अक्सर ज़िम्मेदार होती हैं कुछ अधूरे ख्वाबों की, अनगिनत सपने दम तोड़ देते हैं इन्हीं रिवाजों की बेड़ियों में जकड़कर। रिवाजों की बेड़ियाँ तब तक सही हैं जब तक वो मानवीय हैं और इनके चलते किसी व्यक्ति विशेष के मानवाधिकारों का हनन ना हो।
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अपने अल्फाज बयां करता
मैं तो बस रवि हूँ
मैं तो बस शब्... read more
आखिर कब तक यूँ नारी का सम्मान उछाला जाएगा,
क्या अब कोई स्थायी समाधान निकाला जाएगा...??-
सूरज की तरह जलना।
गर होना चाहो किसी का
तो पानी की तरह मिलना।
हों लाख बाधाएं मगर
मंज़िल की तरफ चलना।
ये रिश्ते बड़े अनमोल हैं
इन्हें पक्के धागों से सिलना।।-
कुछ सवालों के जवाब नही होते,
यहाँ हर किसी के पूरे ख्वाब नही होते।
खुद को भी सौंपना होगा कुछ पाने के लिए,
सिर्फ बातों से ही यहां कामयाब नहीं होते।
गर मंजिल को हर हाल में पाना ही है,
फिर मेहनत के कोई हिसाब नहीं होते ।
कभी कोई शिद्दत से भी निभाता है रिश्ते,
हर किसी चेहरे पर यहाँ नकाब नही होते।
बहुत कुछ सहा होगा उसने कई अरसों से,
बेवजह ही यहां कोई इंकलाब नहीं होते ।।-
क्यों तुम इतना इतराते हो
पहले करते खूब ठिठोली
फिर क्यों इतना शर्माते हो
कभी खेलते आँखमिचोली
फिर अचानक छुप जाते हो-
किससे करते हो शिकायतें, क्या तुम्हारी दरकारें हैं
ये तो बस आती जाती सरकारें हैं......................।।
किसी के हाथ में सत्ता है, कहीं और इसकी पतवारें हैं
जो इनकी जेबें भर देंगे ये उनका नाम पुकारे हैं......।।
इनका ना कोई ईमान धर्म, बस तुम्हारे वोट इन्हें प्यारे हैं
ये ना कल तुम्हारे थे और ना आज तुम्हारे हैं.........।।
हम लायेंगे अच्छे दिन, सबका साथ सबका विकास
ऐसे जुमलो की इनके पास भरमारें हैं..................।।
किससे करते हो शिकायतें, क्या तुम्हारी दरकारें हैं
ये तो बस आती जाती सरकारें हैं.......................।।-
जरूरी हैं विचार, विचार जो आईना हों समाज का जिसमें हर कोई अपना अक्स देखता हो। इन विचारों के लिए सबसे पहले हमें टटोलना होगा अपने आप को, इस संसार को भली भांति समझना होगा और अंततः भाषा। भाषा जो हमारे विचारों का आदान-प्रदान करती है अपनी बात लोगों तक कैसे पहुँचाना है, शब्दों का सटीक प्रयोग शायद यही सब हमें एक अच्छा लेखक बनाने में सहायक होंगे।।
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