हम ने माना कि
कुछ नहीं 'ग़ालिब' में,
मुफ़्त हाथ आए
तो बुरा क्या है।
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Mohobbat के बारे मे .....
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।
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हैफ़ उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत 'ग़ालिब'
जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गरेबाँ होना
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कभी जिस आँगन में खुलकर हँसते थे,
आज वहाँ साँस लेने को भी सोचना पड़ता है।
जो धुन कभी अपनी मर्ज़ी से गुनगुनाते थे,
आज उसे सुनने को भी खामोश रहना पड़ता है।
जिस राह पर कभी बेफिक्र चलते थे,
आज उस पर कदम रखने को भी हिचकना पड़ता है।
जो ख्वाब कभी खुली आँखों से देखे थे,
आज उन्हें याद करने को भी डरना पड़ता है।-
कलम नहीं ये जादू की छड़ी है,
जिसकी नोक पर दुनिया खड़ी है।
कभी इतिहास लिखती, कभी भविष्य गढ़ती,
ये वो ताकत है जो हर ज़ुल्म से लड़ी है।-
मेरी कलम से निकले हर अल्फ़ाज़ में तुम हो,
हर सिसकी, हर आह, हर एहसास में तुम हो।
जो लिखूँ मैं मोहब्बत, तो चेहरा तुम्हारा,
जो बनूँ मैं शायर, तो हर साज़ में तुम हो।-
हर साँस में तुम हो, हर धड़कन में तुम हो,
क्या करें बयाँ हम, तुम ही तुम हो.
कभी ख्वाबों में आओ, कभी हकीकत बनो,
इश्क़ की राहों में, हमदम तुम हो.
ये दिल की लगी है, जो बुझती नहीं,
हर ख़ुशी में शामिल, हर ग़म में तुम हो.
ज़िंदगी की हर सुबह, हर शाम में तुम हो,
मेरी हर कहानी, हर पैगाम में तुम हो.
क्या करें बयाँ हम, तुम ही तुम हो.-
तेरी याद में खुद को बेकरार करा है,
हर रोज़ निगाहों ने तेरा इंतज़ार करा है।
लब ख़ामोश रहे पर दिल बोलता रहा,
इश्क़ ने हमें इतना लाचार करा है।
कभी आ भी जा मेरी तन्हाई के साथी,
तेरी जुदाई ने जीना दुश्वार करा है।
शायद इस जनम में मिलना मुमकिन नहीं,
फिर भी रूह ने तुझसे ही प्यार करा है।-
तन्हाई का रास्ता
एक रास्ता है, तन्हाई का,
जहाँ कदम-कदम पर ख़ामोशी है।
ना कोई हमदम, ना कोई साथी,
बस अपनी परछाई की मौजूदगी है।
शाम ढले, जब सूरज सो जाए,
तारों की रोशनी भी धुंधली लगे।
तब इस रास्ते पर चलना पड़ता है,
जहाँ हर आवाज़ एक गूँज बनके ठगे।
कभी यादों के झरोखे खुल जाते हैं,
बीते लम्हों की खुशबू आ जाती है।
पर फिर ये रास्ता आगे बढ़ जाता है,
और वो खुशबू भी कहीं खो जाती है।
कहीं दूर से आती है कोई धुन,
यादों के पंछी कहीं चहचहाते हैं।
पर इस राह में कोई मोड़ नहीं,
बस अकेले ही चलते चले जाते हैं।
ये रास्ता सिखाता है खुद से मिलना,
अंदर के शोर को शांत करना।
अकेले में भी जीना सीख लेना,
और अपने आप से बातें करना।
कभी-कभी डर भी लगता है,
अंधेरों का साया गहराता है।
पर फिर हिम्मत दिल में जगती है,
और ये रास्ता आगे बढ़ जाता है।
ये तन्हाई का रास्ता है, पर अधूरा नहीं,
ये रास्ता है खुद को पाने का।-
वक़्त की धारा, बहती जाए,
किसी के रोके ना रुक पाए।
सूरज आए, सूरज जाए,
हर पल कुछ नया सिखाए।
ना बीते कल की फिक्र करे,
ना आने वाले की आस धरे।
बस चलता जाए अपनी चाल,
हर क्षण बदले इसका हाल।
कोई दौड़े, कोई ठहरे,
वक़्त तो अपनी राह पर बहे।
पलक झपके, दिन बीत जाए,
जीवन यूँ ही आगे बढ़ जाए।
नादान जो इसको बाँधना चाहे,
समझदार इसकी कदर निभाए।
जो वक़्त के संग चलना सीखे,
वही जीवन की डोर खींचे।
तो चल, उठ, अब ना कर देर,
वक़्त नहीं रुकने वाला, मेरे शेर।
हर पल को जी, हर लम्हा संवार,
वक़्त ही तो है जीवन का आधार।-