मन्ज़िल नहीं मिली, जबकि मन्ज़िल बहुत क़रीब थी
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Mahender Kumar
(Sani)
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Joined 29 November 2017
21 MAY AT 18:03
ख़ुदा की ज़ात में तहलील हो गया हूँ मैं
ख़ुद अपनी रात की क़िन्दील हो गया हूँ मैं-
20 MAY AT 18:53
ख़ुदा से इश्क़ मगर आदमी से नफ़रत है
ये कैसा दौर है यारो! ये क्या क़यामत है-
20 MAY AT 18:41
अजब नहीं कि तिरे साथ ही रहें लेकिन
हमारे साथ जो तूने किया - न भूलेंगे-
14 FEB AT 8:39
मिल कर भी मुलाक़ात अधूरी रह जाती है
होकर भी बात अधूरी रह जाती है
दिन पूरा हो जाता है लेकिन
कमबख़्त ये रात अधूरी रह जाती है-
2 JAN AT 2:09
तन्हाई से उकताए हुए लोग हैं हम लोग
तन्हाई से रिश्ता भी नहीं तोड़ना मंज़ूर-
2 JAN AT 2:05
जिस शख़्स से मायूस हैं अब क्या ही बताएँ
उम्मीद भी उस से ही लगाए हुए हम हैं-