कोई ताबीज़ बांधूं या मन्नत मांगू,
इश्क़ की बुरी नज़र है मुझ पर।-
ये मेरे इश्क की शराफत हैं जो मेरे होंठों पर नज़र अाती हैं,
जो शराफत ना होती,
तुम्हारें होंठों पर नज़र आती ||-
क़िताबों की दुनिया में बेहिसाब पन्ने हैं,
पर हर पन्नों में ज़िक्र तेरा नज़र आता है।-
कुछ करना है तो दिल पे दस्तक
दे जाए ऐसा कुछ करदो,
नज़रोंसे तो अच्छी चीजें हमेशासे
नजरअंदाज होती आयी है।-
अगर जाऊँगी तो किधर जाऊँगी मैं,
तुझे ढूँढती दर-ब-दर जाऊँगी मैं,
मेरे हमसफ़र तू मेरी ज़िन्दगी है,
जो खोया कभी तू तो मर जाऊँगी मैं।
तेरा साथ है जो समेटे हुए है,
बिछड़ जाऊँगी तो बिखर जाऊँगी मैं।
मेरी मौत तेरे लिए ज़िन्दगी है,
चल इस बात पर आज मर जाऊँगी मैं।
मुकम्मल नहीं ये कहानी तो क्या ग़म,
मुकम्मल मुहब्बत तो कर जाऊँगी मैं।
मिटा तो मैं दूँ तेरी हर याद दिल से,
मगर अपनी नज़रों से गिर जाऊँगी मैं।-
मौसम का तो पता नहीं पर हां
नज़र नज़ारे ग़लत देख रहीं हो ,
तो नज़रों से गिरना लाज़मी है!-