हर ज़ख्म भर देती मां की ममता जब करती है प्यार
ठीक हो जाता यूहीं हमेशा जब करती मां मुझे दुलार
लगती मुझको जब भी चोट तो मां मलहम बन जाती
लेने नहीं देती दवा मुझको, मां मेरा दर्द ही बन जाती
कभी रोता यह बिखरता मैं , मां मुझको सवार जाती
कुछ ना कहती मुझको मां, अपनी दर्द मुझसे छुपाती
कुछ ऐसा करो जीवन में अपने, रुलाना नहीं मां को
मां ही है जन्नत यहां , कभी तुम तड़पाना नहीं मां को
ठीक ना होगे दवा से तुम, मां की दुआ साथ रहती है
मां का ही आशीर्वाद तुम्हें , हर पल जीना सिखाती है
हर ज़ख्म भर देती मां की ममता जब करती है प्यार
ठीक हो जाता यूहीं हमेशा जब करती मां मुझे दुलार
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