अब बस भी करो
कितना और दर्द दोगे
मैं ना रहूँगा जब
तुम खुद मुझे बुलाओगे
कभी भीड़ में ढूँढोगे
तो कभी तन्हाइयों में याद करोगे
गैरों के सामने
जो हँसते हो मुझपे
तुम उनके सामने
अपने आंसू छिपाओगे
कमी जब महसूस होगी मेरी
तुम भी, मिलने को मुझसे तरसोगे
ना मिलूंगा जब मैं कहीं
तुम भी, रोते रोते सो जाओगे
है मोहब्बत तुम्हे भी
जाने कब तुम ये समझोगे
अब बस भी करो
कितना और दर्द दोगे
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