𝚃𝚞𝚖 𝚋𝚎𝚠𝚊𝚏𝚊 𝚑𝚘 𝚌𝚑𝚞𝚔𝚒 𝚑𝚘.........
तुम निगाहे दिल
से गिर चुकी हो,
तुम अपनी हर झूठी
बात मुझसे कह चुकी हो,
सच और झूठ पता ही नहीं चला,
तुम इतने दिखावे कर चुकी हो.......
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"स्त्री मन और स्त्री जीवन" पर दिखावे के लिय
लिखी गई "कविताओं" का "समर्थन करती स्त्रियां",
बिल्कुल उस "बेवकूफ बनी जनता" के समान है,
जो विश्वास करते हैं "नेताओं" के "चुनावी प्रपंचों का"..!!!
(:--स्तुति)-
फ़ुरसत मिली है रिश्तों की जगह दिल मे बनाने की,
जरूरी नही इसमे दिखावे की मोहब्बत दिखाने की।-
दुनिया सिर्फ दिखावे पे चलती है साहब
जज़्बात तो बस जनाज़े के मेहरबान है-
सपने हमारे हैं तो इन्हें पूरा भी हम ही कर के दिखाएंगे
फिर चाहे लोग और हालात हमारे उलट ही क्यों न चलेंगे-
लोग उसकी तेरहवीं पे छप्पन भोग लगा रहे थे
जो शख्स मरा था भुख से तड़प के...!-
हमारी बातें हमारे इरादे
सब हैं ढोंग महज़ हैं दिखावे
ये जहाँ क्या हैं,ये ख़ुदा क्या हैं
ये सब हैं छलावे महज़ हैं दिखावे
मुझे सब पता हैं मुझे क्या पता हैं
ये सब हैं बहकावे महज़ हैं दिखावे
मुझे क्या चाहिये मुझे कुछ नहीं चाहिए
ये हैं बहाने महज़ हैं दिखावे-
ना आगे बढ़ने की चाह अव्वल आने का शोख,
हमें अपना हुनर ज़्यादा अज़ीज़ है दिखावे से !-