sagar sahu   (मशगूल सागर...)
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Joined 17 September 2018


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13 APR AT 15:48

दिन दूनी रात चौगुनी जो कमाते है,
अपना सुकून ख़ुद-ब-ख़ुद खो जाते है।

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13 APR AT 15:05

दम घोट रहा ये जो प्यार तेरा,
हर बर कसूर नहीं होता मेरा।

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13 APR AT 15:02

रूठ रहे है सब अब मुझसे आहिस्ता-आहिस्ता,
हम बुरे उनके लिए वो अपने लिए है फरिश्ता।

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10 APR AT 17:40

कुछ नज़राने लूंगा में तुम्हारे लिए ख़रीद,
अपने चाँद को देख कर मनाएंगे हम ईद।

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28 MAR AT 10:00

घुल-मिल गया तू होली का त्यौहार हो जैसे,
रंगीन हुई जिंदगी तुम्हारा प्यार है कुछ ऐसे।

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13 MAR AT 0:02

जो अपने भीतर है,वो अपने लिए बेहतर है।

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11 MAR AT 0:37

अधूरे ही सही पर वो पूरे होते है,
जिस ख्वाब में तुम- मेरे होते हो।

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29 FEB AT 9:42

तेरे बदले मिजाज का होना सही है,
प्यार में अंधा तुम को होना नही है।

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29 FEB AT 0:18

मेरे मतलब का यार मेरा प्यार बना है,
जो ले डूबा सुकून का हकदार बना है।

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25 FEB AT 23:10

इतवार को धुन सवार हो कमाने की,
परवाह न करता फिर वो जमाने की।

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