Diksha Bhardwaj   (Sameri...✍)
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Joined 7 August 2019


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15 JAN AT 21:10

मोहब्बत में हमसफ़र के ऐब नज़र नहीं आते,
मरहम तो दिखते हैं... ज़ख्म नज़र नहीं आते,
यूं तो देखने को... हसीं मंजर हैं कई यहां,
मगर अफ़सोस! कोई उसके बग़ैर नज़र नहीं आते।

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15 JAN AT 21:00

इश्क में... कोई दिलासा काम नहीं आता...
इलाज तो मिलता है मगर आराम नहीं आता,
यूँ तो ज़ेहन से निकलता नहीं वो, मगर...
कोई पूछें तो... लबों पे उसका नाम नहीं आता।।

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13 JAN AT 16:19


कुछ मां बाप ...
अपने बच्चों से जानें अनजानें,
इतनी सख्ताई से पेश आते है के ...
उनकी मासूमियत लहूलुहान होकर ...
घर के किसी कोने में कराहने लगती है...
ऐसे बच्चे...
समय से पहले बड़े हो जाते है
और उनके मन में
हमेशा के लिए रह जाती है
तो बस एक कसक...
अपने बचपन को खुलके ना जी पाने की...

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12 JAN AT 14:37


Love is a beautiful garden,
nurture it with care,
kindness and dedication,
and don't let the weeds
of negativity choke it.

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9 JAN AT 23:35

संग लय और संग ताल के...संगीत होना चाहती हूं, एक सीधे सच्चे मन की मीत होना चाहती हूं,
नहीं चाहती के बनूं, अज़ियत का सबब किसी के,
दे सकूं हर पल जो रूह को, वो प्रीत होना चाहती हूं।

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18 NOV 2021 AT 17:20

ज़िन्दगी मे "ज़िन्दगी" का साथ चाहती हैं,
पकड़े तो ना छोड़ें वो हाथ चाहती हैं,
कौन कहता हैं ज़िन्दगी सुहाना सफर हैं,
हर मोड़ तो ये इक नया इम्तिहान चाहती हैं।।

कोई दिखावे को गम जताता हैं,
कोई गम छुपाकर मुस्कुराता हैं,
कभी ढ़ूँढ़ना भी बशर को एक रँग में,
कितना मुश्किल हो जाता हैं।।

हर पल इक पन्ना जुड़ता हैं,
हर दिन कुछ धुँधला पड़ जाता हैं,
मिलना बिछ्ड़ना एक दस्तूर यहाँ,
बस "साथ" का वहम रह जाता हैं।।

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8 AUG 2021 AT 17:56

तेरी चाहत तेरी इबादत तेरा इस्तक़बाल कर रही हूँ ,
मै हर घड़ी तुझसे थोड़ा और प्यार कर रही हूँ ,
हाँ!! हर घड़ी तुझसे थोड़ा और प्यार कर रही हूँ !!

ये आँखो का चमकना और रूह का निखरना सब हैं तुझी से,
दिल पे था अब साँसो पे तेरा इख़्तियार कर रही हूँ !!
हाँ!! हर घड़ी तुझसे थोड़ा और प्यार कर रही हूँ !!

तूँ हमनवा तूँ हमदर्द तूँ हमराही इस सफ़र मे,
तुझ संग खुशी ओ गम का इज़हार कर रही हूँ,
हाँ!! हर घड़ी तुझसे थोड़ा और प्यार कर रही हूँ !!

वो शाम-ए-वस्ल अभी दूर है ओझल सी है इन आँखो से,
मगर मैं सिद्दत से उसी शाम का इंतजार कर रही हूँ ,
हाँ!! हर घड़ी तुझसे थोड़ा और प्यार कर रही हूँ !!

मालूम है तुझसे मिलना रास ना आएगा इस जमाने को,
मैं खुद को इताब-ए-जमाने को तैयार कर रही हूँ,
हाँ!! हर घड़ी तुझसे थोड़ा और प्यार कर रही हूँ !!

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26 JUL 2021 AT 21:44

कुछ कहने को नही कुछ सुनने को नही,
हाँ,,,गलत तुम भी नही और हम भी नही,
सोहबत तिरी वो तमन्ना-ए-खाम सी,
मिरे अश्को से बही और गम भी नही।।

तूँ रहाँ हर घड़ी यूँ तो मिरी यादों मे, ख़्यालो मे,
हाँ!! क़ुर्बत मे नही, तो ख़्वाबो मे सही,
इश्क़ तुझसे, मुकम्मल ना हुआ बेशक,
रहें उल्फ़त के धागे, भले उलझे से सही।।

तिरा नाम ज़ेहन से मिटा दूँ, होगा हरगिज़ नही,
ज़िंदगी की शाम तलक़, उजाले यादों के सही,
मशिय्यत यही के आए वो वस्ल की शाम भी,
गर इस ज़िंदगी नही, तो उस ज़िंदगी सही।।
-Sameri✍

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11 JUL 2021 AT 23:35

जिन्दगी उस रेत की तरह हैं जिसे
लाख कोशिश करे मुठ्ठी मे पकडे रखने की,
मगर वो फिसलती ही रहती हैं
और आखिर मे हाथ
खाली ही रह जाता हैं।।

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22 MAY 2021 AT 20:33

कही बारात और शहनाई, कही मौत सा मातम छाया हैं,
मनुष से डरने लगा मनुष, ये कैसा कलयुग आया हैं?
ड़र और संशय की चादर तले, सकूँ की नींद आ जायें कैसे,
जिन्दगी मानो मांगे जवाब, के क्या खोया क्या पाया हैं?

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