Ansh Indian   (माँ का अंश)
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Joined 30 January 2019

21 SEP AT 22:37

मिन्नतें-समाजतें अब करता नहीं दिल
कोई गिला भी ख़ुद में रखता नहीं दिल
इस दानिश-कदा दहर के हर इम्तिहान में
कद-ओ-कोशिश से पीछे हटता नहीं दिल

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21 SEP AT 21:01

जैसे सुगंधी प्रसून की मन को मिरे मुग्ध करे
तिरे स्मरण से ही ,हृदय मिरा धाक-धुक करे
ओ माँ

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21 SEP AT 20:50

फिर थोड़ी सी फ़ुर्सत ज़िन्दगी को अता की जाए!!
फिर किसी शाम बैठ ज़िन्दगी को गुनगुनाया जाए!

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21 SEP AT 18:04

माँ एक किनारा तिरे आँचल का
तिरी ममता तिरे प्यार से महकता
मिरी हर उलझन सुलझा देता था
ओ माँ तिरा वो आँचल आज भी
तिरी तरह मिरी रहनुमाई करता है
कभी दुआ,कभी सुकूँ की छाँव सा
मिरे संग-संग हर लम्हा ही चलता है

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21 SEP AT 12:54

प्रकृति की सुंदरता
मन को भाती है बहुत,
प्रफुल्लित कर जाती है मन को।
यूँ हरियाली की चुनर ओढ़ कर,
मनोहर दृश्य दिखा लुभाती हैं हमें,
अपनी सुंदरता से मंत्रमुग्ध कर देती हैं प्रकृति☘️

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18 SEP AT 20:57

किस-क़दर ख़ुद को ही सम्भाला हमने
हर इक सियाह को किया उजाला हमने

हम रूठे भी ख़ुद से ही ख़ुदी को मनाया
ज़ीस्त में चराग़ाँ करने दिल जलाया हमने

दस्त-गीरी की कुछ यूँ भी ख़ुद की हमने
शहर-ए-उम्मीद में इक घर बसाया हमने

दौर-ए-पुर-फ़ितन में भी कश्ती-ए-सब्र ले
दरिया-ए-मुहीत से बेड़ा पार लगाया हमने

जाँ-फ़िज़ा कोई नहीं सिवा ख़ुदमुख़्तारी के
इसीलिए ख़ुद को ही हर बार सँवारा हमने

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18 SEP AT 19:16

तुमने!
ये ख़ूबसूरत भी है,मुहीब-सूरत भी!!

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18 SEP AT 17:48

ता'बीर-ए-दर्द-ए-दिल बयाँ हो भी तो कैसे हो पाए
ब-ज़ाहिर होकर भी दिल पे भी जो न अयाँ हो पाए

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18 SEP AT 8:42

"ओ माँ" तुझसे निहाँ कहाँ है मिरे ये हालात
तिरी मुहब्बत ,और तिरी दी सब्र की सौगात
"ओ माँ" ये 'अज़ीम दौलत जो है मिरे पास
थामें रहती हर हाल में,तिरी तरह मिरा हाथ

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5 SEP AT 22:49

हैं यासीन-ओ ताहा जिनके नाम
हैं वो सरवरे आलम हम जिनके गुलाम


हैं अफज़ल-ओ-आला जिनका मक़ाम
है वहीं तो शहंशाह-ए-खैरूल-अनाम


बिगड़ी कोई भी हो पल में वो सवार दे
एक बार दिल से जो कोई उन्हें पुकार ले


लबों को शीरीं करे, दिल को करार दे
मिरे मुस्तफ़ा ﷺ का जो ज़बाँ नाम ले



पुर-नूर दिल को करना हो जो हर लम्हा
ज़िक्र ए नबी ﷺ हर लम्हा किया करो

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