कोई हंस कर बातें कर भी ले,
मगर याद वहीं पल आता है |
जिस को नज़र अंदाज़ कर आए हम,
शायद पहला-इश्क़ कहीं कहलाता है ||— % &— % &-
एक ज़माने में था वो मेरी कविताओं का श्रृंगार,
अब नीरस है मेरी पंक्तियां, और हम भी बेआधार ||-
तू क्या जाने तेरे पहलू में कितने गम भुला दिए |
जो दिल में दबे बैठे थे वो ख्याल तू ने जगा दिए ||
जिन बातों का ज़िक्र था लाज़मी आज
तेरी आंखों के नशे में वो सब हिसाब उलझा दिए ||-
कल जैसी मोहब्बत तुझसे आज दोबारा हो गई,
हुई तबाह कल भी थी, बस आज दवा हो गई ||-
इस दफ़ा भी हम दोनों ने यही निष्कर्ष निकाला है,
गलती मेरी हो या उसकी,
सर तो उसी को झुकाना हैं ||-
जब नाराज़ हू मैं, तो मनाने भी आओं,
हर दफ़ा बस इश्क जताने ना आओं |
कच्ची सी रेशम की डोर है यें
कुछ मैं समेटू, कुछ तुम पिरोते जाओं ||-
Little flashes of spring I witness every time,
when your lip touches mine,
your face compliments mine,
our hands entwine,
and that smile reaching eyes.
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तूफान भरी उन आंखों में
अब आंसू पल-पल झलकते है |
कोई पूछे हमसे हाल मेरा
एक जाम फिर और भर लेते हैं ||-
बैठ कर एक-आध बातें करनी चाही
तो जनाब नें नज़रे मोड़ ली |
उन्हें क्या मालूम इस दिल की
कितनी ख्वाहिशें उन्होंने मरोड़ दी ||-
अब देखता हूं तुझे,
उस रंग में ढलते हुए ||
उसके आज में मैं होता,
तो वो होते मेरे लिए ||
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