तेरी याद में खुद को बेकरार करा है,
हर रोज़ निगाहों ने तेरा इंतज़ार करा है।
लब ख़ामोश रहे पर दिल बोलता रहा,
इश्क़ ने हमें इतना लाचार करा है।
कभी आ भी जा मेरी तन्हाई के साथी,
तेरी जुदाई ने जीना दुश्वार करा है।
शायद इस जनम में मिलना मुमकिन नहीं,
फिर भी रूह ने तुझसे ही प्यार करा है।-
Mohobbat के बारे मे .....
तन्हाई का रास्ता
एक रास्ता है, तन्हाई का,
जहाँ कदम-कदम पर ख़ामोशी है।
ना कोई हमदम, ना कोई साथी,
बस अपनी परछाई की मौजूदगी है।
शाम ढले, जब सूरज सो जाए,
तारों की रोशनी भी धुंधली लगे।
तब इस रास्ते पर चलना पड़ता है,
जहाँ हर आवाज़ एक गूँज बनके ठगे।
कभी यादों के झरोखे खुल जाते हैं,
बीते लम्हों की खुशबू आ जाती है।
पर फिर ये रास्ता आगे बढ़ जाता है,
और वो खुशबू भी कहीं खो जाती है।
कहीं दूर से आती है कोई धुन,
यादों के पंछी कहीं चहचहाते हैं।
पर इस राह में कोई मोड़ नहीं,
बस अकेले ही चलते चले जाते हैं।
ये रास्ता सिखाता है खुद से मिलना,
अंदर के शोर को शांत करना।
अकेले में भी जीना सीख लेना,
और अपने आप से बातें करना।
कभी-कभी डर भी लगता है,
अंधेरों का साया गहराता है।
पर फिर हिम्मत दिल में जगती है,
और ये रास्ता आगे बढ़ जाता है।
ये तन्हाई का रास्ता है, पर अधूरा नहीं,
ये रास्ता है खुद को पाने का।-
वक़्त की धारा, बहती जाए,
किसी के रोके ना रुक पाए।
सूरज आए, सूरज जाए,
हर पल कुछ नया सिखाए।
ना बीते कल की फिक्र करे,
ना आने वाले की आस धरे।
बस चलता जाए अपनी चाल,
हर क्षण बदले इसका हाल।
कोई दौड़े, कोई ठहरे,
वक़्त तो अपनी राह पर बहे।
पलक झपके, दिन बीत जाए,
जीवन यूँ ही आगे बढ़ जाए।
नादान जो इसको बाँधना चाहे,
समझदार इसकी कदर निभाए।
जो वक़्त के संग चलना सीखे,
वही जीवन की डोर खींचे।
तो चल, उठ, अब ना कर देर,
वक़्त नहीं रुकने वाला, मेरे शेर।
हर पल को जी, हर लम्हा संवार,
वक़्त ही तो है जीवन का आधार।-
एक क्षण में, खुलते हैं नए रास्ते,
पुराने बंधन छूटते, मिलते हैं वास्ते।
एक झलक में दिखता, भविष्य का सार,
यादों के पंखों पर, उड़ता है संसार।
न रुकता है वक्त, न थमते हैं कदम,
हर क्षण में छिपा है, एक नया जनम।
एक क्षण में, सीख लेते हैं हम कुछ खास,
जिंदगी की गहराई का, मिलता है आभास।-
चेहरा छुपाया है तुमने, पर आँखें क्या छुपाओगी,
इन लाल पर्दों से भी, इश्क़ की आग जलाओगी।
खुलें जो ज़ुल्फें तुम्हारी, तो महक उठेगी फिज़ा,
किस-किस को फिर अपने, इस हुस्न का दीवाना बनाओगी।-
आँखों में सवाल लिए,
कुछ अनकही कहानी है,
आधी तस्वीर में छुपा,
कोई गहरा राज़-ए-ज़िंदगानी है।
हर पत्ता जैसे परदा,
कोई ख़्वाब बुनता जाए,
'रेस्ट ज़ोन' में भी दिल,
कहाँ सुकून पाए।-
उसने कहा, "अब भी तुम फूल खरीदते हो?"
मैंने कहा, "तेरे बाद इनमें खुशबू ही नहीं।"
उसने कहा, "ये उदासी क्यों है?"
मैंने कहा, "तेरे गम के सिवा कुछ भी नहीं।"
उसने कहा, "मेरे बाद किसी से मोहब्बत की?"
मैंने कहा, "ये लफ्ज़ मेरी ज़िंदगी में शामिल ही नहीं।"
उसने कहा, "ज़िंदगी क्या है?"
मैंने कहा, "तेरे सिवा कुछ भी नहीं।"
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ज़िंदगी क्या है इक नग़्मा-ए-बे-साज़ ही तो है,
दर्द में डूबी हुई, हर साँस ही तो है।
ख़ामोशी में भी गुफ़्तुगू हो जाती है,
जब आँखें तेरी बातों में खो जाती हैं।
हर लम्हा तिरी याद में कटता है मेरा,
क्या कहूँ मैं कि ये क्या इम्तिहान है मेरा।-
अकेला बैठा, हाथ में किताब,
गहरी सोच में डूबा है जनाब।
शब्दों में खोया, या खुद को ढूँढ़ रहा,
हर पन्ना जैसे कोई राज़ खोल रहा।-
Nadi ka sangeet, aur pedon ka saaya,
Har saans mein uski, ek naya jadoo samaya.
Woh akeli nahi, uske saath prakriti ka pyar hai,
Har patte, har boond mein, uski hi bahaar hai.-