काया काशी हो गयी मन बद्री केदार
ढाई आखर ने किया रोम रोम हरिद्वार-
Haath Aap Bhi Bdhawo or,
Haath Hum Bhi Bdhate Hain...
Chalo Aaj Apni Dosti Ko,
Mohabbat Se Sajate Hain....-
ढाई अक्षर के प्रेम लिखने की चाहत में
अक्सर लोग पूरी किताब लिख देते है ..🍁-
मात्र ढाई आखर के प्रेम में इंसान समूचा जीवन ढूँढ़ सकता है
इससे बड़ा अचरज आखिर क्या हो सकता है।
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लिखने में तो बस ढाई अक्षर है ”प्यार"
एक बार हो जाये तो इसे समझने के लिए
पूरा व्याकरण कम पड़ जाता है।
अवनीश
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तु बोले मैं लिखता जाऊ
इश्क़ मोहाब्बत तुझसे ही करता जाऊ
ढाई अक्षर प्रेम के ,
ढाई अक्षर तेरा नाम रटता जाऊ
🍫🌷😊💖😊💖😊🌷🍫-
गणित ढाई लफ्जों का,
समझने में सदियां गुजर जाती है,
प्रेम है वो स्वर जिसे गुनगुना कर,
ये जिंदगी निखर जाती है
संभलना जरुरी है इस भीड में,
तो कोई संभालने वाला जरुर चाहीए,
जिसका प्रतिबिंब दिखे निर में,
जीवन में ऐसा स्नेही जरुर चाहीए
चंद्रशेखर आवटे-
वो ढाई अक्षर प्रेम में जो तीसरा अधूरा है
वहीं अक्षर हूं मैं
तुम बिन जो हूं मैं....
हां मगर प्रेम तो पूरा ही है
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ढाई आखर प्रेम का , जीवन का आधर है ।
प्रेम से मिले परमात्मा , प्रेम से ही संसार है ।।
प्रेम में माँ की ममता है , प्रेम प्रेयसी का प्यार है ।
प्रेम भक्ति स्वरूप है , प्रेम जीवन का सार है ।।
प्रेम मीरा का मोहन है , प्रेम राधा का श्याम है ।
प्रेम रंग में जो भी रंगा , जग में उसका नाम है ।।-