तकिये के फूलों में
तेरे नाम का हर्फ़ कढ़ा था
और फिर
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हम जिले में
सरनाम हो गये..
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अलामत लिए आती हैं ख़्वाब में तितलियाँ,,
तुमसे मिलने की वो नादाँ चाहत अब भी बाकी है..-
एक नई जनवरी,एक नया बरस और एक नये जीवन की सुनहरी यात्रा की बहोत- बहोत मुबारकबाद उस्ताद|आने वाला वक़्त अपने भीतर कितना कुछ छिपाये हुए रहता है,कोई नहीं जानता|हम सब तो बेहतर की ही उम्मीद करते हैं|हमारे हाथों में तो सिरफ़ कोशिश होती है हर बङी से बङी परेशानी से लङने की,जीतने की और आगे बढ़ते जाने की|हम और आप इन्हीं प्रक्रियाओं का हिस्सा हैं|एक वक्त था जब आपसे मुलाक़ात हुई थी इस मंच पर|एकदम अज़नबी थे आप उस वक्त मेरे लिए|धीरे-धीरे परिचय बढ़ा तो मित्र हुए फिर किसी रोज़ आपको उस्ताद कह बैठी एक इलाहाबादी लङकी|अभी शायद आप वहाँ हो जहां आपके खुशी और ग़म से मुझे फर्क़ पङता है|गुज़रा साल आपके लिए तकलीफदेह रहा मग़र मुझे यकीन है कि धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा सर और आप पहले की तरह खुशमिज़ाज़ हो उठेंगे|इस साल मेरे शहर में महाकुँभ का आयोजन हो रहा|मुझे उम्मीद है आप भी आयेंगे और गंगा में डुबकी लगायेंगे ही|तो जब आयें तो ज़रा इस पगलेट की भी ख़बर ले लीजिएगा|दुनियाभर के भूले - भटके लोग मिल जाते हैं महाकुँभ में आकर फिर मैं तो इतने सालों से अपने उस्ताद का पीछा कर रही हूँ|अब तो उनको भी मिलना ही पङेगा|जहाँ भी हों आप इस वक्त,मेरी दुआ है खूब खुश हों और स्वस्थ हों|ये साल आपके लिए ढेर सारी कामयाबी लेकर आए और ये जन्मदिन आपके लिए यादगार हो उठे|ठंड से अंगुलियाँ जमी जा रही फिर भी लिख रही तो पढ़ लीजिएगा केक और काफी गटकते हुए
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एक पिता,जो हर बच्चे के लिए उसकी ज़िंदगी का सबसे बङा नक्शकार होता है,जो रंग भरता है उसकी दुनिया की हर तस्वीर में,उसका यूँ अचानक से दूर चले जाना हमारी जिंदगी को बेवक्त ही वीरान कर जाता है|सर्वप्रथम मैं अापसे माफ़ी चाहूँगी सर क्योंकि जब आप ज़िंदगी के सबसे कठिन दौर से गुज़र रहे थे और आपको सहारे की ज़रूरत थी तब मैं नहीं थी आपके आस-पास,शायद इसलिए कि मुझे ख़बर न थी|हमेशा यही सोचा करती थी,जो रस्ता आपने दिखाया, उस सफर की मंजिल मिलते ही आपके शहर आऊंगी|बेशक़ कुछ घंटों या मिनटों को ही मगर आऊंगी|अपने शहर का नाम कभी आपने बताया नहीं मगर मैं फिर भी खुली आँखों ख़्वाब देखती रही,मैं मिलना चाहती थी उस परिवार से जहाँ आपकी पैदाइश हुई थी,उस पिता से जिसने अपने बेटे को एक बेहतरीन परवरिश दी थी और जिसके कारण मैंने आपको हमेशा अपना उस्ताद माना था|इस मंच से मैंने ख़ुद को एकदम से काट लिया मगर फिर भी यदि मैं यहां आती रही गाहे-बगाहे तो अपने उस्ताद के लिखे को ही घोंटने| अफ़सोस कि अब मैं उस आदमी से कभी नहीं मिल सकूंगी|जानती हूँ कुछ तकलीफ़ों को दूर करना किसी के वश में नहीं होता|मगर मैं दुआ करूंगी कि आप ज़िंदगी के इस बेहद बुरे दौर में भी कमज़ोर नहीं पड़ेंगे|अपनी माँ के लिए खङे होंगे|उनका हौसला बनेंगे|आप हीरो हैं हम-सब के सर|हमारी दुनिया को आपने हमेशा कहीं बहोत-दूर से अपनी कलम से रौशन किया है|हमारे लिए ही मज़बूत बनिए🙏
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उनकी ख़ामोशी भी उनकी ही तरह बेहद खूबसूरत है|वैसे वो अपनी चुप्पी में भी शोर का सरंज़ाम बाकायदा रखते हैं|आप उनको पढ़ते हुए महसूस कर सकते हैं कि एक शख़्स जो महीनों से कुछ लिख नहीं रहा,वो कितनी बेबाकी से अपनी अनुपस्थिति में भी उपस्थिति दर्ज़ कराता चलता है कलम के इस सहरा में,वो भी बोले बग़ैर|हम अपने पसंदीदा रंगों में समानता साझा करते हैं शायद इसलिए मेरे उस्ताद अपने ज़िस्म पर रंगीन दुनिया के सारे रंगों के बरक्स मेरी पसंद का सफेद रंग ओढ़ते हैं |गाहे-बगाहे अदा बदलती है मगर उनका असल लिबास तो सफेद ही हुआ करता है|यकीनन उनको पढ़ने