इश्क़ किताबों से
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तुम्हारे साथ गुज़ारा
हर इक लम्हा मुझे
आज भी बहुत याद
आता है। कईदफ़ा
चांदनी रात नींद में
तुम्हे देखकर, दिल
सहम-सा जाता है।
धड़कनों में ये नाम
तुम्हारा मुझे हर पल
सुनाई-सा पड़ता है।
और तुम्हारे हिस्से का
वो वक़्त आज भी मेरा
तन्हा ही गुज़र जाता है...-
तन्हाई का राग अलापते रहते हो
तन्हाई का हाथ पकड़ नहीं लेते क्यों— % &-
तन्हाई को तार डाल कर बुलवा भेजा है
कल हम दोनों मेरे घर पर ख़ूब धमाल करेंगे
تنہائی کو تار ڈال کر بلوا بھیجا ہے
کل ہم دونوں میرے گھر پر خوب دھمال کریں گے— % &-
क्या बताएं कि ख़ुद से कितना इश्क़ करते हैं
यूँ समझिए कि तन्हाई में ज़्यादा ख़ुश रहते हैं-
मर जाती हैं इन्सान की रूह भी
तन्हाई में तड़प-तड़प कर ,
परछाई चीख लगाती हैं
कि कोई तो आए
दिल के अन्दर
बिना अपना फ़ायदा सोच कर |
जन्म से अंत तक
ना जाने कितने रिश्ते
चेहरों सा बन जाते हैं ,
वो एक को प्यार से गले लगाता हैं
दूसरा नफ़रत से
उसकी गर्दन ही काट ले जाता हैं |-
जिनको मिलती नहीं रोटी मां के हाथ की
अक्सर वो छज्जे पर जाकर चांद ताकते हैं.-
जिसके पास कमी न थी चाहने वालों की,
आज उस शख्स को हमने तन्हा देखा है..-