीठी हो सकती है फटकार ?
दाहक मन को यूं शीतल कर जाए
ज्यौं ख़सख़स में भिगोए रूई के फाहे
कंगारू की भांति कलेजे से चिमटाए
कभी दुलराए, बाल सुलझाए
मीठे - मीठे भजन सुनाए
जो इतने पर भी ना आए
उस नींद को है धिक्कार!-
कुछ लम्हें, कुछ यादें।
कुछ अपनों के दुनिया में आने की।
कुछ अपनों के दुनिया से जाने की।
कुछ इम्तिहान से पार पा ख़ुशी पाने की।
कुछ मुस्कुराहट बिखेरते प्यारे से चेहरों की।
कुछ कसक सी हैं,इस वक़्त उनसे न मिल पाने की।
कुछ उम्मीद सी बँधी हैं,विपदा की घड़ी से पार पाने की।-
प्यार करना मां से सिखा हैं,फिक्र करना नानी से
जब ये दोनों अनमोल चीजें अनमोल लोगों से ही
सिखा हैं जो गुस्से में भी बखूबी निभाती हैं, तो
फिर मैं कैसे छोड़ सकतीं हूं,मुझे भी तो करना
होगा ना।
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अथाह असीम प्यार था उनका,
कई लोग मिलकर बाँट नही पाए।
गलती होती मेरी, सब हँसते थे,
पर चाहकर कोई डाँट नही पाए।
चुपचाप होकर मम्मी पापा भी,
मेरी हर गलत बात भी मानते थे।
डाँटने पर मुझे खुद डाँट खायेंगे,
ये बात सब मन ही मन जानते थे।
प्यारी दादी माँ और नानी माँ को
सादर प्रणाम
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जाने कितनी बातें सहेज रखी थी मैंने, किसी वक़्त के इंतेजार में।
जाने से पहले काश की आपने मुझे इत्तला तो दी होती।।-
बचपन में लगता हैं फकीरों पूरी थी
नानी के पैसों में अमीरी पूरी थी
उम्र हुईं, ज़िंदगी की दौड़ में जाना
थी तो वो हर चीज़, जो ज़रूरी थी।-
सब घर सूना लगता है
नही होता है हल्ला
जबसे तुम दिल्ली गये हो लल्ला
जब तक घर मे थे
लल्ला है नानू नानी का अर्नव
मामू मौसियो का वो प्यारा काजू है
याद बहुत आती है नानी को
सुबह शाम तुम्हारी
घूम घूम तुम कहते थे
घुमाती थी सारा दिन नानी
चिड़ीया देखकर लल्ला बहुत खुश हो जाता था
नानी को ये सबकुछ अब याद आ कर बहुत सताता
. .
जब से तुम दिल्ली गये हो लल्ला. .
Poem for kaju by his Nani ( my mum)-
सुनो न!!🤷
गुस्से में बङी क्यूट लगती हो
नाराज़ हुआ न करो...
नज़र लग जायेगी
नानी!!😼-