वाले,उनके अशआरों से मुहब्बत करने वाले लोग मेरी ही तरह पागल होंगे उनको रंग लगाने के वास्ते भी|रंगों के पर्व की बेहद-बेहद मुबारकबाद उस्ताद|कई रोज़ हुए आपकी कलम की रियासत में देर रात एक लङकी दाख़िल होती है चुपचाप,आपको पढ़ती है,बार-बार पढ़ती है,फिर चुपचाप ही बग़ैर कुछ कहे-सुने वापिस लौट जाती है अपनी पढ़ने की मेज़ पर|आज उस लङकी से चुप नहीं रहा गया तो अपने पसंदीदा लेखक से ख़त-ओ-ख़िताबत करने बैठ गई| दीवार पर एक नाम चिपका रखा है लिखकर-"आसमान के उस्ताद"|एक अद्भुत रचना-संसार के सृजन के वास्ते कि जहां एक जादूगर अपनी गिनती के शब्दों से महावृत्ताँत रचता चल रहा है,आपको बहोत-बहोत शुभकामनाएँ|यूँ ही लिखते रहिए और हम सब को पढ़ने का मौका देते रहिए|नमस्ते सर🙏🙏
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माँ की शॉल में गुजारे जाङे के दिन उसे बखूबी याद हैं,वो लङका आज भी पारले जी बिस्कुट से मोहब्बत करता है|महाकाल का वो दीवाना शहर भर में बदनाम है,कारण चादर की सिलवटों में माशूक की तस्वीर जो मिली है,उसे फिक्र है दुनिया जहान की,लोगों ने उसके सहर का सूरज जो उससे छीन लिया है|हर टूटे दिल की आवाज़ उसके दिल तक जाती है शायद तभी हम जैसे लोग जो एक दफ़ा उसके इलाके से दिल लगा बैठे तो फिर कभी लौट ही नहीं पाए वापिस घर|इतनी संजीदगी से कोई कैसे इतने गंभीर मसलों पर लिख जाता है,वह भी बग़ैर किसी लाग लपेट के!आपके समस्त लेखन का एक्सरे करने के बाद जो एक तरह का सुकून और ताज़गी नसीब होती है वो अपने आप में बेहद ही खूबसूरत और दिशा देने वाली भी है|हर बार आप अपनी कूँची को नये रंग में डुबो कर लाते हैं और हर बार एक नयी तस्वीर गढ़ते हैं|हिंदी साहित्य की विद्यार्थी हूँ ,इतना तो समझ आता ही है कि कौन किस दर्जे का लेखक है|आप लाख ख़ुद को लेखक होने से नकारते रहें मगर आप इस मंच के ही नहीं,बल्कि ज़िंदगी के भी बेहतरीन कलमकार हैं|आपके शेरों पर जल्दी कोई टिप्पणी नहीं करती हूँ क्योंकि अपनी पसंदीदा रचनाओं को पढ़ते हुए बीच में टीका- टिप्पणी मुझसे नहीं होता|इसलिए सोचा कि क्यों न एक पत्र ही लिखूँ|बसंती मौसम में बरसात..हां थोङा अजीब है मगर मेरे शहर का यही मिज़ाज़ है आजकल|उम्मीद करती हूँ आप आगे भी अपनी कलम का जादू बरकरार रखेंगे सर🙏
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फरवरी की तारीख़ों ने पागल किया था
लौट आया आसमान फिर इश्क़ की दुकान पर-
ट्रेन की ऊपरवाली सीट से चिल्ला के बोल रही हूँ सुन लीजिएगा🤷जन्मदिन की बहोत-बहोत मुबारकबाद उस्ताद👑🍬🍬जैसा कि सफ़र में हूं तो सोचा क्या करूं तो निग़ाह कलम पर पङी|अंगुली पर केक बनाया है वो भी नीले रंग का क्योंकि ये अपना पसंदीदा रंग है और इसलिए भी कि अभी सिरफ़ नीला पेन ही है पास अपने|पिछले काफी वक्त से आर.पी.एस.सी की तैयारी में डूबी थी|आज पेपर था भरतपुर में|नये साल पर आपको मुबारकबाद भी नहीं दे सकी सो नये साल की मुबारकबाद भी कुबूल फरमायें💫💫💫💫💫ये पाँच सितारे आपकी कामयाबी के नाम|ये नया साल और ये जन्मदिन आपके लिए यादगार बनें यही दुआ है अपने उस्ताद के वास्ते|वर्ष 2021 में एक अज़नबी शख़्स जो योरक्योट के गलियारे में मिला,वो मुझ जैसी पागल लङकी को कितना कुछ समझा गया|यकीनन वो अपनी दो चुनिंदा लाइनों से आज भी दुनिया की हर लङकी(चाहे वो अठरह बरस की हो,चाहे अस्सी बरस की)के दिल में छेद कर रहे हैं|इस उपलब्धि के लिए इस मंच के अनगिनत लोग उनसे रश्क़ रख सकते हैं!औरों का नहीं पता मगर मुझे तो बङी जलन होती है😀😀गुजरात में बैठ कर बेशक़ लाख रुपया का केक काटिएगा मगर हम जैसे प्रशंसकों को पच्चीस रुपये वाला वेज केक तो भेज ही दीजिएगा क्योंकि और सब तो उत्तर प्रदेश आते- आते पिघल ही जायेगा न🤷|हमेशा खुश रहिए,मस्त रहिए,अपनी काफी से इश्क़ लङाते रहिए,चाय से सबको जलाते रहिए|बाकी इस सफर में एक गाना आपके नाम सुनिए💁
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आती जनवरी में
नज़र आप आ जाएं चारबाग स्टेशन पर
महज़ इतनी सी ख्वा़हिश है मिरी-