सुनो..तुम्हारे साथ ना होने पर भी,
तुम्हारे होने का एहसास,अक्सर सुकून दे जाता है।-
मैनें अभी वो एक कविता नहीं लिखी है...
जिसमें हमदोनों के प्रेम का अंत होगा, वो छोर अभी अनछुआ है
जहाँ तुम्हारी कल्पनाओं औऱ समृतियों का मिलन होगा
औऱ थम जायेगा यह प्रवाह शब्दों का...,
मैं, अभी भी इसी यक़ीन में हूँ के सम्भोग तो केवल
देह करते हैं, आत्माओं के मिलने का सुख तो इससे कहीं शायद अधिक होगा...
...वो तो केवल एक ही बार सदा के लिए तृप्त हो जातीं होंगीं,
मैं, अभी भी उस एक क्षण की प्रतीक्षा में हूँ
ज़ब हम दोनों निर्वाण को प्राप्त होंगे औऱ मुक्त हो जायेंगे इस मोद-अमोद के भाग्यचक्र से,
तब तक "प्रिय" तुम्हें ख़ुद में अंत तक जीवित रखने के यथासंभव प्रयास हैं मेरे, फ़िर भी क़भी वो एक अंतिम कविता लिखूँ तो तुम उसमें अपनी कुछ रिक्त पंक्तियां जोड़ देना... तुम बनना मेरी कविताओं की उत्तरदायी औऱ तब गुजरना मेरी तरह अकेले इस मन के द्वंद्व से...,
प्रेम कविता क़ोई एक अकेला कहाँ लिखता है "प्रिय", इसमें सदा दो लोगों का समावेश होता है, क़भी मेऱे अभाव में तुम लिखना मेरे लिए, मेरी अंतिम कविता!!-
तुम्हारे बिना ये मौसम ना सुहाना देखा,
उसी में ही मैने मेरा सारा ज़माना देखा ।
बहाने बनाकर तो तुम से बात करते हैं,
बातों के अलावा ना कोई अफसाना देखा ।
तुमसे मुलाक़ात तो सिर्फ़ खयालों में होती हैं,
फ़िर तुम्हारे अलावा कैसे कोई सपना ना देखा ।
तुम ने इतनी बार साँसें न ली,
जितनी बार मैंने दिल मेरा धड़कता देखा ।
तुम्हें देखा है मैंने इस नज़र से ऐसे,
तुम्हारे सिवा इन आँखो ने कुछ और न देखा ।
मन बहुत करता है तुम्हे सिने से लगाने को,
उसके अलावा ना कोई ख़्वाब और देखा ।।
_v_p@rm@r-
बदलेगा ये वक्त फिर, बदलेगा ये जमाना भी।
ये ख़ुशी तू जा अभी,लौट कर आना फिर।
कश्तियाँ भवँर में फंसी है कुछ वक्त के लिए।
अभी इंतिज़ार है मुझे समंदर का आना फिर।
कुछ सीखा है हमने कुछ सीख रहा हूँ अपनों से।
कभी ख़ुशी मिली है तो गम दिया अपनों का जाना भी।
कहते हैं वक़्त बड़े से बड़े ज़ख्मो को भर देता है।
कभी दुःख देता है तो सिखा देता है मुस्कुराना भी।
दर्द और दुःख के बीच जिसने भी जिया है जिंदंगी को
वो सीख जाता है एक दिन अपनों के बिन गुनगुनाना भी।
ऐसा नही है कि उसे अपनों के खोने का गम नही "अर्जुन"
छोटी सी जिंदगी में बहुत मुश्किल है अपनों को भुलाना भी
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वो जख्म देके भी हाल नही पूछते
एक हम हैं जो उन्हें हर दिन याद करना नही भूलते-
तुम्हारे किरदार के खरीदार तो बहुत मिल जायगे........
मेरे जैसा तराशने बाला कहा से लाओगे...............-
सजा भी उसी ने सुनाई जो जुर्म में साथ था,
कहती थी वो उसके सिवा उसका कोई न था-