मत मारो मुझे
अभी अभी तो
इस दुनिया में आयी हूँ
गलती क्या है मेरी
अभी अभी तो मैं बस
अपनी आँखें ही खोल पायी हूँ-
अब मैं अपनी कलम का साथ, छोड़ रहा हूँ
लिख कर ये आखरी शब्द, अब मैं इसे तोड़ रहा हूँ-
सारा दिन मैं उससे
बातें करता रहता हूँ
और वो कभी मुझसे
कुछ नहीं बोलती
बस मुझे देखा करती है
पता नहीं क्यों
मगर शायद ऐसा लगता है
मुझसे वो रूठी है
अपनी तस्वीर में वो
गुमसुम सी बैठी रहती है-
उम्र ना गुज़र जाए
किसी मलाल में
दे रहा हूँ तुम्हे आज
गुलाब अपने प्यार में
सबकी नज़रों से
छुपा लेना इसे
किसी किताब में
पन्ने पलटोगी जब
महक आएगी मेरी
तेरे हर सांस में
करोगी जब इनसे बातें
मिलूंगा मैं तुमको
तेरे हर एहसास में-
अब बस भी करो
कितना और दर्द दोगे
मैं ना रहूँगा जब
तुम खुद मुझे बुलाओगे
कभी भीड़ में ढूँढोगे
तो कभी तन्हाइयों में याद करोगे
गैरों के सामने
जो हँसते हो मुझपे
तुम उनके सामने
अपने आंसू छिपाओगे
कमी जब महसूस होगी मेरी
तुम भी, मिलने को मुझसे तरसोगे
ना मिलूंगा जब मैं कहीं
तुम भी, रोते रोते सो जाओगे
है मोहब्बत तुम्हे भी
जाने कब तुम ये समझोगे
अब बस भी करो
कितना और दर्द दोगे-
था नासमझ मैं
जो तुम पे मर गया
देखो यारो
मलहम लगाने वाला
घाव कर गया-
मैंने उसका दिया वादा टूटने नहीं दिया
उसने कहा था
वो आखरी सांस तक मेरे साथ रहेगी
जब वो गयी मुझे छोड़ कर
मैंने अपनी साँसें ही तोड़ दी-
अंजाम की फ़िक्र करता अगर
तो आगाज़ ना करता
टूट जाता चुपके से
किसी अँधेरे कोने में
रो लेता दबी आवाज़ में
यूँ भरी महफ़िल में आकर
बुलंद आवाज ना करता
छुप जाता किसी चार दिवारी में
खुले मैदान में आकर
अपनी पहचान ना बनता-
कितना प्यार करता हूँ तुम्हे मैं
तुम्हे नहीं पता
ज़िन्दगी हो तुम मेरी
तुम्हारे बिना ये दिल नहीं धड़कता-
कुछ खास तो नहीं है तेरी गली में
सिवाए एक तेरे घर के
मगर फिर भी मुझे हर रोज़
वहां आना अच्छा लगता है
बस तुझे देखने की चाहत में-