उनकी ख़ामोशी भी उनकी ही तरह बेहद खूबसूरत है|वैसे वो अपनी चुप्पी में भी शोर का सरंज़ाम बाकायदा रखते हैं|आप उनको पढ़ते हुए महसूस कर सकते हैं कि एक शख़्स जो महीनों से कुछ लिख नहीं रहा,वो कितनी बेबाकी से अपनी अनुपस्थिति में भी उपस्थिति दर्ज़ कराता चलता है कलम के इस सहरा में,वो भी बोले बग़ैर|हम अपने पसंदीदा रंगों में समानता साझा करते हैं शायद इसलिए मेरे उस्ताद अपने ज़िस्म पर रंगीन दुनिया के सारे रंगों के बरक्स मेरी पसंद का सफेद रंग ओढ़ते हैं |गाहे-बगाहे अदा बदलती है मगर उनका असल लिबास तो सफेद ही हुआ करता है|यकीनन उनको पढ़ने वाले,उनके अशआरों से मुहब्बत करने वाले लोग मेरी ही तरह पागल होंगे उनको रंग लगाने के वास्ते भी|रंगों के पर्व की बेहद-बेहद मुबारकबाद उस्ताद|कई रोज़ हुए आपकी कलम की रियासत में देर रात एक लङकी दाख़िल होती है चुपचाप,आपको पढ़ती है,बार-बार पढ़ती है,फिर चुपचाप ही बग़ैर कुछ कहे-सुने वापिस लौट जाती है अपनी पढ़ने की मेज़ पर|आज उस लङकी से चुप नहीं रहा गया तो अपने पसंदीदा लेखक से ख़त-ओ-ख़िताबत करने बैठ गई| दीवार पर एक नाम चिपका रखा है लिखकर-"आसमान के उस्ताद"|एक अद्भुत रचना-संसार के सृजन के वास्ते कि जहां एक जादूगर अपनी गिनती के शब्दों से महावृत्ताँत रचता चल रहा है,आपको बहोत-बहोत शुभकामनाएँ|यूँ ही लिखते रहिए और हम सब को पढ़ने का मौका देते रहिए|नमस्ते सर🙏🙏
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