दिखावे के इस दौर में, दो चेहरे हैं इंसान के,
अंदर से हैं खोखले और दावे हैं ईमान के!!
गिराने की एक दूजे को कोशिशे बेहिसाब हैं
और मानते हैं ज्ञाता हैं, गीता और क़ुरान के!!
ढहते देख मकाँ दुसरे का,आज वो हैं हँस रहा,
उस बोसीदा मकाँ पर ,अपने महल खडे कर रहा!!
दूसरो पर छिंटाकशी और अपना दामन साफ हैं,
दूसरो की गलती महापाप, और अपने अपराध माफ हैं!!
तस्क़ीन-ए-अना की खातिर, आज इन्सानो मे बैर हैं,
जो साधे हित वो हैं अपना, और बाकी सब गैर हैं !!
-Sameri...✍
-