रूपा अनुछन्द  
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Instagram ID :- _a_shabhay_
Joined 13 January 2018


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इस रूढ़िवादी समाज में
एक स्त्री का
अपनी कलाई से खुद
श्रृंगार की चुड़ियां
उतार कर
सिर्फ घड़ी पहनने का
मतलब यह है कि
उसने अपने लिए
रूढ़ियों को तोड़कर
संघर्ष को चुना है।।

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वो
जिन्हें लगता है कि
वो सब कर लेंगे,
सब संभाल लेंगे...
हालात उन्हें
ऐसे जगह पर लाकर खड़ा कर देता है कि
वो ना कुछ कर पाते हैं
और ना ही संभाल पाते हैं।।

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एक लड़की
जो
बहुत कुछ
कर सकती थी,
एक दिन उसने
बस खुद को बर्बाद किया।।

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वो जो लड़की
तबाही थी,
एक दिन उसने
खुद को ही
तबाह कर दिया।।

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मुझे पसंद नहीं अब...
अपनी तस्वीर,
अपनी तकदीर;
अपनी रेखाएं,
अपनी आशाएं;
अपनी हंसी,
अपनी खुशी;
अपनी आंखें,
अपनी बातें;
अपने आंसू,
अपने गेसु;
यहां तक कि
अपनी कविता भी।।

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वो
मेरी खामोशी पर
सुकून से सोता है,
मैं कैसे मान लूं
वो मोहब्बत करता है;
वो
मेरे खुश होने पर
मुझपे इल्जाम लगाता है,
मैं कैसे मान लूं
वो मोहब्बत करता है;
वो
मेरे साथ
अफसोस में रहता है,
मैं कैसे मान लूं
वो मोहब्बत करता है;
वो
मेरे जाने पर
जश्न मनाता है,
मैं कैसे मान लूं
वो मोहब्बत करता है।।

-



कुछ रास्ते बस गुजरने के लिए होते हैं,
ठहरने के लिए नहीं;
तुम, उन्हीं रास्तों में से एक थे,
मगर मैं ठहर गयी;
अनजाने में नहीं,
नादानी में भी नहीं,
ऐसा नहीं कि
मुझे इल्म नहीं था
कि मन को आकर्षित करने वाले
इन रास्तों पर ठहरना नहीं होता है,
क्योंकि ये रास्ते
बस गुजरते हुए ही
खुबसूरत लगते हैं;
फिर भी मैं ठहर गयी
और बिखर गई...
और ऐसे बिखरी कि
अब किसी रास्ते से भी
गुजरने के काबिल नहीं रही।।

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// हमारे दरमियान //

हमारे दरमियान की खामोशी
चीख रही है, सुनी जाने के लिए;
हमारे दरमियान की दूरी
बढ़ रही है, करीब आने के लिए;
हमारे दरमियान बातें
की जा रही है, बस कहने के लिए;
हमारे दरमियान सब खत्म हो रहा है,
कुछ ना शुरू होने के लिए;
हमारे दरमियान हम नहीं रह रहे हैं,
हम में हम बचे रहने के लिए।।

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//अधूरापन//

आधी बातें,
आधी रातें,
आधी हंसी,
आधी आंसू,
सबकुछ ही रहा अधूरा मेरा,
फिर चाहे जिंदगी हो
या हो मौत,
यहां तक कि
अधजला ही रहा
मेरे ख्वाहिशों का भी चिता।।

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//अंत//

साल का अंत
और
तुम्हारे - मेरे बीच
प्रस्फुटित प्रेम का अंत
एक जैसा नहीं है,
क्योंकि साल का अंत
तय है,
परंतु
हमारे प्रेम का अंत
तय नहीं था,
साल का अंत तो हुआ
और साथ ही हुआ
हमारे प्रेम का अंत,
मतलब ये कि
तय हो या ना हो,
मगर अंत होना तय है।।

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