आदमी का जो है मर्तबा राम हैं
उसके खोए ख़ुदा का पता राम हैं
नद्दियाँ जैसे मद्गम समुंदर में हों
ऐसे मंज़िल का हर रास्ता राम हैं
कौन है किसका संसार में दोस्तो
सारे आलम का इक आसरा राम हैं
साँस सीता के माथे का सिंदूर है
चेतना की अचल साधना राम हैं
आत्मा की जिन्हें कुछ ख़बर ही नहीं
वो ये क्या जानें परमात्मा राम हैं
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