sagar sahu   (मशगूल सागर...)
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Joined 17 September 2018


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Joined 17 September 2018
4 OCT AT 1:31

Rounak lg rhi hai agar dhundhli mele ki,
ye wajah hai tumhre akele hone ki...

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21 SEP AT 0:23

मुझे नहीं पता मैं क्या चाहता हूँ,
ख़्वाब भी देखना है
सो भी नहीं पाता हूँ।

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17 SEP AT 0:01

घटा मोहब्बत की छाई थी मुझपे घनघोर,
बरस रहा था इश्क मुझपे भीग गया कोई ओर।

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8 SEP AT 12:28

मैं उसका भी तलबगार रहा,
बेवफा जिसका किरदार रहा।

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8 SEP AT 1:27

नहीं भूख लगती है न प्यास लगती है,
बिछड़ने पर दुनिया बकवास लगती है।

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26 AUG AT 20:33

बीते कल संग जिनके खुश थे,
वो पल ही जिन्दगी के कुछ थे।

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13 AUG AT 1:07

बेरुखा मिजाज नहीं हमारा,जितना लगता है,
मेरे अन्दर भी तुमसे कोमल दिल धड़कता है।

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10 AUG AT 21:20

नहीं मेहबूब मिला न मेहबूब का साथ,
बिछड़ गया वो,छूट गया उसका हाथ।

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8 AUG AT 1:42

मेरा वजूद मुझसे यही कहता,
तू भी बदल जाता खुश रहता।

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2 AUG AT 0:16

सागर भी लग गया किनारे,
दिखा दिया मोहब्बत ने तारे।

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